नेताओं की 'बेलगाम' बयानबाजी पर चुनाव आयोग बेबस, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेश होने का दिया आदेश

इस पर कोर्ट ने आयोग से पूछा कि क्या उसे चुनाव आयोग की सख्तियों के बारे में पता है? वहीं आयोग ने यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ की गई शिकायत को उनके जवाब के बाद बंद कर दिया गया है जबकि मायावती और अन्य ने कोई जवाब नहीं दिया है.

नेताओं की 'बेलगाम' बयानबाजी पर चुनाव आयोग बेबस, सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेश होने का दिया आदेश

नई दिल्ली:

चुनावी अभियान में 'हेट स्पीच' और सांप्रदायिक बयानबाजी करने पर चुनाव आयोग के पास क्या अधिकार हैं इस बात का परीक्षण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को आयोग के प्रतिनिधि को पेश होने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने बताया है कि आचाह संहिता तोड़ने वालों के खिलाफ वह केवल नोटिस और एडवाइजरी जारी कर रहा है. लेकिन वह न तो किसी को अयोग्य करार दे सकता है और न किसी पार्टी की मान्यता रद्द कर सकता है. इस पर प्रधान न्यायाधीन ने आयोग से मंगलवार की सुबह मौजूद रहने के  लिए कहा है. वहीं कोर्ट अली और बजरंग बली जैसे बयानों पर भी सख्त रुख अपनाया है और आयोग फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मायावती के बयान पर उसने क्या कार्रवाई और कानून के हिसाब से क्या कदम उठाए जाएंगे. इस पर आयोग ने कहा कि वो मायावती के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकता है.

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इस पर कोर्ट ने आयोग से पूछा कि क्या उसे चुनाव आयोग की सख्तियों के बारे में पता है? वहीं आयोग ने यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ की गई शिकायत को उनके जवाब के बाद बंद कर दिया गया है जबकि मायावती और अन्य ने कोई जवाब नहीं दिया है. आपको बता दें कि चुनाव के दौरान नेताओं की ओर से की गई आपत्तिजनक, धार्मिक, जातिवादी बयानों के खिलाफ दी गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.  पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं और प्रतिनिधियों के बयानों को लेकर चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. इस संबंध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि धार्मिक या जातिगत टिप्पणी करने वाले प्रवक्ताओं या प्रतिनिधियों के खिलाफ चुनाव आयोग कार्रवाई करे. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने एनआरआई हरप्रीत मनसुखानी की याचिका पर यह नोटिस जारी किया है.

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याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और चुनाव प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए किसी पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता में संवैधानिक समिति गठित की जाए. उन राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए जिनके प्रवक्ता या प्रतिनिधि मीडिया में धर्म अथवा जाति संबंधी बयान देते हैं. चुनाव आयोग को भी आदेश दिया जाए कि वह जाति या धार्मिक बयानों को बहस में शामिल करने वाले मीडिया संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे. भ्रष्टाचार-मुक्त चुनाव कराने के लिए क्या कदम उठाए गए इस संबंध में चुनाव आयोग को रिपोर्ट देने का निर्देश दिया जाए.  याचिका में कहा गया कि अभी राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं के बयान चुनाव और जनमत को सबसे ज़्यादा प्रभावित करते हैं, लेकिन वो न तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत जिम्मेदार हैं और ना ही आचार संहिता के तहत. कोर्ट इन्हें भी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और आचार संहिता के तहत लाने के निर्देश दे. 

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