पीएम मोदी के आचार संहिता उल्‍लंघन पर क्या कोई कार्रवाई करेगा चुनाव आयोग ?

एनडीटीवी को पता चला है कि इस भाषण के ख़िलाफ़ जो शिकायत की गई थी, उसकी फ़ाइल ही गायब हो चुकी है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इस शिकायत का कोई ज़िक्र नहीं है. इस वेबसाइट के स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि कभी इस शिकायत पर रिजॉल्व्ड लिखा हुआ था.

पीएम मोदी के आचार संहिता उल्‍लंघन पर क्या कोई कार्रवाई करेगा चुनाव आयोग ?

पीएम मोदी ने किया आचार संहिता का उल्लंघन

नई दिल्ली:

इन दिनों जिधर देखिए, वोटरों को जागरूक करने के लिए चुनाव आयोग अभियान पर अभियान चला रहा है. लेकिन क्या वो ख़ुद साफ़-सुथरे चुनावों को लेकर सख़्त है? क्या वो ख़ुद चुनाव की आचार संहिता का सम्मान कर रहा है? जब पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट की फटकार पड़ी तो आयोग ने फटाफट कई नेताओं के प्रचार पर पाबंदी लगाई. योगी आदित्यनाथ और मायावती से लेकर सिद्धू और आज़म खान तक पर पाबंदी लगाई गई. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ शिकायतों पर आयोग ढीला क्यों है. 9 अप्रैल को लातूर में प्रधानमंत्री ने बयान दिया कि पुलवामा के शहीदों के नाम क्या पहली बार वोट देने वाले मतदाता अपना वोट समर्पित नहीं कर सकते हैं. इस बयान के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की गई है, 24 अप्रैल तक कोई फैसला नहीं हुआ है. 

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एनडीटीवी को पता चला है कि इस भाषण के ख़िलाफ़ जो शिकायत की गई थी, उसकी फ़ाइल ही गायब हो चुकी है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर इस शिकायत का कोई ज़िक्र नहीं है. इस वेबसाइट के स्क्रीनशॉट से पता चलता है कि कभी इस शिकायत पर 'रिजॉल्व्ड- यानी निबटाया गया- लिखा हुआ था. चुनाव आयोग इसे तकनीकी गड़बड़ी बता रहा है. लेकिन दो हफ़्ते हो चुके, इस पर आयोग खामोश है.
 

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जबकि चुनाव आयोग के सूत्र कहते रहे हैं कि कार्रवाई होगी, लेकिन कार्रवाई होती नजर नहीं आती. उल्टे आचार संहिता के उल्लंघन के मामले बढ़ते जा रहे हैं. दूसरे चरण के मतदान के बाद आयोग ने कहा था कि प्रधानमंत्री के भाषण का एक ही हिस्सा आया था. पूरा भाषण आ गया है. उसकी प्रमाणित कॉपी की जांच हो रही है. अब तीसरे चरण का मतदान समाप्त हो गया मगर कार्रवाई का पता नहीं है. यही नहीं जहां मायावती के खिलाफ शिकायत पर 4 दिन के भीतर कार्रवाई हो गई, मेनका गांधी, योगी आदित्यनाथ, नवजोत सिद्धू के खिलाफ शिकायत पर 6 दिनों के भीतर कार्रवाई हो गई वहीं प्रधानमंत्री के बयान के 15 दिन हो गए हैं. कार्रवाई का पता नहीं है. चुनाव आयोग ने बहुत साफ़ शब्दों में कहा था कि सेना की किसी कार्रवाई का ज़िक्र चुनाव प्रचार के दौरान नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री ने पुलवामा की एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट मांगे.

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सेना की कार्रवाई के इस इस्तेमाल पर सेना के कई पूर्व अफसरों ने राष्ट्रपति से चिट्ठी लिखी- कहा कि सेना को राजनीति में घसीटना ठीक नहीं. लेकिन किसे फ़र्क पड़ा? लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से ये इकलौता उल्लंघन नहीं है. 23 अप्रैल को जब वो तीसरे दौर के लिए वोट डालने गांधीनगर गए तो बिल्कुल उसे एक शो की तरह पेश किया. पहले मां के पांव छुए, फिर खुली जीप में पोलिंग बूथ तक पहुंचे और वोट देने के बाद रैली भी की और भाषण भी दिया. जबकि चुनावी आचार संहिता का मामूली सा जानकार जानता है कि वोटिंग से 48 घंटे पहले किसी भी किस्म का प्रचार हर तरह से गलत माना जाता है. 

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