क्या एससी-एसटी में भी क्रीमी लेयर के लिए तैयार होंगे राजनीतिक दल?

सुप्रीम कोर्ट का सुझाव- सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर को बाहर रखा जाना चाहिए

क्या एससी-एसटी में भी क्रीमी लेयर के लिए तैयार होंगे राजनीतिक दल?

प्रतीकात्मक फोटो.

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर राजनीतिक दल खामोश
  • बीजेपी नेता की राय- संसद में क्रीमी लेयर के बारे में कुछ करना मुश्किल
  • दलित विचारक ने कहा, दलितों में क्रीमी लेयर से एक अच्छा राष्ट्र बनेगा
नई दिल्ली:

प्रमोशन में आरक्षण के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला किया, उसके बाद एससी-एसटी में क्रीमी लेयर की बहस शुरू हो गई है. अदालत ने दरअसल माना है कि ओबीसी की तरह एससी-एसटी में भी क्रीमी लेयर होना चाहिए.

सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए एससी-एसटी आरक्षण के दौरान क्रीमी लेयर को इससे बाहर रखा जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर राजनीतिक दल खामोश हैं. अदालत ने क्रीमी लेयर की कसौटी तय करने का अधिकार संसद पर छोड़ा है, लेकिन सवाल उठ रहा है कि क्या फिलहाल कोई भी राजनीतिक दल इसके लिए तैयार होगा?

बीजेपी के नेता विजय सोनकर शास्त्री ने कहा 'मेरी व्यक्तिगत राय है  कि जहां सामाजिक आधार पर रिजर्वेशन दिया गया है वहां क्रीमी लेयर कैसे लागू हो सकेगा. मेरी सोच है कि पार्लियामेंट के लिए क्रीमी लेयर के बारे में कुछ करना मुश्किल होगा.'

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लेकिन एससी हितों की नुमाइंदगी का दावा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव को इन समुदायों के खिलाफ पाते हैं.
उनके मुताबिक ऐसी क्रीमी लेयर ही पूरे समुदाय को आगे ले जान की पहल करती है. दलित विचारक चंद्रभान  ने कहा ' दलितों में क्रीमी लेयर बनाने से एक अच्छा राष्ट्र बनेगा. पूरी दुनिया में हर समाज में वहां की क्रीमी लेयर बदलाव की लड़ाई लड़ती है. अपने पिछड़े लोगों के लिए प्रगति का रास्ता खोलता है.'

VIDEO : एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण को हरी झंडी

जिस तरह एससी-एसटी समुदाय अपने राजनीतिक हितों को लेकर इन दिनों मुखर हैं, उसे देखते हुए फिलहाल नहीं लगता कोई राजनीतिक दल इसके लिए आसानी से तैयार होगा.


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