उन्होंने ही इंकलाब को बनाया था अमिताभ, आज है पुण्‍यतिथि

उन्होंने ही इंकलाब को बनाया था अमिताभ, आज है पुण्‍यतिथि

प्रतीकात्‍मक चित्र

वो छायावाद का कवि था, विचारों का बंधन उसे कभी स्‍वीकार्य न था, प्रकृति से असीम लगाव रखने वाला वह कोई और नहीं सुमित्रानंदन पंत. छायावाद के प्रमुख स्तम्भ सुमित्रानंदन पंत का 28 दिसंबर के दिन निधन हो गया था. छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक पंत का साहित्य को योगदान अविस्मरणीय है. उन्‍होंने भौतिक व आध्यात्मिक दोनों दर्शनों से जीवन के उपयोग के तत्त्वों से रचनाओं का सृजन किया...

 

सुमित्रानंदन पंत के बारे में साहित्यकार राजेन्द्र यादव कहते हैं कि 'पंत अंग्रेज़ी के रूमानी कवियों जैसी वेशभूषा में रहकर प्रकृति केन्द्रित साहित्य लिखते थे.' सुमित्रानंदन को हिंदी का विलियम वर्ड्सवर्थ कहा जाता है. वास्‍तव में अपने समकालीन कवियों में पंत का प्रकृति चित्रण सबसे बेहतरीन था. कहते हैं कि पंत लोगों से जल्द ही प्रभावित हो जाते थे. इस क्रम में पंत ने राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी और कार्ल मार्क्‍स से प्रभावित होकर उन पर रचनाओं का सृजन किया.

 

सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा के कैसोनी गांव में 20 मई 1900 को हुआ था. पंत के जन्‍म के कुछ घंटों बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया था. दादी के लाड़ प्यार में पले पंत ने अपने लिए नाम का चयन भी खुद ही किया. जी हां, पंत का वास्तविक नाम गुसाई दत्त था, जिसे उन्‍होंने बदल कर सुमित्रानंदन पंत रखा. पंत हरिवंश राय बच्‍चन के अच्‍छे मित्र थे और उन्‍होंने ही महानायक अमिताभ बच्चन को ‘अमिताभ’ नाम दिया था.

 

सुमित्रानंदन पंत ने अठ्ठाइस प्रकाशित पुस्तकों की रचना की. इनमें पद्य-नाटक, कविता और निबंध शामिल हैं. पंत के रचनाकाल में आधुनिक हिंदी कविता का एक पूरा युग समाया हुआ है. पंत को 1960 में उनकी रचना कला और बूढ़ा चांद पर साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया. वाकई बूढ़े चांद की कल्‍पना और उसकी स्थिति का वर्णन मार्मिक है. कला और बूढ़ा चांद की कुछ पंक्तिया-

 

बूढा चांद
कला की गोरी बाहों में
क्षण भर सोया है

यह अमृत कला है
शोभा असि,
वह बूढा प्रहरी
प्रेम की ढाल!

हिन्दी की अनवरत सेवा के लिए सुमित्रानंदन पंत को पद्मभूषण, ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार जैसे उच्च श्रेणी के सम्मानों से प्रतिष्ठित किया गया.

 

पंत की प्रमुख कृतियां:

 

कविता-संग्रह: उत्तरा, ग्रन्थि, वीणा, वाणी, संक्रांति, स्वर्णकिरण, गुंजन, युगपथ, पौ फटने से पहले, शिल्पी, गीतहंस, युगवाणी, शशि की तरी, पल्लव, ग्राम्या, शंखध्वनि, सौवर्ण, ज्योत्स्ना, गीत-अगीत, स्वच्छंद, स्वर्णधूली, मधुज्वाल, रजत-शिखर, गपुरुष, अतिमा, छाया, किरण-वीणा, चिदंबरा, कला और बूढ़ा चांद, पतझर, लोकायतन, समाधिता, आस्था, सत्यकाम.

 

कथा-साहित्य : हार, पांच कहानियां

 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

आलोचना एवं अन्य गद्य-साहित्य : शिल्प और दर्शन, कला और संस्कृति, छायावाद: पुनर्मूल्यांकन, साठ वर्ष: एक रेखांकन.