जिन 5 मुद्दों की वजह से हारी थी मनमोहन सरकार, क्या पीएम मोदी ढूंढ़ पाए उनका समाधान

Lok Sabha Election 2019 : कांग्रेस हर हाल में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार का बदला लेना चाहती है. इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 44 सीटें आई थीं और उसको विपक्षी दल का दर्जा मिलने के लिए जरूरी 10 फीसदी भी वोटें नहीं आ पाई थीं.

जिन 5 मुद्दों की वजह से हारी थी मनमोहन सरकार, क्या पीएम मोदी ढूंढ़ पाए उनका समाधान

लोकसभा चुनाव 2019 : इस बार 7 चरणों में होगा चुनाव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019  का ऐलान हो गया है. कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि मोदी सरकार को केंद्र की सत्ता से इस बार हटा देना है. कांग्रेस हर हाल में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार का बदला लेना चाहती है. इस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 44 सीटें आई थीं और उसको विपक्षी दल का दर्जा मिलने के लिए जरूरी 10 फीसदी भी वोटें नहीं आ पाई थीं. दरअसल साल 2014 में यूपीए सरकार के सामने ऐसे मुद्दे खड़े हो गए थे जिनका असर जमीन पर साफ देखा जा सकता था. कांग्रेस इन मुद्दों को संभाल नहीं पाई. दूसरी और हिंदुत्व के 'पोस्टर ब्वॉय' के रूप में उभरे नरेंद्र मोदी 'ब्रांड गुजरात' का डंका पीट रहे थे और आम जनता को उनकी बातें नई लग रही थीं. वह पाकिस्तान को लेकर आक्रमक बातें करते थे. महंगाई को सीधे-सीधे कालाबाजारी और भ्रष्टाचार से जोड़ते थे. विदेशों में जमा कालाधन से देश में सब कुछ ठीक करने का आश्वासन देते थे और 2 जी घोटाले में हुए कथित रुपये के गबन की संख्या 10 जनपथ (सोनिया गांधी का आवास) तक पहुंचा देते थे. दूसरी गांधी परिवार के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन घोटाले के आरोप भी भारी पड़े. 

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दूसरी ओर अन्ना आंदोलन, 16 दिसंबर रेप कांड के बाद पूरे देश में केंद्र के खिलाफ गुस्सा, और तमाम मंत्री और कांग्रेस के नेताओं के नाम कथित घोटाले में खूब उछल रहे थे. काला धन के खिलाफ दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन कर रहे बाबा रामदेव के खिलाफ हुई कार्रवाई से भी आम जन में गुस्सा था. राम मंदिर को लेकर कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर दिए गए हलफनामे भी चर्चा में थे. लोकसभा चुनाव में हार की जांच के लिए गठित एके एंटनी समिति ने भी माना था कि कांग्रेस की छवि अल्पसंख्क तुष्टिकरण बन जाना सबसे बड़ी वजह थी. सवाल इस बात का है कि क्या पीएम मोदी ने इन मुद्दों का समाधान पाएं हैं या फिर देश के सामने फिर वही मुद्दे हैं. 

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2014 में यूपीए सरकार के सामने क्या थे बड़े मुद्दे

 

कमजोर सरकार की छवि
यूपीए के 10 साल के शासन के दौरान कई बड़ी आतंकवादी घटनाएं हुई थीं. इसके साथ ही लोगों में वित्तीय असुरक्षा की भी भावना थी. नेताओं और व्यवस्था पर जनता का विश्वास उठ गया था. आर्थिक सुधार एक तरह से ठप पड़ा था और जो भी किए गए उनका असर जनता के बीच नहीं दिख रही थी. 

अपराध में बढ़ोत्तरी
देश की राजधानी दिल्ली में अपराध की घटनाएं बढ़ती जा रही थीं. दिल्ली की कानून व्यवस्था भी केंद्र के हाथ में ही होती है और दिल्ली में ही ज्यादातर न्यूज चैनल और मीडिया ऑफिस हैं. इसकी वजह से इन घटनाओं की रिपोर्टिंग जमकर होती थी. इसका असर पूरे देश में होता था. इन घटनाओं को रोकने के लिए सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जा रहे थे और कई बार जनता इसको लेकर सड़कों पर आ जाती थी. साल 2012 में दिल्ली में हुई एक रेप की घटना ने पूरे देश को गुस्से में भर दिया और कई जगहों पर प्रदर्शन की खबरें आने लगीं.

भ्रष्टाचार के आरोप
यूपीए के 10 सालों में नीचे से लेकर ऊपर तक भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था. कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम इसमें सामने आ रहे थे. महाराष्ट्र में तो कांग्रेस के एक मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ गई थी. 2 जी घोटाला, कॉमनवेल्थ घोटाला, कोयला घोटाला, अगस्ता-वेस्टलैंड घोटाला और तमाम आरोपों ने यूपीए सरकार की छवि पर गहरा दाग लगा दिया था. लेकिन किसी के भी खिलाफ कोई प्रामाणिक कार्रवाई नहीं हो रही थी. इसी बीच लोकपाल की मांग को लेकर अन्ना आंदोलन शुरू हो गया. अन्ना के मंच से अरविंद केजरीवाल ने कई नेताओं पर आरोपों की झड़ी लगा दी. कई दशकों बाद भ्रष्टाचार को लेकर इतना बड़ा आंदोलन हुआ था जिसका असर पूरे देश में देखा गया.

महंगाई 
यूपीए सरकार के समय एक दौर ऐसा भी आया जब दाल 200 रुपये किलो बिकने लगी थी और चीनी सहित खाने-पीने के सामान और पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छूने लगे थे. इसके अलावा टैक्स की दरें बढ़ गई थीं, सब्सिडी भी घटती जा रही थी और एलपीजी के दामों में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी के साथ उसको खर्च करने की लिमिट लगा दी गई थी. 

घटती अर्थव्यवस्था 
देश की विकास दर घटती जा रही थी और लोगों को रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं हो रहे थे. इसी बीच भ्रष्टाचार की खबरें भी लोगों के गुस्से को बढ़ावा दे रही थीं.  रुपये की कीमत भी डॉलर के मुकाबले गिरती जा रही थी जिसको बीजेपी नेताओं ने देश के सम्मान से जोड़ा था.

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