गैजेट्स का इस्तेमाल बन रहा है 'रिपिटिटिव इन्जरी' की वजह, जानिए क्या है ये बीमारी

रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी (आरएसआई) को बार-बार एक ही प्रकार की गतिशीलता और ओवर यूज की वजह से मांसपेशियों, टेंडंस और नव्र्स में दर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है.

गैजेट्स का इस्तेमाल बन रहा है 'रिपिटिटिव इन्जरी' की वजह, जानिए क्या है ये बीमारी

गैजेट्स पहुंचा रहे युवाओं की रीढ़ को नुकसान

गुरुग्राम:

जो युवा गैजेट्स का इस्तेमाल अधिक करते हैं और लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं, उन्हें 'रिपिटिटिव इन्जरी' होने की आशंका बढ़ जाती है. इस प्रकार के 80 प्रतिशत मामलों का समाधान जीवनशैली में बदलाव से किया जा सकता है, जैसे अच्छा पोषण और भरपूर व्यायाम आदि अपनाकर.

यहां के कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉ. अरुण भनोट का कहना है कि 20 से 40 साल की उम्र वाले प्रोफेशनल्स के बीच रीढ़ से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं.

उन्होंने कहा कि रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी (आरएसआई) को बार-बार एक ही प्रकार की गतिशीलता और ओवर यूज की वजह से मांसपेशियों, टेंडंस और नव्र्स में दर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है. इस स्थिति को ओवरयूज सिंड्रोम, वर्क रिलेटेड अपर लिंब डिसॉर्डर या नॉन-स्पेसिफिक अपर लिंब के रूप में भी जाना जाता है.

टाइम मैगजीन का यू-टर्न, अब नरेंद्र मोदी को बताया भारत को एक सूत्र में पिरोने वाला प्रधानमंत्री  

डॉ. भनोट कहते हैं, "इस आयुवर्ग वाले अधिकतर लोग वर्किंग प्रोफेशनल होते हैं जो ऑफिस पहुंचने के लंबी दूरी तक यात्रा करके, ड्राइव करके पहुंचते हैं और इसके बाद पूरा दिन अधिकतर समय एक जगह बैठकर काम करते रहते हैं. वे कम्प्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं, लंबी मीटिंग के लिए बैठते हैं और अपने मोबाइल पर उपलब्ध हो चुके सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं. घर पहुंचने के बाद ये लोग किताबें पढ़ने के लिए गैजेट का इस्तेमाल करते हैं और पढ़ते-पढ़ते सो जाते हैं.

उन्होंने कहा कि स्क्रीन का इतना लंबा और अनावश्यक एक्सपोजर स्पाइन पर बेकार का तनाव डालता है और इससे लिगामेंट में स्प्रेन का खतरा बढ़ जाता है जो वर्टिब्रा को बांधकर रखता है, ऐसे में मांसपेशियों में कड़ापन आने लगता है और डिस्क में समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है.

खाना खाने के कुछ जरूरी टिप्स, जो आपको मोटा और बीमार होने से बचाएंगे

डॉ. भनोट कहते हैं, "इंसान की रीढ़ को मूवमेंट के सपोर्ट के लिए डिजाइन की गई है और अगर यह इस्तेमाल में रहती हैं तो स्वस्थ्य बनी रहती है. आज के युवाओं को समस्या इसलिए हो रही है, क्योंकि वे निष्क्रिय जीवनशैली जी रहे हैं, जिसमें गैजेट पर निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गई है. अधिकतर युवाओं में देखी जा रही आम समस्या है सर्विकल स्पाइन और पीठ की, जैसे कि स्लिप डिस्क, रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी, सोर बैक और लिमामेंट की चोट." 

कम नींद दिल के लिए खतरा, CVD और कोरोनरी धमनी बीमारी की बन सकती है वजह

उन्होंने बताया कि पिछले 12 महीनों में मेरे पास हर महीने औसतन 15.20 प्रतिशत ऐसे मरीज आ रहे हैं जो 40 साल से कम उम्र के होते हैं लेकिन उन्हें स्पाइन की गंभीर समस्या हो चुकी है और इनमें रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी सबसे ज्यादा आम है. 

डॉ. भनोट कहा कि इस मामले में सबसे जरूरी है समय पर समस्या की पहचान, जिससे मेडिकल और सर्जिकल इंटर्वेशन की जरूरत कम पड़ती है और समस्या का समाधान जीवनशैली में बदलाव लागू किया जा सकता है. इसके तहत अच्छा पोषण, हल्का व्यायाम और नियमित अंतराल में थोड़ी-थोड़ी देर तक टहलकर सिटिंग टाइम को कम करके दिक्कतों को दूर किया जा सकता है.

इनपुट - आईएएनएस

VIDEO: मोबाइल चुराने वाले शख्स की पीट कर हत्या

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com