ये भी पढ़ें: बंगाल हिंसा: TMC ने कहा- छात्रों ने सिर्फ काले झंडे दिखाए थे, शाह ने बाहर से बुलाए थे गुंडे
चौकीदार चोर है
लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बीजेपी और पीएम मोदी पर हमलावर रुख अपना रहे थे. वह 2014 के चुनावों से सबक लेकर पहले ही चुनावी ताल ठोंक चुके थे और पीएम मोदी को भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहे थे. अचानक राफेल मामले ने पूरे देश में कांग्रेस को अपना पक्ष मजबूत करने का मौका दे दिया और राहुल राफेल को आधार बनाकर पीएम मोदी पर हमला करने लगे. राहुल के राफेल पर उठाए सवालों से बीजेपी बैकफुट पर नजर आने लगी और राहुल को पब्लिक के बीच अपना अस्तित्व बनाने का मौका मिल गया. पीएम मोदी हमेशा खुद को चौकीदार बताते थे. ऐसे में राहुल ने अपनी जनसभाओं में कहना शुरू किया कि चौकीदार चोर है. राहुल का मतलब साफ था लेकिन वह पीएम का नाम लेकर हमला नहीं कर रहे थे बल्कि बार-बार अपनी सभाओं में वह इसी नारे को दोहराने लगे. बीजेपी के आलोचकों को ये नारा पसंद आने लगा और धीरे-धीरे यह इस चुनाव का सबसे पॉपुलर नारा बन गया. हालांकि राहुल के इस बयान पर विवाद भी हुआ और उन्हें सुप्रीम कोर्ट में इस बयान के लिए खेद भी जताना पड़ा.
एक्सपायरी पीएम
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें एक्सपायरी-पीएम कहा था. उन्होंने कहा था कि चक्रवात फानी पर बातचीत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कॉल को जवाब इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वह 'एक्सपायरी-पीएम' के साथ मंच साझा नहीं करना चाहतीं. इससे पहले पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को स्पीडब्रेकर दीदी बताते हुए कहा था कि उन्होंने फानी तूफान पर भी राजनीति करने की कोशिश की. उन्होंने कहा था मैंने ममता बनर्जी से संपर्क करने की कोशिश की, मगर उनका अहंकार इतना अधिक है कि उन्होंने मुझसे बात करने से भी मना कर दिया.
कामदार-नामदार
रैलियों, जनसभाओं के बाद नेताओं के भाषण अखबारों में छपते हैं, टीवी व वॉट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी रिपीट होते रहते हैं इसलिए उनकी कही बातें लोगों के जहन में बस जाती हैं. देखने में आया है कि लगभग सभी नेता पिछले दो महीने से अपनी सभी सभाओं में प्राय: एक जैसी बात, एक जैसे नारे देते दिखाई देते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सभाओं में कांग्रेस नेताओं तथा समर्थकों को 'रागदरबारी' और 'राजदरबारी' बताते हुए कांग्रेस अध्यक्ष (राहुल गांधी) को 'नामदार' और खुद को 'कामदार' बताते हैं. वह राहुल और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम लिए बिना 'नामदार' बनाम 'कामदार' का हवाला अपने भाषण में कई बार दे चुके हैं.
ये भी पढ़ें: ममता बनर्जी मीम: जेल से छूटने के बाद BJP कार्यकर्ता प्रियंका बोलीं- नहीं मांगूंगी माफी
यू टर्न बाबू और स्टीकर बाबू
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्रप्रदेश में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'यहां नई राजधानी से लेकर अलग-अलग परियोजनाओं में क्या-क्या खेल हो रहे हैं, किसकी तिजोरियां भरी जा रही हैं, ये आंध्र प्रदेश की जनता भलीभांति जानती है. आपके इस चौकीदार ने जब इस खेल पर सवाल उठाए, जब हिसाब लेने की कोशिश की तो U-turn बाबू (चंद्रबाबू नायडू) ने आंध्र के विकास के वादे से भी U-turn ले लिया और एनडीए से खुद को अलग कर लिया. अब U-turn बाबू ने ऐसे दोस्तों को ढूंढा है, जो Bail गाड़ी पर चलते हैं. Bail गाड़ी, यानी जो भ्रष्टाचार के आरोप में जमानत पर हैं और अपनी राजनीति की गाड़ी चला रहे हैं. U-turn बाबू, झूठ बोलने में जितने माहिर हैं, केंद्र की योजनाओं पर अपना स्टीकर चिपकाने में भी उतने ही बड़े कलाकार हैं. इसलिए अब लोग इनको 'स्टीकर बाबू' के नाम से भी बुलाने लगे हैं.'
स्पीडब्रेकर दीदी
पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को स्पीडब्रेकर दीदी कहा था. उन्होंने बंगाल में कहा था, 'मैं अभी, ओडिशा से फोनी से हुए नुकसान का जायजा लेकर यहां आया हूं. यहां पश्चिम बंगाल में भी जो हालात बने हैं, उससे मैं भली-भांति परिचित हूं. जिन साथियों ने इस आपदा में अपनों को खोया है, मैं उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. यहां की स्पीड ब्रेकर दीदी (ममता बनर्जी) ने इस चक्रवात पर भी राजनीति करने की कोशिश की है. चक्रवात से पहले मैंने ममता दीदी से फोन पर बात करने की कोशिश की. लेकिन दीदी का अहंकार इतना ज्यादा है, कि उन्होंने मुझसे बात नहीं की. मैं इंतजार करता रहा कि शायद दीदी वापस मुझे फोन करें. लेकिन उन्होंने नहीं किया. मैंने फिर भी, उन्हें दोबारा फोन किया. मैं पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए चिंता में था, इसलिए ममता दीदी से बात करना चाहता था. लेकिन दीदी ने दूसरी बार भी मुझसे बात नहीं की.'
Video: कोलकाता: अमित शाह की रैली में भिड़े TMC छात्र संघ और BJP कार्यकर्ता