दिल्ली: मंडी हाउस में विकलांग उम्मीदवारों का प्रदर्शन जारी, रेलवे बोर्ड के खिलाफ है नाराजगी

कोई चल नहीं पा रहा है तो कोई देख नहीं पा रहा है लेकिन नौकरी का जुनून इन्हें दिल्ली तक खींच लाया है.

दिल्ली: मंडी हाउस में विकलांग उम्मीदवारों का प्रदर्शन जारी, रेलवे बोर्ड के खिलाफ है नाराजगी

प्रदर्शन करते विकलांग उम्मीदवार

खास बातें

  • दिल्ली: मंडी हाउस में विकलांग उम्मीदवारों का प्रदर्शन जारी
  • रेलवे बोर्ड के खिलाफ है विकलांग उम्मीदवारों की नाराजगी
  • नौकरी का जुनून विकलांग उम्मीदवारों को दिल्ली तक खींच लाया
नई दिल्ली:

बुधवार को दिल्ली में जब बारिश हो रही थी तब मंडी हाउस के सर्किल पर विकलांग उम्मीदवार रेलवे बोर्ड के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. पिछले तीन दिनों से ये लोग यहीं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. कोई चल नहीं पा रहा है तो कोई देख नहीं पा रहा है लेकिन नौकरी का जुनून इन्हें दिल्ली तक खींच लाया है. ये लोग रात को मण्डी हाउस में खुले आसमान के नीचे सो जाते हैं.  कोई बिहार से आया है तो कोई झारखंड से. देश के अलग अलग राज्यों से आए इन उम्मीदवारों के लिए दिल्ली पहुंचना आसान नहीं था. ट्रेन में 20 -25 घंटे सफर करके यह लोग दिल्ली पहुंचे हैं. कई महिलाएं भी प्रदर्शन करने के लिए पहुंची हैं. 

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विकलांग उम्मीदवारों का कहना है कि वो 2018 में रेलवे भर्ती बोर्ड के ग्रुप डी की लिखित परीक्षा में पास हो गए थे. लिखित परीक्षा का रिजल्ट जब आया तब कट ऑफ मार्क नहीं दिखाया गया था. जो लोग लिखित परीक्षा में पास हुए थे उन्हें कहा गया था कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन होगा. छात्र डाक्यूमेंट बनवाने में जुट गए. लेकिन कुछ दिन के बाद रेलवे ने इस परीक्षा में सीट बढ़ा दी. फिर दोबारा रिवाइज नतीजा आया लेकिन इसमें इन विकलांगों का नाम नहीं था. 

jd5q5g4gविकलांग कर रहे प्रदर्शन 

जो विकलांग प्रदर्शन करने आएं हैं उनको तो पहले लिखित परीक्षा में पास कर दिया गया, फिर बिना कारण बताए फेल भी कर दिया गया. इनका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन नहीं हुआ लेकिन बाद में इन्हें बताया गया कि डॉक्यूमेंट वेरिकेशन के बाद यह लोग फेल हैं. इनका चयन नहीं हुआ है. विकलांग उम्मीदवारों ने यह भी आरोप लगाए कि विकलांगों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण के हिसाब से सीट नहीं दी गई है. सीट बढ़ाने के साथ कई नई कैटेगरी भी जोड़ी जाती है जिसमें मल्टीपल डिसेबल्ड एक कैटेगरी भी होती है. उम्मीदवारों का कहना है कि जब एग्जाम के फॉर्म भरे गए थे तब सिर्फ 7 कैटेगरी की बात कही गई थी लेकिन सीट बढ़ाने के साथ-साथ और 14 कैटेगरी जोड़ दी गई. यानी कुल-मिलाकर कैटेगरी 21 हो गई. 

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रेलवे में जब रिवाइज नोटिस निकाला तो उसमें सीट को लेकर कई परिवर्तन भी थे. जैसे अहमदाबाद बोर्ड में ओएल, यानी वन लेग एक पांव वाली श्रेणी में 95 सीटें थीं. वहां घटाकर 61 कर दिया गया. ज्यादातर उम्मीदवारों ने अहमदाबाद बोर्ड का विकल्प भरा था क्योंकि वहां पर 95 सीटें थीं. जाहिर है जहां ज्यादा सीटें होंगी वहीं ज्यादा विकल्प होगा. उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि आवेदन के समय मल्टीपल डिसेबल्ड कैटोगरी के तहत बोथ लेग और बोथ हेड का विकल्प नहीं था लेकिन रेलवे बोर्ड ने MD सीट बढ़ाकर उसका रिजल्ट कैसे दिखाया है. जब इस कैटेगरी के तहत सीट नहीं थी तो जाहिर सी बात है कि कैंडिडेट ने उस कैटेगरी के तहत फॉर्म ही नहीं भरे होंगे तो फिर रिजल्ट में किन अभ्यर्थियों को लिया गया है.

परीक्षा दिए विकलांग उम्मीदवारों ने यह भी आरोप लगाया कि नोटिफिकेशन के दौरान कई राज्य बोर्ड में सीट ही खाली नहीं थी जिसकी वजह से उम्मीदवारों ने उस बोर्ड में फॉर्म ही नहीं भरा था लेकिन जब सीट बढ़ाई गई तो जिस बोर्ड में सीट खाली नहीं थी वहां भी सीट बढ़ा दी गई. जब कैंडिडेट्स ने उस बोर्ड में फॉर्म ही नहीं भरा है तो सीट बढ़ाने से फायदा किसको होगा? नौकरी किसको दी जा रही है? उम्मीदवारों का यह भी कहना है कि बोर्ड परिवर्तन करने का विकल्प भी नहीं दिया गया था. इस तरह कई आरोप लेकर विकलांग यहां पहुंचे थे.

jiqqaevgठंड में खुले आसमान के नीचे सोते हुए प्रदर्शनकारी

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23 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक प्रदर्शनकारियों ने इसी जगह पर तीन दिनों तक प्रदर्शन किया था. रात को जब पूरी दिल्ली सो रहा थी, यह लोग इस सर्किल में बैठकर अपने भविष्य के बारे में सोच रहे थे. रेलवे बोर्ड के आश्वासन के बाद यह लोग चले गए थे. रेलवे बोर्ड ने कहा था कि 14 दिनों के अंदर कुछ समाधान निकल जाएगा लेकिन एक महीना हो गया और कुछ नहीं हुआ. एक बार फिर नौकरी की चिंता इन्हें दिल्ली खींच लाई है.