शख्‍स ने चार जरूरतमंद अजनबियों का कर्जा चुकाने के लिए बैंक को दे दिए 10 लाख रुपये, कहा- "किसी को न पता चले मेरा नाम"

मैनेजर ने बताया, ''उस शख्‍स ने कहा कि अगर हम कुछ ऐसे लोगों का चयन करते हैं जिन्होंने संपत्ति गिरवी रखकर आत्मनिर्भर होने के लिए कर्ज लिया था, लेकिन चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो वह उनके कर्ज का भुगतान कर देंगे''.

शख्‍स ने चार जरूरतमंद अजनबियों का कर्जा चुकाने के लिए बैंक को दे दिए 10 लाख रुपये, कहा-

चार लोगों का कर्जा उतारने के लिए आगे आया अनजान शख्स.

नई दिल्ली:

देशभर में जारी लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों समेत कई लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच मिजोरम में एक मामला सामने आया है, जहां एक अनजान शख्स ने चार लोगों को 10 लाख रुपये देते हुए बैंक से लिए गए इन लोगों के कर्ज को माफ कर दिया गया है.

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम में एक अज्ञात शख्स ने चार लोगों की मदद खुद की पहचान छुपाए रखे जाने की शर्त पर की है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस शख्स ने 9,96,365 रुपये चारों लोगों के अकाउंट में ट्रांस्फर करते हुए उनका कर्ज खत्म कर दिया है.

इस दौरान मिजोरम के आइजोल ब्रांच के कुछ अधिकारियों  ने शख्स की पेपरवर्क खत्म करने में मदद की थी और केवल उन्हें इस गुमनाम शख्स की असली पहचान के बारे में पता है. आइजोल ब्रांच की स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मैनेजर शेरिल वनचंग ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ''हम लोग इस शख्स को पिछले कुछ वक्त से जानते हैं और कुछ दिन पहले वह आए और हमें अपने इरादे के बारे में बताया.''

मैनेजर ने आगे बताया, ''उन्होंने कहा कि अगर हम कुछ ऐसे लोगों का चयन करते हैं जिन्होंने संपत्ति गिरवी रखकर आत्मनिर्भर होने के लिए कर्ज लिया था, लेकिन चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो वह उनके कर्ज का भुगतान कर देंगे. उन्होंने 10 लाख रुपये तक की मदद के लिए ही कहा था''.

इसके बाद उन्होंने 4 लोगों को चुना जो लॉकडाउन के कारण अपना कर्ज नहीं चुका पा रहे थे. शेरिल ने कहा कि चारों लोगों को को अगले दिन बुलाया गया और जब वे पहुंचे, तो उनके द्वारा गिरवी रखी गई जमीन के दस्तावेज उन्हें वापस कर दिए गए. इसके बाद उनके पास अज्ञात व्यक्ति को धन्यवाद करने के लिए शब्द नहीं थे. 

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इन चारों लोगों के आग्रह पर बैंक ने उस व्यक्ति से शाखा आने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने आने से इनकार कर दिया. इसके बाद बैंक के कर्मचारियों ने चारों लोगों से आग्रह किया कि वो उनकी मदद के बारे में किसी से कुछ न कहें.