सरकार ने विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक के NGO को पूर्व अनुमति की सूची में डाला

सरकार ने विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक के NGO को पूर्व अनुमति की सूची में डाला

विवादित इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक (फाइल फोटो)

खास बातें

  • ढाका आतंकी हमले के बाद जाकिर नाईक सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर आया था
  • महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार नाईक आतंकवाद के प्रचार में संलग्न रहा
  • सरकार आईआरएफ को गैर कानूनी घोषित करने की योजना बना रही है
नई दिल्‍ली:

विवादास्पद इस्लामी प्रचारक जाकिर नाईक द्वारा शुरू की गई आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट को सरकार ने पूर्व अनुमति श्रेणी में डाल दिया है जिसके चलते अब यह केन्द्र की अनुमति के बिना विदेशी धन हासिल नहीं कर पाएगा.

गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना में कहा कि उपलब्ध रिकॉर्ड एवं खुफिया एजेंसियों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया कि आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट ने विदेशी योगदान नियमन कानून (एफसीआरए) 2010 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

अधिसूचना में कहा गया, ‘परिणामस्वरूप अब केन्द्र सरकार एफसीआरए 2010 की धारा 11 उपधारा तीन में निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह स्पष्ट करती है कि आईआरएफ एजुकेशनल ट्रस्ट कानून की धारा 12 तथा इसके नियमों के तहत कोई भी विदेशी योगदान लेने से पहले केन्द्र सरकार से हर बार पूर्व अनुमति लेगी.’

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह कदम तब उठाया गया है जबकि विभिन्न जांचों में पाया गया कि नाईक एनजीओ के लिए आये धन का इस्तेमाल युवाओं को कथित रूप से कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रेरित करने में कर रहा था. सरकार जाकिर नाईक द्वारा शुरू की गयी एक अन्य एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का एफसीआरए पंजीकरण रद्द करने की प्रक्रिया में है. इस संबंध में संस्था को अंतिम कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है.

दिलचस्प है कि नाईक के विरुद्ध विभिन्न एजेंसियों की जांच चलने के बावजूद एफसीआरए के तहत आईआरएफ के पंजीकरण का सितंबर में भूल से नवीनीकरण किया गया. इसके चलते गृह मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव और चार अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया. सरकार गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत आईआरएफ को गैर कानूनी एसोसिएशन घोषित करने की योजना बना रही है तथा इसके लिए केन्द्रीय कैबिनेट की अनुमति की प्रतीक्षा है.

एक सूत्र ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस की सूचनाओं पर आधारित एक मसौदा दस्तावेज के अनुसार नाईक ने कथित रूप से कई भड़काऊ भाषण दिये और आतंकवाद के प्रचार में संलग्न रहा. सूत्रों ने दावा किया कि नाईक ने आईआरएफ के विदेश कोष को पीस टीवी को ‘आपत्तिजनक’ कार्यक्रम बनाने के लिए स्थानांतरित कर दिया. अधिकतर कार्यक्रम, जो भारत में निर्मित किए गये, में नाईक के कथित घृणापूर्ण भाषण हैं.

नाईक ने पीस टीवी के जरिये कथित रूप से सभी मुस्लिमों से आतंकवादी बनने का अनुरोध किया. नाईक उस समय सुरक्षा एजेंसियों की निगाहों में आ गया जब बांग्लादेशी समाचारपत्र डेली स्टार ने खबर दी कि ढाका में एक जुलाई को हुए आतंकी हमले के एक षड्यंत्रकर्ता रोहन इम्तियाज ने पिछले साल नाईक को उद्धृत करते हुए फेसबुक पर दुष्प्रचार चलाया था. इस इस्लामी प्रचारक को अन्य धर्मों के प्रति उसके घृणापूर्ण भाषणों के चलते ब्रिटेन एवं कनाडा में प्रतिबंधित कर दिया गया. वह मलयेशिया में प्रतिबंधित किये गये 16 इस्लामी विद्वानों में शामिल है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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