केंद्रापाड़ा से क्यों हार गए बैजयंत जय पांडा? यह रही मुख्य वजह

किसी भी हालत में बैजयंत पांडा केंद्रापाड़ा सीट जीतना चाहते थे लेकिन नवीन किसी भी हालात में पांडा को रोकना चाहते थे. नवीन पटनायक ने इस बार ओड़िया फ़िल्म एक्टर अनुभव महंती को मैदान में उतारा था.

केंद्रापाड़ा से क्यों हार गए बैजयंत जय पांडा? यह रही मुख्य वजह

बीजेपी नेता जय पांडा (फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली:

इस बार ओडिशा के चुनाव में लड़ाई सिर्फ राजनैतिक दलों के बीच नहीं बल्कि दो ऐसे नेताओं के बीच भी थी जिस पर सब की नज़रें थीं. वो दोनों नेता हैं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और केंद्रापाड़ा से पूर्व सांसद बैजयंत जय पांडा. किसी भी हालत में बैजयंत पांडा केंद्रापाड़ा सीट जीतना चाहते थे लेकिन नवीन किसी भी हालात में पांडा को रोकना चाहते थे. नवीन पटनायक ने इस बार ओड़िया फ़िल्म एक्टर अनुभव महंती को मैदान में उतारा था. अनुभव लोकप्रिय ओड़िया एक्टर हैं और राज्यसभा सांसद भी हैं. केंद्रापाड़ा की लड़ाई नवीन और जय पांडा के बीच प्रेस्टिज की लड़ाई थी. किसी भी हालत में दोनों पक्ष जीतना चाहते थे. अगर यहां अनुभव हार जाते तो यह हार नवीन की होती लेकिन अनुभव महंती ने जय पांडा को 1,52,584 वोट से हराया. हारने के बाद जय पांडा ने अनुभव महंती और नवीन पटनायक को जीत की बधाई दी.

नवीन पटनायक की लोकप्रियता
ओडिशा के असली लड़ाई केंद्रापाड़ा के चुनाव क्षेत्र में देखने को मिल रही थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जय पांडा के लिए केंद्रापाड़ा रैली करने गए थे. केंद्रापाड़ा के मुस्लिम वोटर्स को लुभाने के लिए मुख्तार अब्बास नकवी ने भी केंद्रापाड़ा में सभा की लेकिन इसके बावजूद भी जय पांडा जीत नहीं पाए. नवीन पटनायक की प्लानिंग के सामने सब फेल हो गए. केंद्रापाड़ा सीट से बीजू जनता दल आज तक कभी नहीं हारी. नवीन के पिता बीजू पटनायक यहां से तीन बार जीते थे. यहां के वोटर्स बीजू पटनायक और नवीन के साथ भावनात्‍मक रूप से भी जुड़े हुए हैं. 1952 से लेकर 2014 के बीच केंद्रापाड़ा में 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं जिसमें से पांच बार बीजू जनता दल की जीत हुई है, चार बार जनता पार्टी, तीन-तीन बार जनता दल और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की है. 1997 में बीजू जनता दल का गठन हुआ. 1998 से लेकर 2019 तक बीजू जनता दल केंद्रापाड़ा से कभी नहीं हारी है यानी लगातार इस सीट से जीत रही है. नवीन और बीजू पटनायक के नाम पर अनुभव महंती ने वोट मांगा. लोगों यह समझाया गया कि अनुभव महंती की हार बीजू और नवीन पटनायक का हार है.

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कोर वोटर पांडा के साथ नहीं गया
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में केंद्रापाड़ा से बीजू जनता दल के प्रत्याशी रहे बैजयंत जय पांडा ने शानदार जीत हासिल की थी. पांडा ने कांग्रेस प्रत्याशी धरणीधर नायक को 2,09,300 वोट से हराया था. पांडा को कुल-मिलाकर 6 लाख के करीब वोट मिले थे जो टोटल वोट के 38 प्रतिशत के करीब था. कांग्रेस प्रत्याशी नायक को 25 प्रतिशत करीब वोट मिला था जबकि बीजेपी के विष्णु प्रसाद को सिर्फ 118390 वोट मिले. 2009 में भी केंद्रापाड़ा में बीजू जनता दल ने शानदार प्रदर्शन किया था. बीजू जनता दल के प्रत्याशी बैजयंत पांडा ने कांग्रेस प्रत्याशी रंजीब बिस्वाल को 3,75,528 वोट से हराया था. इस बार यह माना जाता रहा कि बैजयंत जीत जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बार जय पांडा के लिए हार की जो सबसे बड़ी वजह रही वो है कोर वोटर. बीजू जनता दल के कोर वोटर्स जय पांडा के साथ नहीं गए. बीजेपी इस बार केंद्रापाड़ा में दूसरे स्थान पर रही जबकि 2014 में तीसरे स्थान पर थी. लेकिन इस बार कांग्रेस का जो वोट है वो बीजेपी को शिफ्ट कर गया जबकि बीजद के कोर वोटरों ने जय पांडा का साथ नहीं दिया. इस बार कांग्रेस को सिर्फ दस प्रतिशत के करीब वोट मिले हैं जबकि 2014 में 25 प्रतिशत के करीब मील थे.

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नवीन पटनायक और पांडा कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे
नवीन पटनायक और जय पांडा अच्छे दोस्त थे. पांडा और पटनायक के बीच रिश्ता काफी पुराना है. जय पांडा के पिता वंशी पांडा का नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक के साथ काफी अच्छा रिश्ता था. 1997 में जब बीजू पटनायक की मौत हुई तब जय पांडा नवीन के पास पास थे. 2000 में ओडिशा में बीजू जनता दल की सरकार बनी, नवीन पटनायक ने जय पांडा को राज्यसभा भेजा. 2006 में भी बीजू जनता दल की तरफ से पांडा राज्यसभा पहुंचे. 2009 में नवीन पटनायक ने जय पांडा को केंद्रापाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ाया और पांडा ने जीत हासिल की और पहली बार लोकसभा पहुंचे. 2014 में भी नवीन पटनायक ने पांडा को केंद्रापाड़ा से टिकट दिया और पांडा ने जीत हासिल की थे.

रिश्ते में कैसे दरार आई
लोकसभा चुनाव के दौरान यह पता चल गया था कि नवीन और पांडा के बीच रिश्ता कितना खराब हो गया है. पांडा खुलकर नवीन पर हमला कर रहे थे. पांडा ने नवीन की पार्टी को गुंडा पार्टी कहा था. बीजू जनता दल के कई नेताओं के ऊपर करप्शन का भी आरोप लगाया था. नवीन पटनायक का कहना था कि पांडा पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं. उन्हें बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. नवीन ने यह भी आरोप लगया था कि पांडा नवीन की फिटनेस को लेकर अफवाह फैला रहे हैं. नवीन ने यह भी आरोप लगाया था जय पांडा अपनी कंपनी को फायदा पहुंचाने चाहते हैं जबकि पांडा ने इन सब आरोपों को निराधार बताया था. पांडा और पटनायक के बीच रिश्ता इतना बिगड़ गया था कि दोनों एक दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाज़ी कर रहे थे. मई 2018 में जय पांडा ने बीजद को अलविदा कह दिया और मार्च 2019 में भारतीय जनता पार्टी जॉइन कर ली. 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जय पांडा को बीजेपी ने केंद्रापाड़ा से सीट से अपना उम्मीदवार बनाया.

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