Coronavirus: अंतिम संस्कार के जरूरी सामान का हिस्सा बना हैंड सैनिटाइजर, हर जगह साथ लेकर जा रहे पुजारी

Coronavirus Outbreak: पुजारी के मुताबिक, "अंतिम संस्कार में सफाई, प्रार्थना करना, शवों की आंखों पर तुलसी की पत्तियां रखना शामिल है. हमें सतर्क रहना होगा इसलिए सैनिटाइजर जरूरी है."

Coronavirus: अंतिम संस्कार के जरूरी सामान का हिस्सा बना हैंड सैनिटाइजर, हर जगह साथ लेकर जा रहे पुजारी

COVID-19: कोरोनावायरस से बचने के लिए बार-बार साबुन या सैनिटाइजर से हाथ धोने की सलाह दी जाती है

नई दिल्ली:

कोविड-19 के संक्रमण के बीच त्रिपुरा के बट्टाला के सबसे बड़े श्मशान गृह में अंतिम संस्कार कराने वाले पुजारी सुबीर चक्रबर्ती एक शव के बगल में बैठे हैं और अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे हैं. वह संस्कार के लिए सभी जरूरी सामान, जूट की डंडियां, घी, तुलसी के पत्ते, सफेद सूती कपड़ा, अगरबत्ती, मिट्टी के बर्तन और अन्य जरूरी सामग्री को देख रहे हैं. जरूरत का सभी सामान देखने के बाद वह एक बर्तन से सैनिटाइजर निकालते हैं, अपने हाथों पर मलते हैं और शोक में डूबे परिवार को बताते हैं कि अब वह तैयार हैं.
 
कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच सैनिटाइजर 46 वर्षीय पुजारी के जरूरी सामान का हिस्सा हो गया है. चक्रबर्ती ने कहा, "छह से आठ शव श्मशान गृह में रोजाना लाए जाते हैं. इनमें ऐसे भी शव होते हैं जो पोस्टमॉर्टम के बाद यहां आते हैं. अंतिम संस्कार में सफाई, प्रार्थना करना, शवों की आंखों पर तुलसी की पत्तियां रखना शामिल है. हमें सतर्क रहना होगा इसलिए सैनिटाइजर जरूरी है.
 
हालांकि बाजार में सैनिटाइजर की कमी को देखते हुए चक्रबर्ती अपना सैनिटाइजर खुद बना रहे हैं. उन्होंने कहा, "स्थानीय बाजार में सैनिटाइजर की गैर-मौजूदगी को देखते हुए मैंने इसके विकल्प की तलाश शुरू की. इंटरनेट पर देखते हुए मैंने इसे घर में बनाने की विधि सीख ली."

बट्टाला महा श्मशान घाट में पुजारी ने बताया, "केमिस्ट के पास से अल्कोहल खरीदा और एक दुकान से एलोवेरा खरीद कर इन दोनों को 70:30 के अनुपात में सैनिटाइजर बनाने के लिए मिला दिया. मैं जहां भी जाता हूं घर में बने हुए इस सैनिटाइजर को साथ ले जाता हूं."
 
चक्रबर्ती के अलावा इस श्मशान घाट में दो पुजारी हैं और दोनों भी इसी सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं.

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने हाल ही में यह स्वीकार किया था कि बाजार में सैनिटाइजर और मास्क की कमी है. उन्होंने लोगों को हमेशा गमछा रखने की सलाह दी थी ताकि मास्क के अभाव में लोग इससे अपना चेहरा ढक सकें.

चक्रबर्ती ने कहा कि इस संकट के समय में लोगों से कहा जाना चाहिए कि वह बड़ी संख्या में अंतिम संस्कार में न आएं.

यहां के एक अन्य पुजारी ने बताया कि श्मशान का संचालन करने वाले अगरतला नगर निगम से अपील की गई है कि वह लोगों से अपील करें कि अंतिम संस्कार में ज्यादा से ज्यादा सिर्फ सात लोग ही हिस्सा लें. हालांकि इस मामले में नगर निगम का विचार नहीं लिया जा सका.

ये अलग बात है कि अपील के बाद भी श्मशान घाट में बड़ी संख्या में लोगों को अपने रिश्तेदारों और मित्रों के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेते हुए देखा गया.

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त्रिपुरा राज्य बिजली निगम के अधिकारी गौतम चक्रबर्ती के पिता का निधन मंगलवार को हो गया था. उन्होंने कहा, "हमने अपने संबंधियों को अपने पिता की मौत के बारे में जानकारी दी थी लेकिन उन्हें अंतिम संस्कार में आने से मना किया था लेकिन हमारे आग्रह के बाद भी 13 लोग आए."
 
वहीं, देशव्यापी बंद की वजह से अंतिम संस्कार में इस्तेमाल होने वाले जरूरी सामान की आपूर्ति भी प्रभावित है.