अजित सिंह: इंजीनियरिंग छोड़ संभाली पिता की राजनीतिक विरासत, यहां जानें उनका सियायी सफर

अजित सिंह वाजपेयी सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री और 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रह चुके हैं.

अजित सिंह: इंजीनियरिंग छोड़ संभाली पिता की राजनीतिक विरासत, यहां जानें उनका सियायी सफर

अजित सिंह ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है लेकिन राजनीति उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली.

नई दिल्ली:

खुद को जाट नेता कहलवाना पसंद करने वाले चौधरी अजित  सिंह (Ajit Singh) लोकसभा चुनाव 2019 में मुजफ्फरनगर सीट से मैदान में हैं. इसी सीट पर 1971 में उनके पिता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह चुनाव हार गए थे. अजित ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है लेकिन राजनीति उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली. वे राष्ट्रीय लोकदल के संस्थापक हैं और इस चुनाव में उन्होंने सपा-बसपा गठबंधन को समर्थन दिया है. 

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अजित  सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ है. लखनऊ से बीएससी करने के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी खड़गपुर चले गए.  इसके बाद अमेरिका के इलिनाइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी से मास्टर ऑफ साइंस किया. अजित ने करीब 15 साल तक अमेरिका में ही नौकरी की. जब उनके पिता चौधरी चरण सिंह की तबियत खराब रहने लगी तो वे भारत लौट आए. यहां 1980 में चौधरी चरण सिंह ने उन्हें लोकदल की कमान  सौंप दी. यहीं से अजित  सिंह ने राजनीति में कदम रखा. 

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अजित  सिंह 1986 में पहली बार उत्तर प्रदेश से राज्यसभा पहुंचे. 1987 में उन्‍हें लोकदल का अध्‍यक्ष बनाया गया और 1988 में जनता पार्टी के अध्‍यक्ष घोषित किए गए. अजित सिंह ने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव बागपत सीट से जीता. 1998 में अजित सिंह पहली बार इस सीट पर  बीजेपी के नेता सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) बनाई 1999 में चुनाव जीत लिया. इसके बाद से वे लगातार 2009 तक इस सीट पर जीतते चले आए. 2014 में उन्हें दूसरी बार यहां से बीजेपी के सत्यपाल के सामने हार का मुंह देखना पड़ा था . 

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विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में 11 महीने के लिए वे उद्योग मंत्री रहने के अलावा अजित सिंह अटल बिहरी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री और 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री भी रह चुके हैं. 2014  की हार के बाद उन्होंने आरएलडी का गढ़ माने जाने वाले बागपत से अपने बेटे जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) को उतारा है, जबकि खुद मुजफ्फरनगर से चुनावी मैदान में हैं. यहां अजित का मुकाबला पूर्व केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी से मौजूदा सांसद संजीव बालियान से है जबकि कांग्रेस ने इस सीट पर कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया है.