हिमाचल में टूरिज्‍म बढ़ावा को देने के लिए सीएम ने दिया क्‍वारंटीन डेस्टिनेशन का सुझाव, इस तरह हुआ विरोध

शिमला होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन (एसएचआरए) के अध्यक्ष संजय सूद ने कहा कि यदि राज्य के होटलों को पृथक-वास केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाता है तो नियमित पर्यटक राज्य में आना बंद कर देंगे.

हिमाचल में टूरिज्‍म बढ़ावा को देने के लिए सीएम ने दिया क्‍वारंटीन डेस्टिनेशन का सुझाव, इस तरह हुआ विरोध

हिमाचल प्रदेश के सीएम ने राज्य को क्वारंटीन डेस्टिनेश बनाने का प्रस्ताव रखा है.

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का राज्य को 'क्वारंटीन डेस्टिनेशन' के रूप में बढ़ावा देने संबंधी विचार विपक्ष को रास नहीं आया है. विपक्ष ने रविवार को उनके इस प्रस्ताव की निंदा की है. ठाकुर ने एक 'टेलीविजन शो' के दौरान कहा, ''हिमाचल कोरोनावायरस के इस दौर में पृथक-वास के लिए एक गंतव्य हो सकता है.''

कांग्रेस ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है और कहा कि मुख्यमंत्री के इस सुझाव से पर्यटन को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है. यहां तक कि स्थानीय होटल व्यवसायी संघ में इसके लिए उत्साह नहीं दिखा. उन्होंने कहा कि इससे नियमित पर्यटक आने बंद हो जाएंगे. ठाकुर ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में कोरोनावायरस का प्रभाव पूरे देश में थोड़ा कम हो जाता है और लोगों को 14-15 दिन के लिए पृथक रहने की सलाह दी जाती है, तो वे हिमाचल प्रदेश का चयन कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ''हम इस पर भी विचार कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि कई लोगों से यह सुझाव आया है जो यह मानते है कि इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है. अन्य राज्यों की तुलना में हिमाचल प्रदेश कोविड-19 से बहुत कम प्रभावित हुआ है. रविवार की अपराह्र तक राज्य में 193 मामले सामने आए हैं, जिसमें चार लोगों की मौत के मामले भी शामिल हैं. कुछ जिलों में अब केवल कोरोनावायरस के एक या दो मामले हैं. लेकिन हिमाचल में घर लौट रहे प्रवासियों के कारण यह आशंका भी बढ़ रही है कि संक्रमण के मामलों में तेजी से वृद्धि हो सकती है. 

कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के इस विचार को पूरी तरह से खारिज कर दिया. कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने रविवार को एक बयान में कहा, ''हिमाचल प्रदेश को पृथक-वास स्थल के रूप में पेश करना न केवल गलत है बल्कि यह राज्य के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है. कांग्रेस महामारी को खुला निमंत्रण देने के इस फैसले को स्वीकार नहीं करेगी.''

उन्होंने कहा, ''हाल ही में मामलों में तेजी के कारण हिमाचल में कोरोना वायरस को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया है और यदि राज्य को एक पृथक-वास स्थल में बदल दिया जाता है, तो स्थिति हाथ से निकल सकती है.'' इसके बजाय उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य को केन्द्र से वित्तीय पैकेज की मांग करनी चाहिए.

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शिमला होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन (एसएचआरए) के अध्यक्ष संजय सूद ने कहा कि यदि राज्य के होटलों को पृथक-वास केन्द्रों के रूप में विकसित किया जाता है तो नियमित पर्यटक राज्य में आना बंद कर देंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को गोवा की तर्ज पर उचित चिकित्सा जांच के बाद ही पर्यटकों को प्रवेश की अनुमति देनी चाहिए. एक अनुमान के मुताबिक, कोरोनावायरस से निपटने के लिए लगाये गये देशव्यापी लॉकडाउन के कारण हिमाचल प्रदेश में होटलों को पहले ही लगभग 800 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका हैं.



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)