400 भारतीयों की रोज़ मौत, इन दस तरीकों से बच सकती है ये जानें

बच्चों को कभी भी आगे की सीट पर न बैठाएं हादसों के वक्त उसका सिर डैसबोर्ड से टकराएगा और अगर बैलून खुला तो बच्चा गाड़ी की छत से टकराएगा. सड़क हादसों में हर साल 500 से ज्यादा छोटे बच्चे मरते हैं. 

400 भारतीयों की रोज़ मौत, इन दस तरीकों से बच सकती है ये जानें

प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

WHO और CCS के तरफ से हुए एक सेमीनार में IIT के प्रोफेसर दिनेश मोहन, AIIMS के पूर्व डायरेक्टर एमसी मिश्रा के लेक्चर के आधार पर सड़क दुर्घटना से बचने के दस सुझाव है. जिसपर अमल करके हम सड़क दुर्घटना से बच भी सकते हैं और आपकी लापरवाही से किसी दूसरे की जान जोखिम में नहीं पड़ेगी. ये जरुरी है क्योंकि हर साल 1,50,785 भारतीयों की मौत होती है और 8000 लोग रोज़ाना हादसों का शिकार होकर अस्पताल पहुंचते हैं. इन बेशकीमती मौतों को बचाने के लिए अब ये दस बातें:- 

1- हेलमेट
सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें दो पहिया वाहन चालकों की होती है. हमेशा हेलमेट लगाए रहें क्योंकि बिना हेलमेट के 72 फीसदी मौत होती है. पैसा बचाने के लिए घटिया हेलमेट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें.

2- रफ्तार
वाहनों की ज्यादा रफ्तार के चलते 98613 लोग हर साल मरते हैं. अगर 45 से 55km प्रतिघंटा से आप गाड़ी चलाते हैं तो इनमें से आधी जानें बच सकती हैं. अगर आपको 60km प्रति घंटे की रफ्तारवाली गाड़ी टक्कर मारती है तो समझिए वो 5वीं मंजिल से गिरा है और कोई वाहन अगर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टक्कर मारती है या टक्कर लगती है तो समझिए वो 13 वीं मंजिल से गिरा है. ज्यादा रफ्तार मतलब ज्यादा मौतें.

3- सीट बेल्ट
हर साल मारे जाने वाले लोगों में 50 फीसदी की जान आगे सीट की बेल्ट न लगाने की वजह से होती है और 72 फीसदी की जान बैक सीट बेल्ट न लगाने की वजह से होती है. बच्चों को कभी भी आगे की सीट पर न बैठाएं हादसों के वक्त उसका सिर डैसबोर्ड से टकराएगा और अगर बैलून खुला तो बच्चा गाड़ी की छत से टकराएगा. सड़क हादसों में हर साल 500 से ज्यादा छोटे बच्चे मरते हैं. 

4- नशा
हर साल 4776 हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाने से होतें हैं.  ये आंकड़ा इसलिए आपको कम लग रहा होगा क्योंकि सड़क हादसों में शराब पीकर गाड़ी के हादसे में बीमा कवर नहीं होता है इसलिए पुलिस इस तरह के मामलों का केस कम दर्ज करती है.

5- पैदल और साइकिल
ये कारण आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन हर साल 20457 पैदलयात्री और 3559 साइकिल सवार बिना गलती या इंसानी भूल के बेवजह मारे जाते हैं. हमारे यहां सड़कें केवल गाड़ियों के लिए बनाई जाती है इसलिए ये आपकी गलती है कि आप पैदल और साइकिल से सड़क पर क्यों चल रहे हैं.

6- मोबाइल
गाड़ी चलाने के दौरान मोबाइल देखने या सुनने से हर साल 3172 मौतें होती हैं. मोबाइल से होने वाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा हर साल बढ़ रहा है. गाड़ी रोककर अगर मोबाइल देखें या सुने हर साल हम इन बेशकीमती जानों को बचा सकते हैं

7- गाड़ियों के सुरक्षा मानक
हमारे देश में पैसों को जान से ज्यादा अहमियत दी जाती है इसलिए प्राइस सेंसिटिव यानि कीमत को लेकर हम अति जागरुक रहते हैं. ये जागरुकता हमारी जान पर भारी है और कार कंपनियों को मजबूत बहाना उपलब्ध कराती है. विदेशों में कार के रंग से लेकर उसकी मजबूती को लेकर कड़े प्रावधान हैं. लेकिन हमारे यहां लंबी जद्दोजहद के बाद अब फ्रंट सीट बैलून को आवश्यक बनाया गया है.

8- समय की बर्बादी
सड़क हादसा होने के बाद हर लम्हा बेशकीमती होता है. सड़क हादसों का शिकार व्यक्ति 8 मिनट के भीतर अगर अस्पताल पहुंच जाए तो हर रोज 40 जानें बचाई जा सकती है. लेकिन दिल्ली जैसी जगह में सड़क दुर्घटना में घायल इंसान औसतन 20 मिनट बाद अस्पताल पहुंचता है. हादसे के बाद हर आठ मिनट बीतने पर 10 फीसदी जान बचने की संभावना कम होती रहती है. इसलिए आपातकालीन प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग हर शख्श के लिए जरुरी होनी चाहिए.  

9- अस्पताल
हादसे के बाद अस्पताल की बड़ी भूमिका इंसानी जानों को बचाने में होती है लेकिन इस तथ्य से आप बेहतर तरीके से समझा जा सकता है कि उप्र में 38783 हादसों में सबसे ज्यादा 20124 मौतें हुई हैं जबकि तमिलनाडु में सालाना उप्र से ज्यादा 65562 हादसे होते हैं लेकिन मेडीकल सेवा बेहतर होने से वहां मौतें 16157 हुई है. 

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10- आदमी का व्यवहार
हमारे देश में गाड़ी चलाना बिल्कुल गंभीर काम नहीं माना जाता है. लेकिन सोचिए घर से झगड़ा करके या नींद आने के बावजूद गाड़ी चलाने वाला ड्राइवर हमारी आपकी जान के लिए कितना खतरा बन सकता है. विदेशों में गाड़ियों के डैश बोर्ड पर व्यवहार पहचानने की मशीने लगी होती हैं जो नींद आने पर सीट को वायब्रेट करती हैं. आंखों की पुतली और जबड़े की मैंपिंग के आधार पर व्यवहार पहचानने वाली मशीनें गाइड करती हैं. लेकिन हमारे देश में इस तरह की सुविधा गिनी चुनी गाड़ियों में ही हो सकती है. इस लिहाज से अगर गाड़ी में बैठे तो ड्राइवर को समय समय पर देखते रहें कहीं उसे नींद या कोई दूसरी दिक्कत तो नहीं है. इससे हमारी और सड़क पर चलने वालों की जान बचाई जा सकती है.