सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला और 1977 के बाद पहली बार चुनाव प्रचार से दूर हो गए लालू यादव
लालू यादव ने इसमें लिखा है, 'इस वक्त जब बिहार एक नई गाथा लिखने जा रहा है. लोकतंत्र का उत्सव चल रहा है. यहां रांची के अस्पताल में अकेले बैठकर मैं सोच रहा हूं कि क्या विध्वंसकारी शक्तियां मुझे इस तरह कैद कराके बिहार में पिर किसी षड्यंत्र की पठकथा लिखने में सफल हो पाएंगी. मेरे रहते बिहारवासियों के सात मैं फिर से धोखा नहीं होने दूंगा. मैं कैद में हूं मेरे विचार वहीं. अपने विचारों को आपसे साझा कर रहा हूं, क्योंकि एक दूसरे से विचारों को साझा करके ही हम इन बांटने वाली ताकतो से लड़ सकते हैं.
उन्होंने आगे लिखा, 'इस बार चुनाव में सबकुछ दांव पर है. इस बार का चुनाव पहले जैसा नहीं है. देश, समाज, लालू यानी आपका बराबरी से सिर उठाकर चलने का जज्बा देने वाला और आपके हक और इज्जत और गरिमा सब दांव पर है. लड़ाई आर-पार की है. मेरे गले में सरकार और चालबाजों का फंदा फंसा हुआ है. उम्र के साथ शरीर साथ नहीं दे रहा पर आन और आबरू की लड़ाई में लालू की ललकार हमेशा रहेगी.
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लालू प्रसाद यादव के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी सबसे बड़ा झटका है, क्योंकि 1977 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि लालू प्रसाद यादव किसी भी चुनाव प्रचार में शामिल नहीं होंगे. बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव और 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए लालू प्रसाद ने प्रचार किया था, हालांकि, उस वक्त भी वह जेल से जमानत पर बाहर आए थे.
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सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद कई चीजें नई होंगी. मसलन, 1977 के बाद जब लालू प्रसाद यादव पहली बार चुनाव लड़े थे और सारण से सांसद के रूप में चुने गए थे, चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे. चारा घोटाला में फंसे होने की वजह से उन्हें अयोग्य ठहरा दिया गया था, जिसकी वजह से वह चुनाव नहीं लड़ सके थे, मगर वह 2014 के चुनाव और 15 के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार में शामिल हुए थे.
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इतना ही नहीं, जब तक चारा घोटाला के ही एक मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में दोषी पाए गए लालू प्रसाद यादव को हाई कोर्टबरी नहीं कर देता, तब तक लालू प्रसाद यादव का जेल से बाहर निकलना काफी मुश्किल है.
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बता दें कि लालू प्रसाद को नौ सौ करोड़ रुपये से अधिक के चारा घोटाले से संबंधित तीन मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है. ये मामले 1990 के दशक में, जब झारखण्ड बिहार का हिस्सा था, धोखे से पशुपालन विभाग के खजाने से धन निकालने से संबंधित हैं. लालू प्रसाद ने उच्च न्यायालय में जमानत के लिये अपनी उम्र और गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते हुये कहा था कि वह मधुमेह, रक्तचाप और कई अन्य बीमारियों से जूझ रहे हैं और उन्हें चारा घोटाले से संबंधित एक मामले में पहले ही जमानत मिल गयी थी. राजद सुप्रीमो को झारखण्ड में स्थित देवघर, दुमका और चाईबासा के दो कोषागार से छल से धन निकालने के अपराध में दोषी ठहराया गया है. इस समय उन पर दोरांदा कोषागार से धन निकाले जाने से संबंधित मामले में मुकदमा चल रहा है.
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