उपन्यास खत्म नहीं हो रहे, बल्कि आने वाले समय में और अहमियत रखेंगे: बुकर पुरस्कार विजेता फ्लैनागन

उपन्यास खत्म नहीं हो रहे, बल्कि आने वाले समय में और अहमियत रखेंगे: बुकर पुरस्कार विजेता फ्लैनागन

जयपुर:

जब-जब साहित्य की स्थिति पर विचार-मंथन होता है तो यह सवाल उठता है कि क्या उपन्यास का दौर खत्म हो गया है या फिर होने जा रहा है? जयपुर साहित्य उत्सव में फिर यही सवाल उठा. इस बारे में जाने-माने ऑस्ट्रेलियाई लेखक और 2014 के बुकर पुरस्कार विजेता रिचर्ड फ्लैनागन ने अपने विचार व्यक्ति किए. उन्होंने जोर देकर कहा कि एक उपन्यास की रचना दोबारा नहीं की जा सकती है. भविष्य में यह विधा अधिक से अधिक मायने रखने जा रही है क्योंकि यह अकेली ऐसी विधा है जो सवाल करती है.

'अमेरिकी मानते हैं कि उपन्यास का जमाना खत्म है'
अपनी पीढ़ी के शानदार ऑस्ट्रेलियाई उपन्यासकार माने जाने वाले फ्लैनागन ने कहा कि यह आम धारणा रही है कि उपन्यास के गिने-चुने दिन रह गए हैं, लेकिन यह धारणा गलत है. अमेरिकियों ने हमेशा से ही उपन्यास को नापसंद किया है, उन्होंने हमेशा से चाहा है कि उपन्यास एक नैतिक व्याकरण लिए हुए हो. वे इसे लेकर असहज रहते हैं. उनका पुरजोर मानना है कि उपन्यास का दौर खत्म है.’’ 

'आने वाले समय में और अहमियत रखेंगे लेखक और उपन्यास'
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए उपन्यास कुछ और नहीं, बल्कि उस लेखक का साहस और प्रतिभा है.’’ जयपुर में चल रहे जयपुर साहित्य उत्सव में फ्लैनागन ने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि आने वाले समय में लेखक अधिक मायने रखेंगे और उपन्यास भी अधिक से अधिक मायने रखेंगे क्योंकि यह अकेली ऐसी विधा है जो सत्ता से सवाल करती है. आप एक उपन्यास की दोबारा रचना नहीं कर सकते.’’

इनपुट न्यूज एजेंसी भाषा से


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