यूपी के रिटायर्ड आईएएस ने पश्चिम यूपी में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने की बात कही है.
नई दिल्ली: कभी समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार में प्रमुख सचिव रहते बगावत के लिए चर्चित रहे उत्तर प्रदेश के रिटायर्ड आईएएस अफसर सूर्यप्रताप सिंह अब बीजेपी सरकार में भी मुखर हैं.उनका दावा है कि पश्चिमी यूपी में लोकसभा चुनाव में बीजेपी का सूपड़ा साफ होने वाला है. दरअसल यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल और पश्चिमी यूपी के क्षेत्रीय प्रभारी विजय पाठक ने बुलंदशहर में लोकसभा संचालन समिति की बैठक ली. वेस्ट यूपी बीजेपी के ट्विटर हैंडल से बैठक की तस्वीरें जारी की गईं. इस पर यूपी के चर्चित और रिटायर्ड आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने ट्वीट कर जवाब देते हुए एक लाइन में लिखा-पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का सूपड़ा साफ है. इस ट्वीट में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहित बीजेपी के कई बड़े नेताओं को भी टैग किया गया है. हालांकि सिंह का यह ट्विटर हैंडल वेरिफाइड नहीं है. सूर्यप्रताप सिंह समाजवादी पार्टी सरकार में बागी आईएएस अफसर बन गए थे. सरकारी फैसलों पर उन्होंने खुलकर सवाल उठाए थे. उस वक्त वह प्रमुख सचिव के तौर पर कार्यरत थे. बाद में उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस ले लिया था. उस वक्त माना जा रहा था कि वह बीजेपी समर्थक हैं. मगर योगी आदित्यनाथ सरकार में भी सूर्यप्रताप सिंह खुलकर सरकारी फैसलों पर सवाल उठाते रहते हैं. कई मंत्रियों और बीजेपी संगठन के नेताओं पर वह सोशल मीडिया के जरिए भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं.
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टिकट कटने पर बीजेपी नेताओं में नाराजगी
यूपी में इस बार कई सांसदों के बीजेपी ने टिकट काट दिए हैं. जिससे उनमें नाराजगी हैं. इससे बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. ऐसे ही नेताओं में शामिल रहे बीजेपी सांसद अंशुल वर्मा. टिकट काटे जाने के बाद वह समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. पाला बदलने से पहले अंशुल वर्मा (Anshul Verma) प्रदेश बीजेपी कार्यालय पहुंचे और गेट पर मौजूद चौकीदार को अपना इस्तीफ़ा सौंपा. मैं भी चौकीदार कैंपेन पर तंज़ कसते हुए अंशुल वर्मा (Anshul Verma) ने कहा कि आजकल हर बड़े फ़ैसले चौकीदार ही ले रहे हैं, इसलिए उन्होंने चौकीदार को अपना इस्तीफ़ा सौंपा है. आपको बता दें कि अंशुल वर्मा (Anshul Verma) को पिछले चुनाव में 360501 (37.05 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं बीएसपी को 279158 (28.69 फीसदी) सपा (ऊषा वर्मा) को 276543 (28.42 फीसदी), कांग्रेस को 23198 (2.39 फीसदी) वोट मिले थे. आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने इस बार फिर ऊषा वर्मा पर भरोसा जताया है और उन्हें टिकट दिया है.
गौरतलब है कि हरदोई सीट पर इस बार समीकरण बदले नजर आ रहे हैं. अगर लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजों को देखें तो सपा और बीएसपी मिलकर इस बार मिलकर बीजेपी का खेल खराब कर सकती हैं. क्योंकि दोनों ही पार्टियों के वोट प्रतिशत को मिला दें तो यह बीजेपी के वोट प्रतिशत से काफी आगे चला जाता है. हालांकि कांग्रेस की हालत इस सीट पर काफी खराब है. बीजेपी के लिए इस सीट पर एक राहत भरी बात यह हो सकती है कि सपा नेता रहे नरेश अग्रवाल पार्टी में शामिल हो चुके हैं जिनका हरदोई में अच्छा-खासा प्रभाव है. लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि हरदोई में वह बीजेपी को कितने वोट दिला पाएंगे.
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