बगैर 'ताई' के क्या इंदौर में फंस सकती है बीजेपी की गाड़ी, देखें- आंकड़े क्या कहते हैं 

बीजेपी नेता सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) लगातार इंदौर (Indore Lok Sabha Seat) की नुमाइंदगी करती आ रही हैं, लेकिन इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. 

बगैर 'ताई' के क्या इंदौर में फंस सकती है बीजेपी की गाड़ी, देखें- आंकड़े क्या कहते हैं 

इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok Sabha Seat) से इस बार सुमित्रा महाजन को टिकट नहीं मिला.

खास बातें

  • बीजेपी का मजबूत गढ़ रही है इंदौर सीट
  • सुमित्रा महाजन इस सीट से हैं सांसद
  • इस बार बीजेपी ने उन्हें नहीं दिया है टिकट
नई दिल्ली :

लोकसभा चुनाव (General Election 2019) की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है. आधे से ज्यादा मतदान हो चुका है और सिर्फ तीन चरणों का मतदान और बचा है. एक तरफ विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार को हटाने की पुरजोर कोशिश कर रही हैं, तो दूसरी तरफ बीजेपी भी दोबारा सत्ता में लौटने के लिए कोई कोर-कसर छोड़ती नहीं दिख रही है. उम्मीदवारों के चयन से लेकर प्रचार अभियान तक, हर रणनीति में इसका असर देखने को मिल रहा है. मध्य प्रदेश की इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok Sabha constituency) भी उन सीटों में से एक है, जहां इस बार BJP की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. साल 1989 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के गृहमंत्री रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता प्रकाशचंद्र सेठी को पटखनी देने के बाद से बीजेपी नेता सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) लगातार इंदौर की नुमाइंदगी करती आ रही हैं, लेकिन इस बार बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. 

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सुमित्रा महाजन की इंदौर में रही है गहरी पैठ 
बीजेपी ने इस बार इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok Sabha Seat) से शंकर लालवानी को टिकट दिया है. तो दूसरी तरफ,  कांग्रेस ने पंकज संघवी को मैदान में उतारा है. मुख्य मुकाबला भी इन दोनों उम्मीदवारों के बीच ही माना जा रहा है. इंदौर की मौजूदा सांसद सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) की क्षेत्र में पैठ कितनी मजबूत है, इसकी गवाही 2014 के आंकड़े देते हैं. 2014 में सुमित्रा महाजन ने साढ़े चार लाख से ज्यादा वोट के अंतर से जीत दर्ज की थी. सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) को 8,54,972 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल 3,88,071 वोट पाकर दूसरे पायदान पर रहे थे. हालांकि 2014 के बाद सिर्फ इंदौर (Indore Lok Sabha Seat) नहीं, पूरे मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण बदले हैं. एक तरफ बीजेपी को राज्य में सत्ता गंवानी पड़ी है, तो इंदौर में भी आपसी खींचतान से जूझ रही है. हालिया विधानसभा चुनाव की बात करें तो इंदौर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. 

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आपसी खींचतान कहीं बीजेपी पर पड़ न जाए भारी 
लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही इंदौर लोकसभा सीट  (Indore Lok Sabha Seat) को लेकर बीजेपी के अंदर खींचतान की खबरें आने लगी थीं. कहा जा रहा था कि इस सीट से कैलाश विजयवर्गीय चुनाव लड़ना चाहते हैं. खींचतान के बीच सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) ने खुद पत्र लिखकर कहा कि पार्टी टिकट देने के लिए स्वतंत्र है. हालांकि अंत में टिकट शंकर लालवानी के खाते में गया. लोकसभा चुनाव ही नहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान इंदौर को लेकर बीजेपी में टकराव देखने को मिला था. कहा जा रहा था कि सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) अपने बेटे मंदार और विजयवर्गीय अपने बेटे आकाश को इंदौर से चुनाव लड़वाना चाह रहे थे. इस वजह से प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करने में भी देरी हुई थी.   

बीजेपी-कांग्रेस की अपनी-अपनी 'सोशल इंजीनियरिंग'
इंदौर (Indore Lok Sabha Seat) में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों 'सोशल इंजीनियरिंग' के मोर्चे पर काम कर रहे हैं. एक तरफ बीजेपी की कोशिश है कि वो अपने परंपरागत मतदाताओं जैसे- वैश्य-ब्राह्मण और मराठी वोटरों को अपने पाले में रखने में कामयाब रहे. तो दूसरी तरफ, कांग्रेस की नजर मुस्लिम मतदाताओं के साथ-साथ दलित और गुजराती वोटरों पर है. आपको बता दें कि इंदौर में वैश्य-ब्राह्मण समाज के करीब चार लाख वोटर हैं. तो वहीं,  1.50 लाख के आसपास मराठी मतदाता हैं. इसी तरह मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ढाई लाख के आसपास है.  

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इंदौर लोकसभा सीट पर कब कौन रहा है सरताज  
इंदौर लोकसभा सीट (Indore Lok Sabha Seat) से 1952 में कांग्रेस के नन्दलाल जोशी, 1957 में कांग्रेस के कन्हैयालाल खेड़ीवाला, 1962 में CPI के होमी. एफ. दाजी, 1967 में कांग्रेस के प्रकाश चंद्र सेठी, 1971 में कांग्रेस के राम सिंह भाई, 1977 में भारतीय लोकदल के कल्याण जैन, 1980 और 1984 में कांग्रेस के प्रकाश चन्द्र सेठी ने दो बार जीत हासिल की, 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में BJP की दिग्गज नेता और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने आठ बार जीत हासिल की. आपको बता दें कि इंदौर लोकसभा सीट के अंतर्गत कसरावद, खरगोन, महेश्वर, भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल और बड़वानी विधानसभा सीटें आती हैं. भगवानपुरा, सेंधवा, राजपुर, पानसेमल और बड़वानी अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं और महेश्वर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 

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