Book Review: साए की तरह पीछा करने वाला एक अजनबी ऐसा भी...

सोचिए यदि कोई ऐसा हो जो आपका सातों दिन, चारों पहर पीछा करें तो आपको कैसा लगेगा? हमेशा डर बना रहेगा या फिर सुरक्षित रहने का एहसास होगा. इसी मजेदार अनुभव के लिए इस श्रंखला की तीनों किताब को पढ़ें.

Book Review: साए की तरह पीछा करने वाला एक अजनबी ऐसा भी...

'अजनबी' सीरीज तीन भाग में बटी हुई है.

नई दिल्ली:

अजनबी सीरीज की पहली किताब मैंने सिर्फ इसलिए उठाई थी क्योंकि अगले दिन  मेरा वीकऑफ था. कहीं जाना नहीं था तो सोचा पढ़कर ही टाइम पास कर लूं. सोने से लगभग आधे घंटे पहली मैंने किताब खोली, लेकिन कहानी इतनी रहस्यमय थी कि नींद गायब हो गई और आधी रात तक पढ़ती रही. 

ये कहानी है कोलकाता कि रहनी वाली रिवाना बनर्जी की, जो कई सपने सजाय मुंबई आती है. पहला कदम रखते ही उसे इस बात का अहसास होता है कि वह यहां अकेली नहीं आई है, कोई लगातार उसका पीछा कर रहा है. जो उससे कभी अच्छे तो कभी बुरे काम करवाता है. उधर रिवाना की लव-लाइफ या कहिए सेक्स लाइफ में भी कई उतार-चढाव आए. जिसे वह दिल से चाहती थी (एकांश) उससे सिर्फ धोखा मिला. दूसरा डैनी जिसे वह प्यार तो करती है, लेकिन कहीं न कहीं कुछ कमी रह जाती है.

प्यार-परिवार, नौकरी-आजादी के बीच सिर्फ एक मुश्किल है- अजनबी, जो 24/7 उसका साए की तरह पीछा कर रहा है. अजनबी क्या उसका प्रेमी है, उसका दीवाना है. कोई रिश्तेदार है या सिर्फ शुभचिंतक. तीनों किताब अजनबी कि खोज पर आधारित है.

सोचिए यदि कोई ऐसा हो जो आपका सातों दिन चारों पहर पीछा करें तो आपको कैसा लगेगा. हमेशा डर बना रहेगा या फिर सुरक्षित रहने का एहसास होगा. इसी मजेदार अनुभव के लिए राइटर नोवोनील चक्रवर्ती की अजनबी श्रंखला की तीनों किताब (कौन हो तुम अजनबी, साथ निभाना अजनबी और भूल न जाना अजनबी) को पढ़ें. इन तीनों किताब का हिंदी अनुवाद अनु सिंह चौधरी ने उम्दा तरीके से किया है.


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