यह ख़बर 30 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मुश्किल में भाजपा, येदियुरप्पा शर्तों पर अड़े

खास बातें

  • भाजपा शुक्रवार को कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ बैठक में कोई रास्ता निकाल नहीं पाई।
बेंगलुरू:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शुक्रवार को कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ बैठक में कोई रास्ता निकाल नहीं पाई। समझा जा रहा है कि येदियुरप्पा अपनी विदाई के लिए पार्टी के समक्ष कठिन शर्तें रख रहे हैं। संकट का हल न निकलता देख पार्टी ने विधायक दल की बैठक टाल दी है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने मुख्यमंत्री के आवास पर येदियुरप्पा से आधे घंटे से अधिक देर तक मुलाकात की। पार्टी चाहती है कि येदियुरप्पा पहले पद छोड़ें और उसके बाद पार्टी में उनकी भविष्य की भूमिका पर चर्चा हो। दक्षिण भारत में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को हालांकि अपने विधायकों से समर्थन भी मिल रहा है। जिस समय उनकी पार्टी नेताओं राजनाथ और जेटली के साथ बैठक चल रही थी उस समय उनके आवास के बाहर पार्टी के विधायक 'येदियुरप्पा को बदलने का सवाल नहीं' के नारे लगा रहे थे। येदियुरप्पा के समर्थकों ने जो शर्तें दी हैं उनमें येदियुरप्पा को अपना उत्तराधिकारी चुनने और मंत्रिमंडल के बारे में निर्णय का अधिकार शामिल है। इसके अलावा समर्थक चाहते हैं कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में येदियुरप्पा पार्टी का नेतृत्व करें और यदि भाजपा जीत दर्ज करती है तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए। वहीं, मामले में कोई रास्ता न निकलने पर सिंह और जेटली पर दबाव बढ़ गया है अन्यथा पार्टी की छवि को और नुकसान पहुंचने की आशंका है। इस बीच, बैठक में येदियुरप्पा के उत्तराधिकारी पर कोई आम सहमति न बनने पर शुक्रवार की शाम प्रस्तावित विधायक दल की बैठक को टाल दिया गया है। भाजपा को संकट से उबरता हुआ न पाने पर कांग्रेस को उस पर हमला करने का मौका मिला है। नई दिल्ली में कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भाजपा की यह कहकर खिल्ली उड़ाई कि मालूम पड़ता है कि येदियुरप्पा पद छोड़ने के लिए शर्तें गिना रहे हैं। येदियुरप्पा के समर्थकों का दावा है कि उन्हें 225 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के 121 सदस्यों में से 75 का समर्थन हासिल है। गुरुवार सुबह भाजपा संसदीय बोर्ड द्वारा उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहे जाने के बाद येदियुरप्पा पहली बार सार्वजनिक रूप से समर्थकों के सामने आए। कुछ ही देर बाद मंत्री और विधायक भी विजय चिह्न बनाते हुए मुख्यमंत्री के आवास से बाहर निकले। आबकारी मंत्री एमपी रेणुकाचार्य और विधायक एसआर विश्वनाथ ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने दोनों केंद्रीय नेताओं को बताया कि येदियुरप्पा को पद पर बने रहना चाहिए। उधर, राजधानी बेंगलुरू में विधायकों ने अलग-अलग बैठक कर नए मुख्यमंत्री पर विचार तेज कर दिया। दूसरी तरफ भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और कर्नाटक से राज्यसभा सांसद वेंकैया नायडू और राज्य के सहप्रभारी और पार्टी महासचिव धमेंद्र प्रधान गुरुवार से विधायकों, मंत्रियों और सांसदों के साथ बैठक कर उनके विचार जानने का प्रयास किया। येदियुरप्पा के आवास से बाहर येलहांका (उत्तरी बेंगलुरू) से विधायक एसआर विश्वनाथ ने पत्रकारों से कहा, "दोनों नेताओं ने कहा है कि वे यहां दो दिन और रुकेंगे और कोई फैसला लेने से पहले प्रत्येक विधायक के विचार जानेंगे।" इस संकट का हल निकालने के लिए राजनाथ और जेटली पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के निर्देशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।


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