साल भर किन किताबों की सोशल मीडिया पर चर्चा हुई, समीक्षाएं प्रकाशित हुई, लेकिन ज़ाहिर है कि हज़ारों किताबों में कुछ किताबों को ही चुना जा सकता था. इसलिए एक आधार यह भी रहा कि किताबें अलग-अलग विधाओं की हों, जैसे इस साल हिंदी में कम से कम चार जीवनियां ऐसी आई, जो हिंदी के लिए नई बात रही. इसलिए इस विधा को भी रेखांकित किया जाना ज़रूरी था.
मिर्जा गालिब न सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के एक ऐसे लोकप्रिय शायर हैं जिनका रुतबा बहुत ऊंचा है. गालिब की शेरो-शायरी का जिक्र लोग रोजमर्रा की जिंदगी में और बोलचाल की भाषा में करते हैं जो गालिब को हर दिल अजीज बनाता है. गालिब या मिर्जा असदुल्लाह बेग खान का जन्म 27 दिसंबर 1797 को आगरा उत्तर प्रदेश में हुआ था. गालिब के पिता का नाम मिर्जा अबदुल्ला बेग और माता का नाम इज्जत-उत-निसा बेगम था. गालिब सिर्फ 5 साल के थे जब उनके पिता की मृत्यु हो गई.
नागार्जुन का जीवन यायावरी का जीवन था. बुढ़ापे में भी वह यह कहते पाए जाते कि जब भी बीमार पड़ूं, किसी ट्रेन का टिकट कटाकर गाड़ी में चढ़ा देना, ठीक हो जाऊंगा. जब वह सरकार की विकास-अवधारणा पर खिसियाते तो कहते कि यदि और कुछ भी करने में सरकार बिलकुल ही नाकाम है तो यही कर दे कि हर नागरिक को देश-भ्रमण करवा दे, इससे कूपमंडूकता तो खत्म होगी. काशी की विद्वत्परंपरा से निकलकर वह आर्यसमाज की तरफ गए, श्रीलंका जाकर बौद्ध बने, उधर से लौटकर आजादी की लड़ाई में शामिल हुए.
Book Review: कोई भी नाटक देखने या पढ़ने से पहले हम सभी को उसका एक छोटा सा 'ट्रेलर' चाहिए होता है. तो चलिए हम दिखाते हैं आपको असगर वजाहत के नए नाटक महाबली का ये 'ट्रेलर'... तो अपनी कल्पना शक्ति की पेटी बांध लीजिए और सुनिए-
पुस्तक ‘अंतर्वेद प्रवरः गणेश शंकर विद्यार्थी’ का लोकार्पण शुक्रवार को नई दिल्ली के 10, राजाजी मार्ग पर किया गया. पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को उनके आवास पर लेखक अमित राजपूत ने अपनी किताब की पहली प्रति भेंट की.
भारत में पॉप संगीत को एक नया आयाम और नई ऊंचाई देने वालीं जानी-मानी गायिका उषा उथुप की आधिकारिक जीवनी 'उल्लास की नाव' का लोकार्पण मंगलवार की शाम नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में किया गया. यह जीवनी विकास कुमार झा ने लिखी है.
कनाडा के उपन्यासकार एमजी वसांजी का उपन्यास 'A Delhi Obsession' दिल्ली के क्लब के शांत वातावरण के बीच, जुनून, प्रेम और विश्वास की एक अप्रत्याशित कहानी को उजागर करता है. यह उपन्यास आपको अपनी गहन दुविधाओं का सामना करने के लिए मजबूर करेगा. यह किताब बेहद संवेदनशील होने के साथ ही पाठकों के नज़रिए को प्रभावित करने वाली है.
सबसे कम उम्र में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले (Nobel Laureate) 41-वर्षीय रुडयार्ड किपलिंग (Rudyard Kipling) थे, जिन्हें 1907 में पुरस्कृत किया गया था, और सबसे बड़ी उम्र में साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली लेखिका 88-वर्षीय डोरिस लेसिंग (Doris Lessing) थीं, जिन्हें 2007 में यह पुरस्कार प्रदान किया गया.
हिंदी साहित्य को नई उचाइयों तक पहुंचाने वाले मुंशी प्रेमचंद की पुण्यतिथि 8 अक्टूबर को मनाई जाती है. साहित्य में प्रेमचंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. प्रेमचंद को उपन्यास के सम्राट माने जाते हैं. प्रेमचंद का वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था. प्रेमचंद की कई कहानियां ग्रामीण भारत पर हैं. उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से किसानों की हालत का वर्णन किया.
स्त्री-पुरुष के संबंध में बदलाव तो आया है, लेकिन उतना भी नहीं आ पाया. देखने में तो आज स्त्री घर से बाहर निकल रही है. नौकरी कर रही है. पैसा भी कमा रही है, लेकिन उस पैसे पर अभी भी उसका अधिकार नहीं है. अगर वह अपना पैसा खर्च करती है तो उसका हिसाब भी देना होता है. ये जो चीजें हैं ये स्त्री और पुरुष के संबंध में अधिकारों को निर्धारित करती हैं.
यह पहली बार है, जब RSS के एक वरिष्ठ प्रचारक ने एक पुस्तक के माध्यम से संघ के अंदरूनी क्रियाकलाप, उसकी विचारधारा, भारत के प्रति उसकी दृष्टि तथा विभिन्न विषयों पर सोच को सामने रखने का प्रयास किया है. लंबे समय से संघ के छात्र संगठन ABVP में संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे सुनील आम्बेकर की पुस्तक – 'द RSS रोडमैप्स फॉर द ट्वेंटी फर्स्ट सेंचुरी' - उन तमाम विषयों पर संघ की राय स्पष्ट करने का प्रयास करती है, जिन्हें लेकर RSS को कठघरे में खड़ा किया जाता रहा है.
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) की आज जयंती है. उनकी जयंती (Ramdhari Singh Dinkar Jayanti) के मौके पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. दिनकर एक ऐसे कवि थे जो सत्ता के करीब रहते हुए भी जनता के दिलों में रहे. देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर (Dinkar) ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है.
Book Review: ईसा मसीह की भारत यात्रा को पुष्ट करने के लिए योजेफ़ बानाश ने और भी ढेरों प्रतीकों का सहारा लिया है. कथ्य में उन्हें इस तरह पिरोया गया है कि वह सच प्रतीत होते हैं. मसलन किताब के अनुसार ईसा मसीह की गंभीर रोगियों को ठीक कर देने की 'ईश्वरीय' अनुकंपा प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय में उपलब्ध चिकित्सा शास्त्र की अनगिनत किताबों की देन थी.
पल्प फिक्शन साहित्य की दुनिया के जाने-माने लेखक सुरेन्द्र मोहन पाठक की आत्मकथा ‘हम नहीं चंगे, बुरा न कोय’ का लोकार्पण बुधवार को दिल्ली के त्रिवेणी ऑडिटोरियम में हुआ. लोकार्पण के कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए सुरेन्द्र मोहन पाठक ने कहा, 'किताब छप जाने से कुछ नहीं होता, छपते रहने से होता है. मैं, मेरा ख़ुद का कॉम्पिटिटर हूं. लगातार कोशिश करने से मैंने ये मुक़ाम हासिल किया है.'
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के रहने वाले दो युवा, जिनकी उम्र भले ही ज्यादा नहीं हो लेकिन उन्होंने जीवन के छोटे-बड़े कठिनाइयों से गुजरकर अपने अनुभवों को कविता के माध्यम से पिरोया है. गोर्की सिन्हा और एल्विन दिल्लु ने संयुक्त रूप से कविता संग्रह रची है, जिसका नाम 'रंग बेरंग' है.
अनुच्छेद 35ए जो कश्मीर के निवासियों को विशेष अधिकार देता है, उसे हटाए जाने के कयासों और राज्य के राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे किसी भी संभावित कदम के कड़े विरोध के बीच सोनिया सिंह की किताब 'डिफाइनिंग इंडिया : थ्रू दीयर आईज' (Defining India: Through Their Eyes) में अरुण जेटली ने स्पष्ट किया है कि इस विवादास्पद अनुच्छेद पर बीजेपी सरकार क्या सोच रही है.
ये 50 वही ट्रेडिशनल आदतें हैं जिन्हें आपके घर में दादी या नानी फॉलो करती आ रही हैं, और आपको भी फॉलो करने को कहा होगा. लेकिन मॉर्डन जनरेशन बिना वजह या सच जाने किसी भी आदत को नहीं अपनाती.
पुस्तक समीक्षाः किताब में समाज, जाति और धर्म से जुड़े अनेक प्रासंगिक सवाल हैं जिनका वाल्मीकि ने तार्किक एवं बेबाक जवाब दिया है. दसअसल, यह किताब मात्र संवाद भर नहीं, साहित्य में दलित विमर्श और समाज में दलितोत्थान के प्रयासों का एक पारदर्शी चेहरा है, जिसमें उनकी कमियां एवं अच्छाइयां सब स्पष्ट हो गई हैं.