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तेजस्वी ने कहा, 'जिस बल्ब और सड़क की बात आप कर रहे हैं ना ये 2004 से 2014 यूपीए-1 और यूपीए-2 जिसमें हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और आदरणीय लालू जी रेलमंत्री, श्री रघुवंश बाबू ग्रामीण विकास मंत्री और तत्कालीन ऊर्जा मंत्री ने दलीय राजनीति से ऊपर उठकर बिहार के विकास कार्यों के लिए असीमित फंड दिलवाए, तब जाकर बिहार को यह सब नसीब हुआ. और उनके इस असाधारण योगदान को आपने सदन से लेकर कई सार्वजनिक मंचो से स्वीकारा भी है. इसमें आपका कितना योगदान रहा यह आप अपने दिल पर हाथ रखकर पूछिए? आप 1998 से लेकर 2004 तक केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन बताए कितनी राशि बिहार के विकास कार्यों के लिए दिलवाई. अगर आपको UPA और NDA के कार्यकाल में बिहार को दी गयी वित्तीय मदद पर कोई तुलनात्मक विमर्श और खुली बहस करनी हो तो मैं चुनौती के लिए तैयार हूं लेकिन आपसे आग्रह है जनता को झूठ बोल भ्रमित मत करिए.'
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तेजस्वी ने कहा, 'आप उस दौर में बिहार के विकास और केंद्र द्वारा सहायता को लेकर संकीर्ण और नकारात्मक सोच के साथ बंधे रहे. बहरहाल, आप ये भी कह रहे थे कि जेल से चिट्ठी लिखने वाले अगर जेल से बाहर आए तो लालटेन वाले दिन लौट आएंगे. आप बहुत घर-घर बल्ब जलाने का दावा करते हैं ना? चाचा जी आज हम बताते हैं आपके इस दावे की क्या हकीकत है? जब मुजफ्फरपुर बलात्कार कांड के बाद नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर देश के न्यायप्रिय आम नागरिकों ने ‘कैन्डल मार्च' में पहली मोमबत्ती जलाई थी ना, उस एक मोमबत्ती की रोशनी ने आपके सारे बल्ब लगाने के दावों को शर्मसार कर दिया था. बिहार की सारी रोशनी शर्मिंदा थी उस एक मोमबत्ती की लौ के आगे. आपके द्वारा बिहार को रौशन करने की पोल उस एक अकेली मोमबत्ती ने खोल दी, और बता दिया था दुनिया को कि आपके राज में कितना घिनौना स्याह अंधेरा फैला है बिहार में.'
उन्होंने कहा, 'जिस तरह सरकार को जगाने के लिए मोमबत्ती की जरूरत आज भी है, जिस तरह त्यौहार पर खुशियों को मनाने के लिए दीपक की जरूरत आज भी है उसी तरह बिहार से अन्याय और राक्षसी अत्याचारों के घने काले अन्धेरों को भगाने के लिए लालटेन की जरूरत आज भी है और हमेशा रहेगी. आप जब यह कहते है कि राजद शासनकाल में बिजली के पोल और तारों पर लोग कपड़े सुखाते थे तो आप यह मान रहे है ना कि उस वक्त करंट नहीं था लेकिन बिहार में घर-घर और गांव-गांव बिजली पहुंचाने के इंफ्रास्ट्रक्चर का काम शुरू हो चुका था. जरा अब बता दीजिए, उस वक्त 2004 में आपकी एनडीए सरकार में देश में कुल बिजली उत्पादन क्षमता कितनी मेगावाट थी और यूपीए सरकार में 2014 में कितनी? खुद जवाब मिल जाएगा साहब.'
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तेजस्वी ने पत्र में लिखा, 'जो चलाए नफरत और हिंसा के तीर, वो क्या समझेगा बिहार की पीड़. हमारे पिता को जेल से बाहर नहीं निकलने देने का फरमान तो आप सुना रहे हैं पर एक फरमान जनता भी सुना रही है....अपनी रैली में कान लगा कर जनता की आवाज सुनिएगा जो कह रही है...आखिरी चरण का मतदान, फिर NDA होगा अर्न्तध्यान. लौटेगा सुख चैन, अब जलेगी लालटेन.' तेजस्वी ने कहा, 'याद रखिएगा सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. देर-सवेर बिहार की जनता को न्याय मिलेगा और उनके हक की आवाज उठाने वाला भी जल्द ही उनके बीच होगा और फिर हमारे पिता ही जनता की तरफ से बिहार पर हुए एक-एक अन्याय का हिसाब जनादेश के महाचोरों से लेंगे और झूठ, धोखे और अवसरवाद को उसकी सही जगह यानी अदालत के कठघरे और फिर जेल पहुंचाएंगे क्यूंकि जेल जाने के असली हकदार आप हैं वो नहीं.'
तेजस्वी ने कहा, 'लोकतंत्र में जनता की अदालत सबसे बड़ी होती है. उनका हर फैसला हमें मंजूर है. हम लड़ेंगे, जीतेंगे और आगे बढ़ेंगे...लालटेन जलेगी, अंधेरे डरेंगे. ऐसी अभिव्यक्ति मेरे स्वभाव में नहीं है लेकिन आपके झूठ का जवाब देना जरूरी था.' तेजस्वी ने अपने पत्र के आखिर में एक शायरी भी लिखी...जो इस तरह है- वो समझाए जा रहे थे और हम समझे जा रहे थे..वो खुद न समझे , हमें समझाने के बाद भी.
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