Friendship Day 2017: कहानी लड़ती-झगड़ती दोस्ती की...

तकरार का सबसे बड़ा साथी है प्यार। जहां प्यार होता है वहां तकरार होने लगती है यह तकरार कई बार बहुत गम्भीर रूप ले लेती है। मगर मन में कहीं दबा प्यार फिर से दो दोस्तों को मिला देता है।

Friendship Day 2017: कहानी लड़ती-झगड़ती दोस्ती की...

Friendship Day 2017: फ्रेंडशिप डे को बनाएं खास

जब भी बात आती है दोस्‍ती की, तो सभी के दिल खिल उठते हैं. वो कहते हैं न कि बाकि सारे रिश्‍ते तो जन्‍म से ही हमें मिलते हैं, एक दोस्‍ती का ही तो रिश्‍ता है जो हम खुद बनाते हैं. तो यह रिश्‍ता दुनिया में सबसे अजीज होता है. दोस्‍ती में जितना प्‍यार होता है, उतना ही झगड़ा भी. तो चलिए क्‍यों न आज फ्रेंडशिप डे पर दोस्‍ती के इसी लड़ते झगड़ते लेकिन प्‍यार भरे रूप पर डालें एक नजर...

‘यार कुमार बहुत बेकार है मेरी कोई बात समझता ही नहीं, हमेशा अपनी ही चलाता रहता है. उसे लगता है कि वही सही है. मैं उससे कभी बात नहीं करूंगा.’

ये या फिर कुछ ऐसी ही शिकायतें अक्सर कानों में पड़ ही जाती होगी. पर फिर कुछ दिनों के बाद दोनों कंधे पर हाथ डाले घूमते दिख जाते हैं. इसके पीछे कोई दिखावा नहीं, बल्की है गहरी दोस्ती! ऐसी दोस्ती जिसे अगर खुद दोस्त तोड़ना चाहें, तो भी नहीं तोड़ सकते. पर फिर भी उनका ज्यादातर समय लड़ाई में ही बीतता है. ऐसी ही लड़ती झगड़ती दोस्ती पर एक खास रिपोर्ट.

एक दिल दो दिमाग
दोस्तों के बीच होने वाली इस तू-तू, मैं-मैं की एक वजह है दिल मिल जाना. अजी हां, दिल तो मिल गए पर दिमाग का क्या. वह तो अलग-अलग ही सोचता है. जो बात एक को सही लगती है, वह दूसरे को गलत. ऐसे में दोनों सही गलत को लेकर लड़ पड़ते हैं. ऐसे दोस्तों को फिर से मिलाने के लिए दूसरे दोस्तों के सहयोग की जरूरत पडती है, जो इनकी बात करा सके.

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तू क्यूं परेशां है
अक्सर दो दोस्तों के बीच लड़ाई की वजह होती है किसी एक की परेशानी, जो दूसरे को बहुत खलती है कि वह इतना परेशान क्यों है. वह उसे समझाने की भी बहुत कोशिश करता है, पर जब उसके समझाने का कोई असर नहीं होता तो फिर क्या दूसरे का पारा चढ़ जाता है सातवें आसमान पर. और वह सुना डालता है कि क्यूं वह छोटी सी बात से इतना परेशान हो गया है. ऐसी स्थिति अक्सर उन दोस्तों के बीच आ जाती है जिनमें से एक का पारा कुछ ज्यादा ही हाई होता है फिर भी वह दूसरे से बहुत प्यार करता है.

इक-दूजे के लिए
इस तकरार का सबसे बड़ा साथी है प्यार. जहां प्यार होता है वहां तकरार होने लगती है यह तकरार कई बार बहुत गम्भीर रूप ले लेती है. मगर मन में कहीं दबा प्यार फिर से दो दोस्तों को मिला देता है. ऐसे दोस्‍त बहुत जोर-जोर से लड़ते हैं. इतना की आस-पास खडे लोग भी इन्‍हें देखने लगते हैं. पर जैसे ही ये एक दूसरे को सॉरी बोलते हैं मामला पहले जैसा हो जाता है.

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एक बड़ी वजह
दोस्तों के बीच जब लवर आते हैं, तो भी होती है तू-तू, मैं-मैं. कई बार ऐसे में शिकायत शुरू हो जाती है कि ‘तुम्हारे पास मेरे लिए वक्त नहीं’, ‘हमेंशा उसी की बातें करते हो’ वगैरह वगैरह. इस प्राब्लम में इजाफा तब होता है जब किसी एक के पास तो प्‍यार हो, लेकिन दूसरा 'निहत्था'. ऐसे में ‘हेव नाट’ को तो प्राबलम होती ही है, लेकिन जो ‘हेव’है यानि जिसके पास लवर है वह भी सचमुच हेव नाट को हर्ट कर देता है. ऐसे में दोनों को एक दूसरे की फिलिंग्स का ध्यान रखना चाहिए कि कहीं वह दूसरे को अकेला तो नहीं छोड रहा.


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