खुफिया एजेंसियों को लगता है, घाटी में फिर मजबूत हो रहा है जैश-ए-मोहम्मद, यह है वजह

और अब तो उनकी ट्रेनिंग भी हिन्दुस्तान में ही होने लगी है, और वह भी उन बंदूकों से, जो पुलिसवालों से छीनी गई हैं. पहले आतंकवादी संगठनों में भर्ती किए गए युवाओं को ट्रेनिंग के लिए सीमापार पाक-अधिकृत कश्मीर में ले जाया जाता था.

खुफिया एजेंसियों को लगता है, घाटी में फिर मजबूत हो रहा है जैश-ए-मोहम्मद, यह है वजह

कश्मीर में आतंकवादी

खास बातें

  • कश्मीर में युवा आतंकियों की संख्या में इजाफा
  • स्थानीय आतंकवादियों की तादाद बढ़ी
  • सुरक्षा बलों के लिए चिंता का बड़ा कारण.
नई दिल्ली:

दक्षिणी कश्मीर में एक 20-वर्षीय आतंकवादी की गिरफ्तारी ने सुरक्षाबलों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि इससे पता चल रहा है कि आतंकवादी संगठनों से जुड़ने वाले युवाओं की तादाद लगातार बढ़ रही है, जिनमें से कई तो सोशल मीडिया के ज़रिये इन संगठनों में शामिल हो रहे हैं, और अब तो उनकी ट्रेनिंग भी हिन्दुस्तान में ही होने लगी है, और वह भी उन बंदूकों से, जो पुलिसवालों से छीनी गई हैं. पहले आतंकवादी संगठनों में भर्ती किए गए युवाओं को ट्रेनिंग के लिए सीमापार पाक-अधिकृत कश्मीर में ले जाया जाता था.

सोमवार को गिरफ्तार किए गए 20-वर्षीय आरज़ू बशीर नजर ने फेसबुक का इस्तेमाल कर अन्य युवाओं से संपर्क साधा, जो आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के इच्छुक थे. सुरक्षाबलों द्वारा जारी की गई तस्वीरों में उसे बंदूक के साथ पोज़ करते देखा जा सकता है, जो मोटे तौर पर हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन के 22-वर्षीय कमांडर बुरहान वानी जैसा ही पोज़ है, जो लगभग एक साल पहले मुठभेड़ में मारा गया था, और उसके बाद कश्मीर घाटी में कई महीने तक हिंसा का दौर जारी रहा था, जिसमें लगभग 100 लोगों की जान चली गई थी.

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एक दुकानदार का बेटा नजर पहले पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सदस्य था, और बाद में वह पाकिस्तान से फंडिंग पाने वाले हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन से जुड़ गया, और त्राल में ऑपरेट करने लगा, जो श्रीनगर से लगभग 40 किलोमीटर दूर है. त्राल ही बुरहान वानी का भी होमबेस था. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने NDTV को बताया, "वह शुरू में जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था, लेकिन उन लोगों से कुछ मतभेद हो जाने की वजह से वह यहां आकर हिज़्बुल में शामिल हो गया..."

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सूत्रों का कहना है कि नजर उन बहुत-से युवाओं जैसा ही है, जिन्हें कट्टरपंथी बनाकर आतंकवादियों द्वारा भर्ती किया जा रहा है. राज्य के खुफिया विभाग का कहना है कि पिछले साल के दौरान हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन ने सिर्फ दक्षिणी कश्मीर में ही कम से कम 50 युवाओं को भर्ती किया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, "ये वे लड़के हैं, जिनके बारे में हमें पता है... कुछ ऐसे भी हैं, जो अचानक लापता हो जाते हैं, और उनके परिवार वाले भी कोई शोर नहीं मचाते..." पिछले 10 महीनों के दौरान इसी दक्षिणी कश्मीर में 65 आतंकवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें से ज़्यादातर स्थानीय थे, पाकिस्तान से आए घुसपैठिये नहीं.

सूत्रों का कहना है कि कई युवाओं का झुकाव अब जैश-ए-मोहम्मद की तरफ होने लगा है, जिसे ज़्यादा ऑर्गेनाइज़्ड और हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन जैसे अन्य संगठनों की तुलना में बेहतर फंडिंग पाने वाला माना जाता है. संवेदनशील जानकारी देने के नाम पर अपनी पहचान नहीं बताने की शर्त के साथ एक सुरक्षा अधिकारी ने कहा, "स्थानीय गुटों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि मारे गए ज़्यादातर लड़के स्थानीय थे, सो, अब जैश उस जगह को भरने की कोशिश में जुट गया है, जो उनके जाने से खाली हुई..."

हाल ही तक इंटरसेप्ट की गई फोन कॉलों के भरोसे सुरक्षा एजेंसियों का मानना था कि जैश-ए-मोहम्मद घाटी से पूरी तरह साफ हो चुका है, लेकिन पिछले दो महीनों में खुफिया सूचनाओं से संकेत मिलते हैं कि इस इलाके में उसका संगठन मजबूत हो रहा है. खासतौर से दक्षिणी कश्मीर में, जो बुरहान वानी से प्रेरित होने वाले युवा आतंकवादियों का गढ़ है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "एक विदेशी आतंकवादी यहां बहुत लम्बे समय तक नहीं टिक सकता, अगर उसकी तुलना स्थानीय आतंकवादी से की जाए, क्योंकि उसका यहां कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं होता... औसतन अगर कोई स्थानीय आतंकवादी चार साल तक ज़िन्दा रहता है, तो विदेशी आतंकवादी लगभग दो साल या उससे भी कम में मारा जाता है..."
VIDEO: आतंकवाद पर सरकार का रुख

अधिकारियों के मुताबिक, भले ही जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले दो सालों में सैन्य ठिकानों पर बेहद बड़े हमले किए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर उनकी ताकत कम होती गई, लेकिन अब नए सबूतों से संकेत मिलते हैं कि ऐसा नहीं है. उनका कहना है कि पाकिस्तान हमलों में किसी तरह की कमी नहीं आने देना चाहता, इसलिए जैश-ए-मोहम्मद को अन्य संसाधन तथा सपोर्ट उपलब्ध करा रहा है, ताकि उनकी हालत मजबूत हो.


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