रमज़ान में इस तरह डायबिटीज और दिल के मरीज भी रख सकते हैं रोज़े, जानिए Expert Advice

मरीजों को रोज़ों के दौरान अपने ब्‍लड ग्लूकोस की रेग्‍युलर जांच करनी चाहिए जिससे डायबिटीज को अच्छी तरह से कंट्रोल किया जा सके.

रमज़ान में इस तरह डायबिटीज और दिल के मरीज भी रख सकते हैं रोज़े, जानिए Expert Advice

रमज़ान 2018: डायबिटीज और दिल के मरीज भी रोज़े रख सकते हैं

खास बातें

  • डायबिटीज के मरीज रमज़ान के रोज़े रख सकते हैं
  • इसके लिए एक्‍सपर्ट एडवाइज़ लेना जरूरी है
  • साथ ही खान-पान पर विशेष ध्‍यान देना होगा
नई द‍िल्‍ली :

रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत होते ही रोज़े रखने का ख्याल ही कई बार डायबिटीज और दिल के रोगियों के मन में कई सवाल खड़े कर देता है. रोज़ों के दौरान लंबे समय तक भूखा रहना पड़ता है. वैसे भी इस साल रोज़े करीब सवा 15 घंटों के हैं.

सहरी, इफ्तार और तरावीह का सही समय बताएगा रमज़ान का ये मोबाइल ऐप

सैफी हॉस्पिटल से जुड़े एन्डोक्रिनोलोजिस्ट डॉ. अल्तमश शेख के मुताबिक, 'डायबिटीज के मरीज पूरी जानकारी और एक्‍सपर्ट की राय के आधार पर सफलतापूर्वक अपनी डायबिटीज को कंट्रोल करते हुए रोज़े रख सकते हैं.'

डॉ. शेख ने कहा, 'मरीजों को रोज़ों के दौरान अपने ब्‍लड ग्लूकोस की रेग्‍युलर जांच करनी चाहिए जिससे डायबिटीज को अच्छी तरह से कंट्रोल किया जा सके. जो मरीज सिर्फ गोलियों के सहारे अपनी डायबिटीज का कंट्रोल करते हैं, उनको एक्‍सपर्ट की राय के अनुसार दवाइयों के समय में बदलाव करना चाहिए.'

रहना है स्वस्थ तो डायबिटीज को कुछ यूं करें कंट्रोल

उन्होंने कहा, 'रमज़ान के रोज़े करते हुए डायबिटीज के मरीजों को भारी और गरिष्ठ खाने से बचना चाहिए. भजिया, पकौड़े, मिठाइयां और तली हुई चीजों से दूर रहना चाहिए.' 

एक्सिस हॉस्पिटल की पोषण एवं आहार विशेषज्ञ डॉ. हीना अंसारी ने कहा, 'रोज़ों के दौरान डायबिटीज के मरीजों को खान-पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस दौरान सहूर और इफ्तार दोनों समय प्रोटीन और फाइबर वाले भोजन की मात्रा ज्‍यादा होनी चाहिए. तीखे मसालेदार और नमकीन व्यंजनों से दूर रहना चाहिए और साथ ही ज्‍यादा चाय और कॉफी से भी बचना चाहिए.'

डायबेटिक्स के लिए 10 टेस्‍टी Recipes

लीलावती हॉस्पिटल के मशहूर हार्ट स्‍पेशलिस्‍ट डॉ. शाहिद मर्चेंट ने कहा, 'जिन मरीजों के दिल की बीमारी स्थिर और कंट्रोल में है उन्हें रोज़े करने में किसी तरह की रोक नहीं है, लेकिन उनकी दवाइयों के समय में एक्‍सपर्ट की राय के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है.'

न्‍यूट्रिशिन एडवाइजर और राइटर सोनल चौधरी का मानना है कि रमज़ा का समय आध्यात्मिक उन्नति का होता है और साथ ही सही तरह से रोज़े रख कर सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाया जा सकता है.
 
Video: डायबिटीज दूर भगाने के लिए एक्‍सरसाइज़ इनपुट: आईएएनएस


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com