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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने सक्रिय चुनावी राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है. इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को पत्र लिखकर केंद्रीय मंत्री के पद और राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफे की भी पेशकश की है. बताया जा रहा है कि उन्होंने दो महीने पहले अमित शाह और पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि अगर उनके बेटे को हिसार से उम्मीदवार बनाया जाता है तो वह केंद्रीय मंत्री के पद और राज्यसभा से की सदस्यता से इस्तीफा दे देंगे. लेकिन इस दौरान उन्हें पीएम मोदी और अमित शाह की ओर से कोई जवाब नहीं मिला.
इसके बाद उन्होंने रविवार को एक बार फिर पीएम मोदी और अमित शाह को चिट्ठी लिखी. रविवार को उनके सक्रिया चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद ही उनके बेटे बृजेंद्र सिंह को हिसार से टिकट दे दिया गया. इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं शुक्रगुजार हूं कि अमित शाह जी ने मेरे बेटे को टिकट दिया है. इस्तीफे की पेशकश के फैसले पर उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता था कि भाजपा पर परिवारवाद का आरोप लगे. मैंने अमित शाह जी को चिट्ठी लिखी है कि अगर पार्टी फैसला करती है तो मैं राज्यसभा की सदस्यता छोड़ने के लिए तैयार हूं.
बीरेंद्र सिंह साल 2022 तक राज्यसभा सदस्य हैं और वह चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं. बीरेंद्र सिंह पांच बार 1977, 1982, 1994, 1996 व 2005 में उचाना से विधायक बन चुके हैं और तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं. 1984 में हिसार लोकसभा क्षेत्र से ओमप्रकाश चौटाला को हराकर सांसद बने थे. साल 2010 में कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य बने थे, लेकिन 2014 में कांग्रेस से 42 साल पुराना नाता तोड़कर राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे. जून 2016 में भाजपा ने उन्हें दोबारा राज्यसभा में भेज दिया था.
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हरियाणा की राजनीति में अहम रोल अदा करने वाले बांगर इलाके में बीते वर्षों में शमशेर सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह बड़े नेता रहे हैं. शमशेर ने अपने पुत्र रणदीप सुरजेवाला को छात्र राजनीति से सियासी मैदान में उतार दिया था. जबकि बीरेंद्र के बेटे बृजेंद्र का पढ़ाई की तरफ रुझान था. इसलिए वह राजनीति में नहीं आए और यूपीएससी का एग्जाम पास करके आईएएस बन गए थे. वह अभी HAFED के एमडी पद पर कार्यरत
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