यह ख़बर 21 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कोर्ट के आदेश का पालन करूंगा, मैं बेहद दुखी हूं : संजय दत्त

खास बातें

  • संजय दत्त ने कोर्ट के फैसले पर पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, और उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से काफी दुखी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि सजा 'पत्नी और बच्चे' भी भुगतेंगे।
मुंबई:

बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों से जुड़े गैरकानूनी तरीके से हथियार रखने के एक मामले में उन्हें दोषी करार देते हुए उनकी सज़ा को घटाकर पांच साल कर देने पर पहली प्रतिक्रिया में कहा है कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, और उन्होंने अपने प्रशंसकों से अपील की है कि वे उनके और उनके परिवार के लिए दुआ करें।

शाम को जारी बयान में संजय दत्त ने कोर्ट के फैसले पर कहा है कि वह कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे, और उन्होंने कहा कि वह इस फैसले से काफी दुखी है। इसके आगे उन्होंने कहा कि सजा 'पत्नी और बच्चे' भी भुगतेंगे। उन्होंने कहा कि वह पहले ही 18 महीने जेल की सजा काट चुके हैं। संजय दत्त ने कहा, 'मैं जानता हूं मेरा दिल साफ है।
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दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि संजय दत्त के अपराध की प्रकृति और हालात इतने गंभीर हैं कि उन्हें नहीं छोड़ा जा सकता। संजय दत्त फिलहाल जमानत पर बाहर हैं, लेकिन अब शीर्ष अदालत द्वारा सज़ा सुनाए जाने के बाद उन्हें चार सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करना होगा, और फिर साढ़े तीन साल जेल में बिताने होंगे। हालांकि उनके पास पुनरीक्षण याचिका दायर करने के रूप में एक रास्ता मौजूद है।


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इससे पहले, संजय दत्त के वकील सतीश मानशिंदे ने भी कहा था कि संजय एक मजबूत आदमी हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई सजा को 'जस का तस' स्वीकार कर लिया है। दरअसल, मानशिंदे के अनुसार उन्होंने फैसले के बाद संजय से बात की थी। हालांकि वकील ने यह भी कहा कि वह उपलब्ध कानूनी कार्यवाही करेंगे, लेकिन वह नहीं जानते कि संजय किस तरह की राहत का दावा कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, लेकिन संजय दत्त शीर्ष अदालत द्वारा सुनाए गए साढ़े तीन साल की कैद के फैसले का पालन पूरी तरह से करेंगे। मानशिंदे ने कहा, साढ़े तीन साल कोई बहुत लंबा वक्त नहीं है, और हमने शुरू से ही संजय को सजा के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया था। संजय दत्त एक मजबूत व्यक्ति हैं और वह अपने लिए लड़ेंगे।

कोर्ट ने गुरुवार को संजय के अलावा याकूब अब्दुल रज़्ज़ाक मेमन को मुंबई सीरियल ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बताते हुए उसकी फांसी की सज़ा को बरकरार रखा है, जबकि टाडा कोर्ट द्वारा फांसी की सज़ा पाए शेष 10 अभियुक्तों की सज़ा को घटाकर उम्रकैद कर दिया गया है। इनके अलावा कोर्ट ने उम्रकैद पाए 22 में से दो लोगों को बरी कर दिया है, जबकि शेष 20 की सज़ा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुंबई में हुए सीरियल धमाकों की साज़िश और प्रबंधन अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने किया, और आरोपियों के इकबालिया बयानों का हवाला देते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि मुंबई में हुए बम धमाकों की साज़िश में पाकिस्तान का हाथ था।

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कोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया। कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने आतंकवादियों को ट्रेनिंग और पनाह दी। इसके अलावा कोर्ट ने भारतीय पुलिस और कस्टम विभाग को भी लताड़ लगाई, और कहा कि यदि इन दोनों विभागों ने हथियारों की तस्करी पर सही तरीके से काम करके रोक लगाई होती तो यह वारदात (मुंबई में हुए सीरियल बम धमाके) नहीं होती।