जब फौजियों के सम्मान में पीएम मोदी ने पढ़ीं दिनकर, चतुर्वेदी की ये पंक्तियां...

जब फौजियों के सम्मान में पीएम मोदी ने पढ़ीं दिनकर, चतुर्वेदी की ये पंक्तियां...

प्रतीकात्मक तस्वीर

चाह नहीं, मैं सुरबाला के 
गहनों में गूंथा जाऊं,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊं,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊं,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूं भाग्य पर इठलाऊं,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!


मशहूर कवि माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी ये कविता 'पुष्प की अभिलाषा' हम बचपन से पढ़ते आए हैं. लेकिन जब एक बेहद खास मौके पर देश के वीर जवानों के बलिदान,पराक्रम और कर्तव्यनिष्ठा को चिह्नित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन पंक्तियों को दोहराया, तो वहां मौजूद सभी लोग भाव विभोर हो गए. 
 
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मौका था, मध्य प्रदेश के भोपाल में खुले शौर्य स्मारक के लोकार्पण का. देश के वीर सपूतों की कुर्बानी की जयकार करते हुए मंच से पीएम ने रामधारी सिंह दिनकर की लिखी 'कलम, आज उनकी जय बोल' कविता भी पढ़ी...

जला अस्थियां बारी-बारी,
चटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल


देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले वीरों की याद में मध्य प्रदेश के भोपाल में शौर्य स्मारक बनाया गया है. वीर शहीदों को समर्पित यह स्मारक 12.67 एकड़ भूमि पर बनाया गया है. यहां एक 62 फुट ऊंचा स्तम्भ भी है जिसकी ग्रेनाइट डिस्क हमारी जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के शौर्य को प्रदर्शित कर रही है. साथ में शहीदों के सम्मान में प्रज्जवलित की गई अखंड-ज्योति यहां अत्याधुनिक होलोग्राफिक लौ के माध्यम से दिखाई गई है. इसके अलावा यहां पर व्याख्या केन्द्र, संग्रहालय, सियाचिन का जीवंत अनुभव करा देने वाली रचना व खुला रंगमंच जैसे कई प्रकल्प बनाये गए हैं.


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