बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार से की मांग: संन्यासियों को भी मिले भारत रत्न, 70 साल में एक भी नहीं मिला

योग गुरु बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार से अपील की है कि अगले साल से भारत के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान 'भारत रत्न' से संन्यासी और संतों को भी नवाजा जाए.

बाबा रामदेव ने केंद्र सरकार से की मांग: संन्यासियों को भी मिले भारत रत्न, 70 साल में एक भी नहीं मिला

सन्यासी को भी भारत रत्न दिए जाने की बाबा राम देव ने की मांग (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने केंद्र सरकार से अपील की है कि अगले साल से भारत के सर्वोच्च नागरिकता सम्मान 'भारत रत्न' से संन्यासी और संतों को भी नवाजा जाए. बता दें कि भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिकता पुरस्कार है. इस साल तीन लोगों को भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया है, जिनमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, दिवंगत समाजिक कार्यकर्ता नानाजी देशमुख और दिवंगत गायक और संगीतकार भूपेन हजारिका शामिल हैं.

70वें गणतंत्र दिवस के मौके पर शनिवार को मीडिया से बातचीत में बाबा रामदेव ने कहा कि 'दुर्भाग्य है कि 70 सालों में एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं मिला. महर्षि दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद जी, या शिवकुमार स्वामी जी. मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि अगली बार कम से कम किसी सन्यासी को भी भारत रत्न दिया जाए.'

इस साल 'भारत रत्न' सम्मान को लेकर भी कई तरह के सवाल उठे. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम जी परमेश्वर ने मांग की कि कर्नाटक में तुमकुरु स्थित सिद्धगंगा मठ के प्रमुख डॉ. शिवकुमार स्वामी को भारत रत्न दिया जाना चाहिए. दरअसल, बीते दिनों कर्नाटक में तुमकुरु स्थित सिद्धगंगा मठ के प्रमुख डॉ. शिवकुमार स्वामी का 111 साल की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे और उनका मठ में ही इलाज चल रहा था. उनके निधन के बाद राज्य के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने तीन दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया था. 

कौन हैं प्रणब मुखर्जी?
प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति रह चुके हैं. उन्होंने 25 जुलाई 2012 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी. वह इस पद पर 25 जुलाई 2017 तक रहे. 1984 में प्रणव मुखर्जी वित्तमंत्री रह चुके थे. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में उन्होंने 1995 से लेकर 1996 तक विदेश मंत्री के रूप में काम किया था.कांग्रेस के अग्रिम कतार के नेताओं में गिने जाने वाले  प्रणव मुखर्जी पिछले साल आरएसएस के कार्यक्रम में जाने को लेकर भी सुर्खियों में रहे.
कौन हैं नानाजी देशमुख

कौन हैं नानाजी देशमुख?
11 अक्टूबर 1916 को जन्मे नानाजी देशमुख का 27 फरवरी  2010 को निधन हो गया. वह समाजसेवी और भारतीय जनसंघ के नेता थे. बताया जाता है कि 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्हें मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. मगर उन्होंने यह कहकर मंत्रिपद ठुकरा दिया कि 60 वर्ष से अधिक की उम्र के लोग सरकार से बाहर रहकर समाजसेवा का कार्य करें. उन्होंने दीन दयाल उपाध्याय शोध संस्थान के तहत तमाम समाजसेवा से जुड़े कार्यों को विस्तार दिया. अटल विहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें भारत सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया था. नानाजी देशमुख का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में एक मराठा परिवार में हुआ था. 1940 में डॉ. हेडगेवार  के निधन के बाद नानाजी ने संघ की शाखाओं से जुड़ने के लिए युवाओं को प्रेरित किया.  
भूपेन हजारिका के बारे में जानिए

कौन हैं भूपेन हजारिका?
भूपेन हजारिका ऐसे बिरले कलाकारों में रहे जो कि खुद गीत लिखते थे, संगीत देते थे और उसे गाते भी थे. आठ दिसंबर 1926 को असम में जन्मे भूपेन हजारिका का पांच नवंबर 2011 को निधन हो गया था. भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों को दीवाना बनाया. उन्होंने कई गीतों को जादुई आवाज दी. ओ गंगा तू बहती क्यों है... और दिल हूम हूम करे जैसे गीतों ने भूपेन हजारिका को प्रशंसकों को दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया.  असम का निवासी होने के कारण भूपेन असमिया संस्कृति और संगीत से भी जुड़े रहे. भूपेन हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था.

VIDEO: पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न

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