नई किताब में खुसरो की कविता की पहेलियों को सुलझाने की कोशिश

नई किताब में खुसरो की कविता की पहेलियों को सुलझाने की कोशिश

नई दिल्‍ली:

अमीर खुसरो अपनी कविताओं में दो अर्थ देना चाहते थे - एक जिसका रोजाना की दुनिया से लेना देना है और दूसरा जो दूसरी दुनिया से जुड़ा हुआ है - और एक नई किताब में एक अभिनव तरीके से उनकी कविताओं की पहेलियों को सुलझाने की कोशिश की गयी है.

लेखक अंकित चड्ढ़ा ने अपनी किताब 'अमीर खुसरो: द मैन इन रिड्लस' में 20 सचित्र पहेलियों के जरिये मध्यकालीन भारत के महानतम कवियों में से एक खुसरो की दिलचस्प जिंदगी की परतें खोलने की कोशिश की है.

इनमें से अधिकतर पहेलियां कविताओं में शामिल द्विविधता को दिखाती हैं जो खुसरो के व्यक्तित्व एवं कविता की विशिष्टता है. या इस तरह से कहें कि यह दिखाती है कि उन्होंने किस तरह भौतिक एवं आध्यात्मिक, वास्तविक एवं काल्पनिक, प्रकाश एवं अंधेरे आदि के बीच एक संतुलन बैठाया.

खुसरो अपनी कविताओं के हर संग्रह की व्याख्या करने के लिए हमेशा छंद लिखते थे. पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित किताब गूढ़ कवि का एक पूर्ण चित्र पेश करती है.


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