लापता होने के चार दशक बाद इंटरनेट ने 94 वर्षीय महिला को परिवार से मिलाया

इस महिला को वर्ष 1979-80 में एक ट्रक चालक ने मध्यप्रदेश के दमोह जिले की सड़क पर दयनीय हालत में पैदल चलते हुए पाया था और वह कहां की रहने वाली है, इसका सुराग नहीं मिल पाया था.

लापता होने के चार दशक बाद इंटरनेट ने 94 वर्षीय महिला को परिवार से मिलाया

प्रतीकात्मक तस्वीर

भोपाल:

महाराष्ट्र से करीब चार दशक पहले लापता हुई 94 वर्षीय एक महिला इंटरनेट की मदद से फिर से अपने परिवार से मिली है. हालांकि, दुर्भाग्यवश जब पंचूबाई नाम की यह महिला तीन दिन पहले नागपुर में अपने पोते के घर पहुंची, वह अपने बेटे से नहीं मिल सकी, क्योंकि तीन साल पहले उसके बेटे की मौत हो चुकी है. इस महिला को वर्ष 1979-80 में एक ट्रक चालक ने मध्यप्रदेश के दमोह जिले की सड़क पर दयनीय हालत में पैदल चलते हुए पाया था और वह कहां की रहने वाली है, इसका सुराग नहीं मिल पाया था. ट्रक चालक इसरार खान ने शनिवार को बताया, ''जब उसे पाया गया था, तब उसे मधुमक्खियों ने बुरी तरह से काट रखा था और वह साफ-साफ नहीं बोल पा रही थी.'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पिताजी इस महिला को अपने घर ले आये और वह उनके परिवार के साथ रहने लगी. मैं उस वक्त एक छोटा सा बच्चा था.''

खान ने बताया, ''हम उसे अच्छन मौसी कहने लगे. वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है और प्राय: मराठी में अस्पष्ट रूप से बोलती है, जिसे हम समझ नहीं सके.'' उन्होंने कहा, ''मैंने भी कई बार उससे उसके परिवार के बारे में पूछा, लेकिन वह कुछ नहीं बोल पाई.'' खान ने उसके बारे में फेसबुक पर भी लिखा, लेकिन इसके बाद भी उसके परिजनों के बारे में कोई सुराग नहीं मिला.

उन्होंने कहा, ''वह खंजमा नगर के बारे में प्राय: कहती थी. गूगल में सर्च करने पर यह जगह नहीं मिली. इसके बाद इस साल चार मई को लॉकडाउन के दौरान जब मैं घर में था, तब हमने फिर उसके गृहनगर के बारे में पूछा. इस बार उसने परसापुर बताया. इसके बाद हमने इसे गूगल पर ढूंढा और महाराष्ट्र में एक परसापुर मिला.'' इसके बाद खान ने सात मई को परसापुर में एक दुकानदार अभिषेक से फोन पर संपर्क किया और इस महिला के बारे में बताया. किरार समुदाय के अभिषेक ने खान को बताया कि परसापुर कस्बे के पास एक गांव है, जिसे खंजमा नगर कहते हैं.

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खान ने बताया, ''मैंने सात मई की रात साढ़े आठ बजे अपनी मौसी का वीडियो व्हाट्सएप पर अभिषेक को भेजा. इसके बाद उसने इस वीडियो को किरार समुदाय में शेयर किया. मुझे मध्यरात्रि के आसपास अभिषेक का फोन आया और उसने कहा कि इस महिला की पहचान उसके रिश्तेदारों ने कर ली है. लेकिन लॉकडाउन के कारण उसे तब उसके घर नहीं भेजा जा सका.'' उन्होंने कहा कि इसके बाद इस महिला को 17 जून को उसका पोता पृथ्वी भैयालाल नागपुर अपने घर ले गया है. पृथ्वी का पैतृक गांव खंजमा नगर है.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)