Google Doodle: भारत की पहली महिला ग्रैजुएट थीं Kamini Roy, जानिए उनके बारे में और खास बातें

Kamini Roy's 155th Anniversary: कामिनी रॉय ने ही महिलाओं को वोट का अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन किए, और 1926 में पहली बार महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला. लेकिन साल 27 सितंबर 1933 में कामिनी रॉय का देहांत हो गया.

Google Doodle: भारत की पहली महिला ग्रैजुएट थीं Kamini Roy, जानिए उनके बारे में और खास बातें

कामिनी रॉय (Kamini Roy)

खास बातें

  • कामिनी रॉय बांग्ला कवयित्री थीं
  • भारत की पहली महिला ग्रैजुएट थीं Kamini Roy
  • 27 सितंबर 1933 में कामिनी रॉय का देहांत
नई दिल्ली:

Google Doodle आज कामिनी रॉय की 155वीं जयंती (Kamini Roy's 155th Birth Anniversary) मना रहा है. कामिनी रॉय एक बांग्ला कवयित्री (Bengali Poet) और सामाजिक कार्यकर्ता (Social Worker) थीं. इतना ही नहीं कामिनी (Kamini Roy) भारत के इतिहास में ग्रैजुएट होने वाली पहली महिला थीं. कामिनी (Kamini Roy) ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान 1886 में ऑनर्स की डिग्री हासिल की. यानी आजादी से भी पहले ग्रैजुएट होने वाली कामिनी रॉय पहली महिला (First Graduate Lady of India) थीं. कामिनी ने बेथुन कॉलेज (Bethune College) से संस्कृत में बीए ऑनर्स किया और उसी कॉलेज में शिक्षिका के रूप में कार्य करने लगीं.

भारत में जिस समय ना आजादी थी और ना ही अधिकार थे, उस समय कामिनी रॉय ने यानी किसी भारतीय महिला ने इतनी शिक्षा प्राप्त करके इतिहास रचा था. उन्होंने शिक्षा की इस रुचि को आगे बढ़ाया और समाज़ में शिक्षित होने के लिए महिलाओं को प्रेरित किया.  

कामिनी रॉय का जन्म 12 अक्टूबर 1864 में बंगाल के बसंदा गांव में हुआ था. वह बंगाल के एक अमीर परिवार से थीं. उनके पिता चंडी चरण सेन (Chandi Charan Sen) जज और लेखक थे, निशीथ चंद्र सेन (Nisith Chandra Sen) उनके भाई कलकत्ता हाई कोर्ट में एक बैरिस्टर थे और बहन जैमिनी (Jamini) नेपाल के शाही परिवार में डॉक्टर थीं. उन्होंने 1894 केदार नाथ रॉय (Kedarnath Roy) से शादी की. साल 1905 में पति के देहांत के बाद कामिनी रॉय ने अपना पूरा जीवन महिलाओं को शिक्षित कर उन्हें अधिकार दिलाने में बिताया. वह चाहती थीं कि हर महिला को समाज में बराबर अधिकार मिले. 

कामिनी रॉय एक बंगाली कवयित्री थीं. वह कवि रवींद्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore ) के काफी प्रभावित थीं. उन्होंने अपने जीवन में कई रचनाएं लिखीं. पहले उन्हें गणित बहुत पसंद था, लेकिन बाद में संस्कृत की तरफ उनकी रुचि बढ़ी. कामिनी रॉय ने 1889 में छन्दों का पहला संग्रह आलो छैया (Alo O Chhaya) और उसके बाद दो और किताबें लिखीं. वह 1930 में बांग्ला साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष थीं. 

बता दें, कामिनी रॉय ने ही महिलाओं को वोट का अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन किए, और 1926 में पहली बार महिलाओं को वोट डालने का अधिकार मिला. लेकिन साल 27 सितंबर 1933 में कामिनी रॉय का देहांत हो गया.

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