अक्षय कुमार के साथ बातचीत में बोले पीएम मोदी: ममता दीदी आज भी मेरे लिए साल में एक-दो कुर्ते भेजती हैं और मिठाई भी

Akshay Kumar Interview: लोकसभा चुनाव 2019 की व्यस्तताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिनेता अक्षय कुमार को पहला गैरराजनीतिक इंटरव्यू दिया.

नई दिल्ली:

Modi Interview With Akshay Kumar: लोकसभा चुनाव 2019 की व्यस्तताओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिनेता अक्षय कुमार (Akshay Kumar) को पहला गैरराजनीतिक इंटरव्यू दिया. लोकसभा चुनावों के दौरान अक्सर टीवी चैनलों के एंकर को इंटरव्यू देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार एक गैरराजनीतिक इंटरव्यू दिया है और वह भी अभिनेता अक्षय कुमार को. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्षय कुमार के साथ खास बातचीत में अपने जीवन से जुड़े सभी अनुभवों को साझा किया और अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कई सवालों का जवाब दिया. पीएम मोदी के जीवन के जो भी कुछ अनछुए पहलू हैं, उन सब पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्षय कुमार के साथ बेबाकी से बातचीत की. अक्षय कुमार के साथ गैरराजनीतिक चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 24 घंटे राजनीति की बात में हम उलझे रहते हैं, आपने हल्की-फुल्की बातें करने का मौका दिया...अच्छा है. अक्षय ने कहा कि मैंने अपने ड्राइवर की बेटी से कहा कि तुम पीएम से कौन सा सवाल पूछना पसंद करती हो तो उसने कहा- क्या हमारे प्रधानमंत्री आम खाते हैं? अगर खाते हैं तो कैसा आम खाते हैं, और क्या काट कर खाते हैं? इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि 'हां मैं आम खाता भी हूं, और पसंद भी है. जब छोटा था, खेतों में चला जाता था. आम के पेड़ पर पके हुए आमों को खाना मुझे ज्यादा पसंद था. पकाया हुआ आम नहीं, पेड़ पर पका हुआ आम पसंद है.' पीएम मोदी ने अपने जीवन के हर पहलू पर बातचीत की है, चलिए पढ़तें हैं सिलसिलेवार तरीके से...

देखें पीएम मोदी का अक्षय कुमार के साथ पहला गैरराजनीतिक इंटरव्यू:

अक्षय कुमार के सवाल: क्या आपको आम खान पसंद है और कैसे? 
पीएम मोदी का जवाब:
मैं आम खाता हूं और मुझे आम पसंद भी है. वैसे जब मैं छोटा था तो हमारे परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी की खरीद कर खा सकें. लेकिन हम खेतों में चले जाते थे और वहां पेड़ के पके आम खाते थे. 

सवाल: आपने कभी सोचा था कि आप प्रधानमंत्री बनेंगे?
जवाब:
कभी मेरे मन में प्रधानमंत्री बनने का विचार नहीं आया और सामान्य लोगों के मन में ये विचार आता भी नहीं हैं और मेरा जो फैमिली बैकग्राउंड हैं उसमें मुझे कोई छोटी नौकरी मिल जाती तो मेरी मां उसी में पूरे गाओं को गुड़ खिला देती. बचपन में मेरा स्वाभाव था किताबें पढ़ना, बड़े बड़े लोगों का जीवन पढ़ता था. कभी फ़ौज वाले निकलते थे तो बच्चों की तरह खड़ा होकर उन्हें सेल्यूट करता था. मैंने पीएम बनने के बारे में कभी नहीं सोचा था. जो सोचा नहीं था वो बन गया. भटकते-भटकते यहां पहुंच गया.

सवाल: आपको गुस्सा आता है?
जवाब:
इतने लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहा लेकिन मुझे कभी गुस्सा व्यक्त करने का अवसर नहीं आया. मैं सख्त हूं, अनुशासित हूं लेकिन कभी किसी को नीचा दिखाने का काम नहीं करता. अक्सर कोशिश करता हूं कि किसी काम को कहा तो उसमें खुद इन्वॉल्व हो जाऊं. सीखता हूं और सिखाता भी हूं और टीम बनाता चला जाता हूं. सख्त प्रशासक की छवि सही नहीं है, बहुत काम करवाता नहीं हूं, खुद करता हूं, सो, लोगों को भी करना पड़ता है.

सवाल: पीएम मोदी अपनी मां से अलग क्यों रहते हैं?
जवाब:
पीएम मोदी ने कहा कि मैं मैं बहुत छोटी उम्र से ही अपने दम पर हूं. बचपन में ही मैंने घर छोड़ दिया था, इसलिए मेरे भीतर ऐसा कोई जुड़ाव नहीं है. बाद में मैंने अपनी मां को मेरे साथ रहने के लिए कहा, मगर वह अपने गांव में समय बिताना चाहती है. इसके अलावा, मुझे मां के साथ बिताने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला. अगर मैं प्रधानमंत्री बनकर घर से निकला होता, तो मेरा मन रहता की सब वहीं रहे. किन मैंने बहुत छोटी उम्र में घर छोड़ दिया था और इसलिए लगाव, मोहमाया सब मेरी ट्रैनिग के कारण छूट गया.

सवाल: गुस्से को कैसे शांत करते हैं आप?
जवाब
: अगर कोई ऐसा घटना है जो उन्हें पसंद न आए तो अकेला कागज लेकर बैठता था. उस घटना का वर्णन लिखता था, क्या हुआ क्यों हुआ. फिर उस कागज को फाड़कर फेंक देता था. फिर भी मन शांत नहीं होता था तो दोबारा उस घटनाक्रम को लिखता था. इससे मेरी सारी भावनाएं लिखने के बाद जल जाती हैं. इससे ये भी एहसास हो जाता है कि मैं भी गलत हूं. 

सवाल: विपक्ष के नेताओं के साथ कैसे रिश्ते हैं?
जवाब:
विपक्षी दलों में भी बहुत अच्छे मित्र हैं. विपक्ष के नेताओं के साथ मेरे रिश्ते अच्छे हैं. पीएम मोदी ने एक पुराना किस्सा सुनाते हुए कहा कि 'जब मैं सीएम भी नहीं था, किसी काम से मैं संसद में गया था. गुलाम नबी आजाद और मैं गप्पे मार रहे थे. मीडिया वालों ने पूछा आप आरएसएस वाले हो, गुलाम नबी से आपकी दोस्ती कैसे है. इस पर गुलाम नबी ने बहुत अच्छा जवाब दिया कि बाहर जो आप देखते हो ऐसा नहीं है. एक परिवार के रूप में जैसे सभी दलों के नेता जुड़े हुए हैं, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते'.

राजनीतिक दलों के लोगों से अपने रिश्तों के बारे में पीएण मोदी ने बताया कि ममता दीदी साल में आज भी मेरे लिए एक-दो कुर्ते भेजती हैं. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जी साल में 3-4 बार खास तौर पर ढाका से मिठाई भेजती हैं. ममता दीदी को पता चला तो वो भी साल में एक-दो बार मिठाई जरूर भेज देती हैं.

सवाल: आपके अकाउंट में कितने पैसे हैं?
जवाब
: जब मैं गुजरात से CM बना तो मेरा बैंक अकाउंट नहीं था. जब MLA बना तो सेलरी आनी लगी. स्कूल में देना बैंक के लोग आए थे.  उन्होंने बच्चों को गुल्लक दिया और कहा कि इसमें पैसे जमा करें और बैंक में जमा कर दें. लेकिन हमारे पास होता तब तो डालते. तब से अकाउंट यूं ही पड़ा रहा. सरकार की तरफ से एक प्लॉट मिलता है, कुछ कम दाम में मिलता हैय फिर मैंने वो पार्टी को दे दिया. हालांकि कुछ नियम है जिस पर सुप्रीम कोर्ट में मामला है. जैसे ही वह क्लीयर होगा, प्लॉट मैं पार्टी के नाम कर दूंगा.

सवाल: क्या चुटकुले सुनते और सुनाते हैं आप? 

जवाब: हमारे यहां एक चुटकुला चलता है, एक बार स्टेशन पर एक ट्रेन आयी तो ऊपर लेटे हुए एक यात्री ने पूछा की कौनसा स्टेशन आया है? तो बताने वाले ने कहा की 4 आना दोगे तो बताऊंगा, वो यात्री बोला भाई बताने की जरुरत नहीं है मैं समझ गया अहमदाबाद आ गया है

सवाल: क्या पीएम मोदी सख्त हैं?
जवाब:
मेरी सख्त छवि जो बनाई गई है वो सही नहीं है. मैं काम के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाता हूं. मैं सुबह से देर तक प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठता हूं, पहले ऐसा नहीं होता था. इस तरह टीम स्प्रिट बनती है और मेरे आसपास ये एक वर्क कल्चर बन जाता है. मैं काम के वक्त काम में रहता हूं. मीटिंग के वक्त अगर कोई मोबाइल में अपना वक्त खराब कर रहा है तो मैं पूछता हूं कि अभी मैं जो कह रहा था उसका क्या हुआ. तब से मेरी मीटिंग में कोई मोबाइल फोन यूज नहीं करता. मैं घर में माहौल को तुरंत हल्का कर देता था. आज भी मुझे अच्छा लगता है, लेकिन अब आधे-अधूरे वाक्य उठाकर दुरुपयोग कर लिया जाता है इसलिए डर लगता है. 

सवाल: अलादीन का चिराग मिल जाए तो क्या करेंगे?
जवाब
: अगर मुझे अलादीन का चिराग मिल जाये तो मैं उसे कहूंगा की ये जितने भी समाजशास्त्री और शिक्षाविद हैं उनके दिमाग में भर दो कि वो आने वाली पीढ़ियों को ये अलादीन के चिराग वाली थ्योरी पढ़ानी बंद कर दें. उन्हें मेहनत करने की शिक्षा दें. 

सवाल: इतना कम क्यों सोते हैं आप?
जवाब:
मेरे साथी हमेशा मुझसे यही कहते हैं कि नींद बढ़ाइए. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी मुझसे यही कहा कि मोदी जी ऐसा क्यों करते हो. मेरी 3-4 घंटों में ही नींद पूरी हो जाती है. आंख खुलते ही मैं बिस्तर से उतर जाता हूं. रिटायर होने के बाद मैं नींद बढ़ाउंगा. क्योंकि डॉक्टर भी मुझे ज्यादा सोने को बोलते हैं. 

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सवाल: रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे?
जवाब:
हम लोगों की एक इनर सर्कल की मीटिंग थी. अटल जी, आडवाणी जी, राजमाता सिंधिया जी, प्रमोद महाजन जी थे. उसमें सबसे छोटी आयु का मैं था. उसमें ऐसे ही बात छिड़ी कि रिटारटमेंट के बाद क्या करेंगे. मुझे पूछा तो मैंने कहा, मेरे लिए तो बहुत कठिन है. मुझे जो जिम्मेवारी मिलती है, वही करता जाता हूं. जीवन का पल-पल और शरीर का कण-कण किसी ने किसी मिशन में ही लगा रहने वाला है मेरा। मेरे पास इसके सिवाय कोई कौशल ही नहीं है.