दशकों से बंधक बने हाथी मोहन को आखिरकार जंजीरों से मिली मुक्ति

दशकों से बंधक बने हाथी मोहन को आखिरकार जंजीरों से मिली मुक्ति

मुक्त कराया गया हाथी मोहन।

खास बातें

  • चुरमुरा में स्थित हाथी संरक्षण एवं पुनर्वास केंद्र लाने के प्रयास जारी
  • अदालत ने दिया दोषियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश
  • वन विभाग ने पुलिस के सहयोग से 20 घंटे तक अभियान चलाया
मथुरा:

बीते 55 साल के जीवन में अधिकांश समय जंजीरों से बंधे रहे हाथी मोहन की किस्मत आखिरकार बदल गई। उसे हाल ही में प्रतापगढ़ वन विभाग ने पुलिस के सहयोग से 20 घंटे तक अभियान चलाकर मुक्त करा लिया। अब वाइल्ड लाइफ एसओएस मथुरा मोहन को चुरमुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं पुनर्वास केंद्र लाने का प्रयास कर रहा है।

वाइल्ड लाइफ एसओएस ने लड़ी कानूनी लड़ाई
संगठन की जनसंपर्क अधिकारी सुविधा भटनागर के अनुसार इस हाथी को बहुत ही कड़े और लंबे संघर्ष के पश्चात मुक्त कराया जा सका है। वाइल्ड लाइफ एसओएस इस मामले में प्रतापगढ़ वन विभाग के साथ कई वर्षों से कानूनी तथा सामाजिक स्तर पर प्रयास कर रहा था। इसके फलस्वरूप गत सप्ताह जब प्रतापगढ़ की जिला अदालत ने पुलिस को तीन दिन में दशकों से बंधक बनाकर रखे गए हाथी मोहन को मुक्त कराकर दोषियों के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए तो वहां के जिला प्रशासन ने 20 घंटे लंबा अभियान चलाया। इस अभियान में इस एनजीओ ने भी पूरा साथ दिया।

 

मुख्य आरोपी महावत गुलाम गिरफ्तार
इस अभियान के लिए मथुरा के हाथी केंद्र से एक विशेष टीम वहां भेजी गई थी जिसमें एक प्रशिक्षित महावत सोनू और पशु चिकित्सक डॉ गोचलन मुख्य रूप से शामिल थे। इस अभियान के दौरान हाथी को बंधक बनाने वाले मुख्य आरोपी गुलाम नामक महावत को गिरफ्तार कर लिया गया।

भूखा रखने और प्रताड़ित करने से मोहन की हालत खराब
प्रतापगढ़ के प्रभागीय निदेशक (सामाजिक वानिकी) वाईपी शुक्ला के अनुसार कई दशकों से उत्पीड़न का शिकार बने रहे मोहन की हालत अत्यंत दयनीय है। उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है और भूखा रखा गया है, जिससे उसकी हालत बेहद चिंताजनक बन गई है।

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