गांधी जी को जानने के लिए इन 5 जगहों का जरूर करें रूख....

गांधी जी को जानने के लिए इन 5 जगहों का जरूर करें रूख....

नयी दिल्‍ली:

अहिंसा परमों धर्म‌‌‌... यह तीन शब्‍द पढ़कर आपको किसकी याद आई, यकीनन महात्‍मा गांधी की। भारत के राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गांधी के जन्‍म दिन 2 अक्‍टूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इन आज दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। गांधी जी को आप कितना जानते हैं, इन्‍होंने हमें अहिंसा के मार्ग पर चलकर आजादी दिलाई। इन्‍होंने ही सोने की चिडि़या यानी भारतवर्ष को आसमान में उड़ने की आजादी दिलाई। लेकिन  क्‍या आप गांधी जी के बारे में और विस्‍तार से जानना चाहते हैं, अगर हां तो आइए आपको सैर कराते हैं कुछ ऐसी जगहों की जहां से गांधी जी के विचारों, उनके आदर्शों और उसके सिद्धांतों को अंकुर मिला।

पोरबंदर:  गुजरात के इस शहर को व्यापक रूप से गांधी जी के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। महात्मा गांधी के बारे में जानने के इच्‍छुक लोगों के लिए यहां स्थित उनका पैतृक घर, कीर्ति मंदिर सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है। यहीं जन्‍मे गांधी जी ने पोरबंदर के इसी घर में अपना बचपन जिया था।
 


जोहान्सबर्ग: माना जाता है कि दक्षिण अफ्रीका के इस शहर से महात्मा गांधी ने वास्तव में अपनी राजनीतिक विचारधाराओं को पहचाना। गांधी जी ने अपनी जिंदगी के 21 साल यहीं व्‍यतीत किए। गांधी जी की याद में यहां सत्याग्रह सदन या सत्याग्रह हाउस बनाया गया, जिसे आमतौर पर गांधी हाउस के रूप में जाना जाता है। यह जोहान्सबर्ग की ऐतिहासिक विरासत के रूप में पंजीकृत है।
 

अहमदाबाद: यहां गांधी जी का आश्रम है जिसे साबरमती आश्रम के नाम ये जाना जाता है। यहां गांधी जी अपनी पत्‍नी कस्‍तूरबा गांधी के साथ रहा करते थे। दोनों ने यहां 12 साल बिताए। यहीं से ही गांधी जी ने दांडी मार्च की शुरूआत की थी।
 

दांडी: अरब सागर के तट पर स्थित इस जगह से ही नमक सत्याग्रह अपनी परिणति तक पहुंचा। साबरमती से दांडी तक की यात्रा 268.5 किलोमीटर की थी जिसे 24 दिनों में पूरा किया गया।
 

नई दिल्‍ली:  गांधी स्मृति जिसे अब बिरला हाउस के रूप में जाना जाता है में महात्मा गांधी को समर्पित एक संग्रहालय है, जहां गांधी जी ने अपने जीवन के अंतिम पलों के 144 दिन बिताए। पूर्वी दिल्ली में स्थित राजघाट भी गांधी जी को समर्पित किया गया है। यह महात्मा गांधी का समाधि स्थल है जिसे 31 जनवरी 1948 को उनकी हत्या के उपरान्त बनाया गया था।
 

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