एस जयशंकर को सीधे केंद्रीय मंत्री का पद मिला है, ये अपने आप में पहला मौका है लेकिन 10 साल पहले इस तरह कैबिनेट में जगह पाने वाले शख्स नंदन नीलेकणि हो सकते थे. उन्हें राहुल गांधी ने मानव संसाधन विकास मंत्री का पद देने के लिए बुलाया था. हालांकि बिल्कुल आखिरी समय में सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पुनर्विचार के बाद इस प्रस्ताव को वापस ले लिया गया जबकि नीलेकणि दिल्ली के लिए उड़ान भरने को बिल्कुल तैयार थे. नीचे दिया गया पुस्तक का अंश पढ़ें...
डॉ. समीर कपूर और प्रो. जयश्री जेठवानी की नई किताब “व्हेन इंडिया वोट्स” में इन सब विषयों का विवेचनात्मक खाका खींचा गया है. लेखकों ने ईमानदारी व बारीकी से लोकतंत्र, प्रचार अभियान व मास मीडिया के अंतर संबंध को समझने में सहायक तथ्यों को प्रस्तुत किया है.
सुमित्रानंदन पंत की आज जयंती (Sumitranandan Pant Jayant) है. हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत (Sumitranandan Pant) का जन्म 20 मई, 1900 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गांव में हुआ था. उनका नाम गुसाईं दत्त था. वह गंगादत्त पंत की आठवीं संतान थे. उन्होंने अपना नाम बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया था. झरना, बर्फ, पुष्प, लता, भ्रमर-गुंजन, उषा-किरण, शीतल पवन, तारों की चुनरी ओढ़े गगन से उतरती संध्या ये सब तो सहज रूप से काव्य का उपादान बने. निसर्ग के उपादानों का प्रतीक व बिम्ब के रूप में प्रयोग उनके काव्य की विशेषता रही. उनका व्यक्तित्व भी आकर्षण का केंद्र बिंदु था.
पूर्व आईएएस अनिल स्वरूप (Anil Swarup) ने अपनी किताब 'नॉट जस्ट ए सिविल सर्वेंट' (Not Just A Civil Servant Book) में 38 साल लंबी प्रशासनिक सेवा के दौरान हुए अनुभवों को व्यक्त किया है. सत्ता और तंत्र को बेहद करीब से देखने वाले अनिल स्वरूप ने इस किताब में अपने अनुभव को शेयर करने के साथ ही कई खुलासे भी किए हैं. इस किताब के तीसरे अध्याय में उन्होंने लिखा है- ''वह अयोध्या में मंदिर चाहते थे और शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण आम सहमति की दिशा में काम कर रहे थे. वह पूरी तरह से आक्रामक तेवर के खिलाफ थे जो धार्मिक संगठनों की पहचान थी. उस समय भारत में मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे. दूरदर्शन के अलावा कोई दूसरा न्यूज चैनल नहीं था. टेलीप्रिंटर और लैंडलाइन फोन ही कम्युनिकेशन का साधन थे. लाइव टेलीकास्ट का साधन होने के कारण जमीनी हकीकत का अंदाजा लगाना मुश्किल था. कल्याण सिंह को अयोध्या से रुक-रुक कर जानकारियां मिल रही थी.
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) की आज पुण्यतिथि है. दिनकर (Dinkar) का निधन 24 अप्रैल, 1974 को हुआ था. रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar) राष्ट्रकवि होने के साथ ही जनकवि भी थे. दिनकर ऐसे कवियों में से हैं जिनकी कविताएं आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े विद्वान पसंद करते हैं. देश की आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी मिलने तक के सफर को दिनकर ने अपनी कविताओं द्वारा व्यक्त किया है.
हिंदी के विख्यात आलोचक और साहित्यकार नामवर सिंह (Namvar Singh) का निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. नामवर सिंह 93 वर्ष के थे. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक नामवर सिंह ने मंगलवार की रात 11.51 बजे आखिरी सांस ली.
'अधूरी दास्तां' एक प्रेम कहानी है, जिसे विवेक और साक्षी के बीच बुना गया है. एक ही दफ्तर में काम करने वाले विवेक और साक्षी को प्यार हो जाता है. दोनों तमाम ख़्वाब बुनते हैं, लेकिन उनके ख़्वाब को समाज की नजर लग जाती है.
हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
कहानी के अनुसार शिव एक जाना-माना बुद्धिजीवी होता है. शिव को इस बात का पता है कि इंसान को अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए शादी ही पर्याप्त नहीं है. यही वजह है कि वह मन की जगह तर्क का सहारा लेता है. वह अपनी शादीशुदा जिंदगी के दौरान खुद को व्यभिचार के रास्ते की तरफ अग्रसर करता है. इस दौरान वह दो उद्देश्य तय करता है एक तो यह कि वह शादी के पीछे के मकदस को समझेगा और दूसरा यह कि अपनी इच्छाओं को दोबारा तलाशेगा. ठीक उसी तरह जिस तरह उसकी पत्नी ने किया था. इन दोनों ही उद्देश्य को पूरा करने के लिए उसने यह फैसला किया था कि वह अब से सिर्फ शादी-शुदा महिलाओं के साथ ही संबंध बनाएगा.
ये बयान तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर पुस्तक लक्ष्मीनामा में तमाम कहानियों के साथ पेश किया गया है जो किताब के दो पेज पढ़ने वाले को आगे के पृष्ठ पढ़ने के लिए खुद मजबूर करता है. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन तीनों विषयों पर अलग-अलग किताबें तो अनेक लिखी गई हैं लेकिन तीनों के अंतर्संबंधों को उजागर करती हुई शायद हिंदी की यह पहली पुस्तक है.
पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में साउथ एशिया स्टडी सर्किल में इस पर बातचीत हुई. इसका पाठ किया. मुंबई में टाटा लिट फेस्ट में कैरोल एंड्राडी ने 'टेक्स्ट एंड द सिटी' के नाम से चर्चा आयोजित की, जो मुझे इस किताब की अब तक की चर्चाओं में सबसे अधिक पसंद हैं.
किताबों का महाकुंभ यानी विश्व पुस्तक मेला (World Book Fair 2019) शनिवार से शुरू हो जाएगा. 13 जनवरी तक चलने वाले नई दिल्ली वर्ल्ड बुक फेयर (NDWBF) का उद्घाटन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर करेंगे. नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) द्वारा आयोजित मेले (Book Fair) की थीम इस बार 'रीडर्स विद स्पेशल नीड्स' रखी गई है, जो खासतौर से विशेष बच्चों पर केंद्रित है.
हिन्दी के मशहूर कवि और साहित्यकार गोपालदास सक्सेना उर्फ 'नीरज' (Gopal Das Neeraj) की आज जन्मतिथि है. कवि के अलावा गोपालदास नीरज गीतकार भी थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई गीत लिखें थे. गोपालदास नीरज का जन्म (Gopal Das Neeraj Birthday) 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के पुरावली गांव में हुआ था. नीरज को लोग आज भी उनके लिखे मशहूर गीतों के लिए याद करते हैं.
सफ़दर हाशमी (Safdar Hashmi) एक नाटककार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे. सफ़दर हाशमी की आज पुण्यतिथि है. भारत में नुक्कड़ नाटक को आगे बढ़ाने में सफ़दर हाशमी का बेहद खास योगदान रहा है. सफ़दर ने अपने नाटकों के शोषित और वंचित लोगों की आवाज को बुलंद किया था.
5 Most Popular Books of 2018: साल 2018 किताबों के लिए महत्वपूर्ण रहा. इस साल कहानी, उपन्यास, कविता, कथेतर और तमाम विधाओं में किताबें प्रकाशित हुईं और इन किताबों की खूब चर्चा भी हुई.
जेलों में कला, रचनात्मकता और परिवर्तन का संगम है- तिनका-तिनका मध्य प्रदेश. इस किताब का विमोचन सोमवार को गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने किया. जेल सुधारक वर्तिका नन्दा द्वारा लिखित यह पुस्तक 19 लोगों के जरिए जेल की कहानी कहती है.
यूं तो गौरी लंकेश और चिदानंद राजघाटा शादी के कुछ सालों बाद ही अलग हो गए थे, लेकिन वे हमेशा अच्छे दोस्त रहे. तलाक के करीब 4 साल बाद चिदानंद राजघाटा अमेरिका बस गए, लेकिन गौरी से बातचीत जारी रही. वह लिखते, 'मैंने कई वर्षों तक फेसबुक पर गौरी के फ्रेंड रिक्वेस्ट को इग्नोर किया,क्योंकि वह बहुत जल्द गुस्सा हो जाती थी. मुझे इससे डर लगता था