69000 Shikshak Bharti: 69000 सहायक टीचर्स की भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है.

69000 Shikshak Bharti: 69000 सहायक टीचर्स की भर्ती का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

यूपी के 69000 सहायक टीचर्स भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा गया है.

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के 69000 सहायक टीचर्स की भर्ती का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में यूपी सरकार के नियमों को सही माना गया है, जिससे भर्ती का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन कट ऑफ मार्क्स को लेकर शिक्षामित्र एसोसिएशन विरोध कर रहा है. 

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शिक्षामित्र एसोसिएशन की तरफ से ये याचिका सोमवार को एडवोकेट गौरव यादव ने दायर की है. याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी के प्राथमिक स्कूलों में सहायक टीचर्स की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है. 

दरअसल, ये पूरा विवाद भर्ती एग्जाम के नंबर को लेकर है. यूपी सरकार ने एग्जाम पास करने के लिए न्यूनतम मार्क्स निर्धारित किए हैं. यूपी सरकार ने रिजर्व कैटेगरी के सदस्यों के लिए कम से कम 60 फीसदी और अन्य श्रेणी के कैंडिडेट्स के लिए 65 फीसदी नंबर लाना अनिवार्य किया है. इसी बात को लेकर पूरा विवाद शुरू हुआ और मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया. लंबे समय तक कोर्ट में यह मामला रहा और अंत में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले को सही मानते हुए भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश भी दे दिया. 

मंगलवार को इस भर्ती का रिजल्ट भी घोषित किया जा चुका है. रिजल्ट वेबसाइट atrexam.upsdc.gov.in. पर  अपलोड होने के बाद देखा जा सकेगा. बता दें कि 69000 सहायक टीचर्स की भर्ती 2018 में निकाली गई थी, लेकिन अब तक ये वैकेंसी भरी नहीं जा सकी हैं. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

वहीं, मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है. यूपी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पिटीशन लगाई है. कैविएट पिटीशन इसलिए लगाई जाती है ताकि कोर्ट बिना उनका पक्ष जाने दूसरे याचिकाकर्ता के हक में कोई आदेश जारी न करे.