Book Review: 'बेरंग' जिंदगी के 'रंग' हज़ार, कुछ ऐसी ही है गोर्की-एल्विन की कविता-संग्रह

'रंग बेरंग' नाम पढ़ने और सुनने से ही समझ आ जाता है कि यह जीवन से जुड़े उन पहलुओं से होकर गुजरता है, जिन रंगीन पलों को हम बेरंग की तरह देखते हैं, लेकिन उनपर गौर करना भूल जाते हैं.

Book Review: 'बेरंग' जिंदगी के 'रंग' हज़ार, कुछ ऐसी ही है गोर्की-एल्विन की कविता-संग्रह

'रंग बेरंग' पुस्तक के प्रकाशक नोशन प्रेस

नई दिल्ली:

'रंग बेरंग' नाम पढ़ने और सुनने से ही समझ आ जाता है कि यह जीवन से जुड़े उन पहलुओं से होकर गुजरता है, जिन रंगीन पलों को हम बेरंग की तरह देखते हैं, लेकिन उनपर गौर करना भूल जाते हैं. उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के रहने वाले दो युवा, जिनकी उम्र भले ही ज्यादा नहीं हो लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे-बड़े कठिनाइयों से गुजरकर अपने अनुभवों को कविता के माध्यम से पिरोया है. गोर्की सिन्हा और एल्विन दिल्लु ने संयुक्त रूप से कविता संग्रह रची है, जिसका नाम 'रंग बेरंग' है. इस पुस्तक में 29 वर्षीय गोर्की के 14 और 31 वर्षीय एल्विन के 20 कविता लिखे है. हालांकि गोर्की पेशेवर छायाकार व ऑनलाइन फोटो ब्लॉगर भी हैं और इस पुस्तक में उनके द्वारा क्लिक की गई कई तस्वीरों के साथ दो लाइनें भी पढ़ने को मिलेगी.

गोर्की सिन्हा द्वारा लिखी गई कविताओं में से किन्ही एक कविता की कुछ पंक्तियां आपसे रूबरू कराता हूं. 'ख्वाब' शीर्षक वाली कविता में आकर्षित कर देने वाली पंक्ति में गोर्की ने लिखा-

समझ नहीं पा रहा
वो क्या है, जो
कमरे की हर चीज़
कितना अलग-सा दिखा रहा है,
वो फटा जूता भी आज,
कितना नया-सा दिख रहा है।

वहीं, दूसरे युवा लेखक ने अपने कविता शीर्षक 'काश!' में जीवन में आने वाले गमों को अपने शब्दों से बयान किया है। उन्होंने लिखा-

जानें क्यों,
यूं गम लिए,
फिरते थे तुम,
बोझ से दबे,
चलते थे, 
मुस्कान में अपनी,
सब कुछ
छुपा लेते थे,
पर...
क्यों? कहो क्यों?
यूं टूट कर, बिखर कर,
बिन कराहे,
क्यों सह रहे थे?
काश एक बार...

दोनों ही लेखक ने अपने-अपने जीवन से जुड़े अनुभवों को कविता के माध्यम से दिल छू लेने वाली पंक्तियां लिखी हैं. गोर्की ने 'क्या अजीब वक्त है', 'आशा', 'कदम', 'क्या बन गया हूं मैं,' 'कब?', 'एहसास', 'हंसता बहुत हूं' समेत कई कविताएं लिखी हैं. जबकि एल्विन दिल्लु ने 'आश', 'परिचय', 'किताब', 'लौ', 'निडर', 'अश्रुधार' जैसी शीर्षक की शानदार कविताएं लिखी.

नोशन प्रेस से प्रकाशित इस काव्य संग्रह में कुल 34  कविताएं हैं और संग्रह की भूमिका मशहूर कवि डॉ. श्लेष गौतम ने लिखी है. वे लिखते हैं, "यकीन मानिए एक बेहद खूबसूरत और बिना किसी भी भटकाव के एक सधी हुई सृजनात्मक-सकारात्मक यात्रा है. 'रंग बेरंग' से होकर गुजरना और साथ ही साथ इसके जरिए एल्विन और गोर्की की रचनाधर्मिता में पकी युवा सोच को समझने का जानने का एक अवसर भी''

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किताब : रंग बेरंग
प्रकाशन : नोशन प्रेस
मूल्य : 150/- रुपए