हरियाणा में 53 सालों में सिर्फ 5 महिला सांसद, इस बार चुनावी दंगल में 7 उम्मीदवार

हरियाणा के गठन से लेकर अब तक यहां से केवल पांच महिलाएं ही संसद तक पहुंच पाई हैं. इस बार आम चुनाव में 11 महिलाएं अपनी चुनावी किस्मत आजमां रहीं हैं.

हरियाणा में 53 सालों में सिर्फ 5 महिला सांसद, इस बार चुनावी दंगल में 7 उम्मीदवार

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

हरियाणा के गठन से लेकर अब तक यहां से केवल पांच महिलाएं ही संसद तक पहुंच पाई हैं. इस बार आम चुनाव में 11 महिलाएं अपनी चुनावी किस्मत आजमां रहीं हैं. दुखद बात यह है कि अपने कम लिंगानुपात के लिए आलोचना के घेरे में रहने वाले इस राज्य से पिछले लोकसभा चुनाव में कोई भी महिला जीत हासिल नहीं कर सकी थी. यहां छह संसदीय सीटें ऐसी हैं जहां से लोगों ने कभी किसी महिला को नहीं जिताया है. इस बार के चुनावों में खास बात यह भी है कि राज्य में 11 में से सात महिलाएं बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी दंगल में ताल ठोंक रही हैं पर इतिहास उनके पक्ष में गवाही नहीं दे रहा है. 

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यहां आज तक कोई निर्दलीय महिला उम्मीदवार विजयी घोषित नहीं हुई है. पहली महिला सांसद की बात करें तो यह श्रेय चंद्रवती को हासिल है. वह जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में भिवानी सीट से विजयी हुईं थीं. उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेहद निकट समझे जाने वाले नेता बंसी लाल को हराया था. हालांकि बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गईं थीं और 1990 में वह पुड्डुचेरी की राज्यपाल भी बनीं. राज्य से अब तक 151 सांसद चुने गए हैं जिनमें से सिर्फ आठ महिलाएं ही सांसद बन सकीं हैं.

कांग्रेस की कुमारी शैलजा ही एकमात्र ऐसी महिला हैं जो तीन बार लोकसभा पहुंच सकीं है. दो बार अंबाला सीट से और एक बार सिरसा सीट से. शैलजा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''राज्य ने खूब तरक्की की है लेकिन जब महिलाओं की बात आती है तो अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. इस समस्या को हल करने के लिए अधिक से अधिक महिलाओं को आगे आना होगा.''

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भिवानी महेंद्रगढ़ से 2009 में सांसद रहीं बंसी लाल की पोती श्रुति चौधरी एक बार फिर मैदान में हैं. उन्होंने कहा, ‘‘महिलाएं सशक्त राजनीतिज्ञ हो सकती हैं. मेरी मां (किरण चौधरी) ने खुद को साबित किया है. यह दुख की बात है कि अबतक बहुत कम संख्या में महिलाएं सांसद निर्वाचित हुई हैं. मैं महिलाओं से आगे आने की अपील करती हूं.''

(इनपुट भाषा से)

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