ऊधमपुर-डोगरा : गुलाम नबी आजाद को हराने वाले जितेंद्र सिंह के सामने हैं इस बार विक्रमादित्य सिंह

2014 के लोकसभा चुनाव की डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद 60 हजार वोटों से हरा दिया था.

ऊधमपुर-डोगरा :  गुलाम नबी आजाद को हराने वाले जितेंद्र सिंह के सामने हैं इस बार विक्रमादित्य सिंह

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर की ऊधमपुर-डोगरा लोकसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह का सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह से है जो पूर्ववर्ती महाराजा हरि सिंह के पोते हैं. चुनाव प्रचार के दौरान जितेन्द्र सिंह अपने विकास संबंधी दावों का जिक्र करते हुए पूर्ववर्ती सरकारों को चुनौती देते हैं कि वह उनकी सरकार के कामकाज की तुलना पिछले साढ़े छह दशकों में किए गए कथित विकास कार्यों से करें. नई दिल्ली में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लाने के नाम पर मतदाताओं से भाजपा को वोट देने की अपील कर रहे बीजेपी नेता जितेन्द्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि मैं अपने पांच साल के विकास संबंधी रिपोर्ट कार्ड के आधार पर वोट मांग रहा हूं. इस संसदीय क्षेत्र में ऐतिहासिक विकास हुआ है. बीते पांच साल में यहां कार्यान्वित बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं की सूची लंबी है. जितेंद्र सिंह को अंतिम डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के पोते, 54 वर्षीय विक्रमादित्य सिंह सीधे चुनौती दे रहे हैं. विक्रमादित्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह के पुत्र हैं.  विक्रमादित्य सिंह की उम्मीदवारी को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने समर्थन दिया है. महबूबा मुफ्ती नीत पीडीपी ने इस सीट पर कोई प्रत्याशी नहीं उतारा ताकि धर्म निरपेक्ष वोटबैंक विभाजित न होने पाए. पार्टी सूत्रों का कहना है कि पीडीपी के इस कदम से विक्रमादित्य को फायदा होगा. इस बीच, डोगरा स्वाभिमान संगठन (डीएसएस) के संस्थापक और पूर्व बीजेपी मंत्री चौधरी लाल सिंह भी चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. वह 2009 में इसी सीट से जीते थे. इस बार चौधरी लाल सिंह कठुआ जिले में हिंदू वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं.

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बात करें साल 2014 के लोकसभा चुनाव की डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद 60 हजार वोटों से हरा दिया था.  इस सीट पर बीजेपी चार बार जीत दर्ज चुकी है. जिसमें 1996, 1998 और 1999 के चुनाव शामिल हैं और कांग्रेस 9 बार जीत चुकी है. जबकि एक बार कांग्रेस यू भी जीती है

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