भारत में ही बनते हैं विश्‍वस्‍तरीय बॉडी आर्मर, पर हमारे पुलिसवालों को नसीब नहीं

भारत में ही बनते हैं विश्‍वस्‍तरीय बॉडी आर्मर, पर हमारे पुलिसवालों को नसीब नहीं

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

नई दिल्‍ली:

पिछले सोमवार को पंजाब पुलिस के बहादुर ऑफिसर बलजीत सिंह ने गुरदासपुर में पुलिस थाने पर हमला करने वाले तीन आतंकियों को आमने-सामने की लड़ाई के लिए ललकारा। चंद मिनटों में ही बलजीत सिंह शहीद हो गए। उनके सिर में गोली लगी थी।

उन्‍होंने ना तो कोई हेलमेट पहन रखा था और ना ही भारतीय सेना द्वारा इजाद किया गया बुलेटप्रूफ पटका, जो सिखों को गोलीबारी से एक हद तक सुरक्षित रखता है।

बलजीत सिंह के साहस, या कहें कि उस वक्‍त उनके साथ मौजूद पंजाब पुलिस के जवानों का साहस इस तथ्‍य को नकार नहीं सकता कि केवल हिम्‍मत के भरोसे पूरी तरह से प्रशिक्षित और हथियारबंद आतंकियों से निपटा नहीं जा सकता।

दूसरी ओर पंजाब पुलिस के कुछ दूसरे कर्मी भी बिना हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट ही केवल अपनी एसएलआर बंदूक के साथ आतंकियों से लोहा लेने की कोशिश करते रहे जबकि एसएलआर का दुश्‍मनों की एके-47 राइफल से कोई मुकाबला नहीं है। थोड़ी ही दूरी पर कुछ स्‍थूलकाय पुलिसकर्मी एक इमारत की छत पर जाकर आतंकियों पर ग्रेनेड फेंकते और फिर उसके फटने से पहले अपनी जान बचाने के लिए भागते नजर आए। जब पंजाब पुलिस की स्‍पेशल वेपंस एंड टैक्टिक्‍स (SWAT) टीमें मौका-ए-वारदात पर पहुंचीं तो उसके जवान भी बिना हेलमेट और बुलेटप्रूफ जैकेट के ही पोजिशन लेने लगे।

2001 में संसद पर हुए हमले के 14 साल बाद भी पुलिसवालों के लिए ज्‍यादा कुछ नहीं बदला है। उस वक्‍त भारी हथियारों से लैस आतंकियों से कुछ पुलिसवाले पिस्‍तौल से टक्‍कर लेने की कोशिश कर रहे थे। 2008 में मुंबई में हुए 26/11 हमले के दौरान तो कुछ पुलिस वाले कसाब जैसे आतंकी का सामना केवल लाठी के सहारे कर रहे थे। कुछ के पास ली एनफील्‍ड .303 राइफल थी। बहुत कम पुलिसकर्मियों के पास बुलेटप्रूफ जैकेट थी और हेलमेट के नाम पर सबके पास केवल क्रिकेट हेलमेट ही थे।

ऐसा क्‍यों है कि 2015 में भी हमारे पुलिसवाले एक शताब्दि पहले विश्‍वयुद्ध में लड़ने वाले सैनिकों से भी कम सुरक्षित हैं? आप यकीन करें या नहीं, लेकिन इसका समाधान बहुत ही आसानी से हमारे देश में ही मौजूद है।

क्‍या आप जानते हैं कि भारत बॉडी आर्मर बनाने की तकनीक में दुनिया में सबसे आगे देशों में से एक है? क्‍या आप जानते हैं कि आत्‍मरक्षा के लिए उच्‍च गुणवत्ता के बुलेटप्रूफ जैकेट और हेलमेट भारत में ना केवल बनाए जाते हैं बल्कि 100 से ज्‍यादा देशों के 230 से ज्‍यादा सुरक्षाबलों को निर्यात भी किए जाते हैं। इसका उपयोग करनेवालों में ब्रिटेन, जर्मनी, स्‍पेन और फ्रांस की सेना - और पूर्व में जापन से लेकर पश्चिम में अमेरिका की पुलिस तक शामिल है।

भारत के सबसे बड़े बॉडी आर्मर निर्माता कानपुर के एमकेयू का मानना है कि सबसे बड़ी समस्‍या पुलिसबलों की मानसिकता है जिससे उन्‍हें निपटना होगा।

एमकेयू के चेयरमैन मनोज गुप्‍ता के अनुसार, 'ज्‍यादातर पुलिसबल और रिजर्व पुलिस फोर्स दंगों से निपटने के लिए तो जरूरी साजोसामान से तो लैस रहती हैं लेकिन आतंक विरोधी अभियानों के लिए नहीं। नीति निर्माताओं को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।

एक अनुमान के अनुसार भारतीय पुलिसवालों के लिए कम से कम 50000 बुलेटप्रूफ किट की आवश्‍यकता है लेकिन स्‍पष्‍ट रूप से कभी भी ये सामने नहीं आता क्‍योंकि हर राज्‍य अपनी कानून व्‍यवस्‍था के निर्णय खुद लेते हैं और शायद ही कभी इस बारे में अपनी जरूरत का उल्‍लेख करते हैं जब तक कि वो कोई टेंडर ना निकालें।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

लेकिन असल समस्‍या शुरू होती है अधिग्रहण प्रक्रिया के साथ। अधिग्रहण की समय सीमा लगातार बढ़ायी जाती है।