'हनीमून फेज़' में बीतेगी पूरी ज़िंदगी, बस डी-कोड करें अपनी 'लव लैंग्वेज'

'हनीमून फेज़' में बीतेगी पूरी ज़िंदगी, बस डी-कोड करें अपनी 'लव लैंग्वेज'

प्रतीकात्मक तस्वीर

कहा जाता है, दो प्यार करने वालों के बीच 5 तरह के लव लैंग्वेज होते हैं- शारीरिक स्पर्श, गिफ्ट्स, एक्ट ऑफ सर्विस, क्वॉलिटी टाइम और शब्द

शारीरिक स्पर्श
लव लाइफ पर फिजिकल इंटीमेसी ही काफी नहीं. लेकिन दो प्यार करने वालों के बीच इसकी एक अहम जगह होती ज़रूर है. हां, इसकी एक 'सीमा' भी कई दफा तय कर दी जाती है, लेकिन इसे तय करने का हक भी उन दो लोगों का ही होना चाहिए. 

पार्टनर को गले लगाना, बात करते वक्त उनका हाथ थामना, उनके बालों में हाथ फेरना आदि उन्हें आपके करीब होने का एहसास दिलाता रहेगा. लेकिन ये ज़रूरी नहीं कि उनके लिए यह काफी होगा. हो सकता है उन्हें आपका ऐसा करना असहज करे. ये भी हो सकता है कि वे आपसे कुछ और उम्मीद करते हों. इसलिए, उनकी ज़रूरत और उम्मीदों को समझने की कोशिश करें. अगर आपने उनका लैंग्वेज कोड क्रैक कर लिया, तो मानो उनके दिल में आपकी जगह पक्की.

गिफ्ट्स
केवल प्यार करना ही नहीं, प्यार को जताते रहना भी ज़रूरी है. इसलिए, वक्त वक्त पर गिफ्ट्स या स्पेशल ट्रिप के बहाने पार्टनर को एहसास दिलाते रहें कि वो आपके लिए क्या मायने रखते हैं. ज़रूरी नहीं कि गिफ्ट्स महंगे ही हो, लेकिन उनका 'एक्सप्रेसिव' होना ज़रूरी है. 

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एक्ट ऑफ सर्विस
ज़िम्मेदारियां बांटना भी पार्टनर को प्यार जताने का एक मज़बूत ज़रिया है. घर के काम हों या बाहर के, रिश्तेदारी निभानी हो या घर का बजट तैयार करना हो, हर एक काम में उनकी मदद कर, उन्हें सुझाव देकर आप उन्हें आपके 'साथ' का एहसास दिला सकते हैं. यहां भी आपको ये समझना होगा कि उन्हें किस काम में आपकी ज़रूरत है और किस काम में वे इसे दखलअंदाज़ी समझते हैं. ये क्लीयर होने के बाद आप दोनों के बीच मनभेद और मतभेद की गुंजाइश काफी कम हो जाएगी. 

क्वॉलिटी टाइम
आप चाहें फोन पर कितनी ही देर बात कर लें, साथ वक्त बिताने की अहमियत हमेशा बरकरार रहेगी. इसलिए, अगर आप काम के सिलसिले में अक्सर व्यस्त रहते हैं या लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप में हैं, तो ज़रूर कोशिश करें कि हफ्ते या महीने में कुछ दिन अपने पार्टनर के साथ बिताएं. उनसे बात करें और अच्छा वक्त बिताएं.

शब्द
मुश्किल वक्त में आपके शब्द पार्टनर के लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं. उन्हें केवल आपके सांत्वने की नहीं, बल्कि समर्थन और सुझाव की भी ज़रूरत होगी. ये बातें कही नहीं जाती हैं. इसलिए सामने वाले को खुद इसे समझना होगा. 


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