बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को जुलाई महीने में होने वाली आईसीएसई की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं को रद्द करने की अपील पर दाखिल याचिका पर सुनवाई शुरू की. याचिकाकर्ता का कहना है कि महाराष्ट्र में कोरोना के कारण हालात खराब हैं और ऐसे में परीक्षा आयोजित करना सही नहीं है.
इस मामले पर एक छात्र ने कहा , 'हम हमारे आसपास देख रहे हैं कि सब बड़े घर से काम कर रहे हैं, यहां तक कि वकील, मंत्री हर कोई घर में है, और ऐसे में हमसे कैसे उम्मीद की जा रही है कि बाहर निकलकर परीक्षा दें.' 2 जुलाई से 12 जुलाई के बीच आईसीएसई की 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं के विरोध में अब अदालत में याचिका दाखिल की गई है. छात्रों और परिवारवालों की चिंता है कि जब महाराष्ट्र में कोरोना संकट का असर सबसे ज़्यादा है तो ऐसे में क्या वाकई आईसीएसई की परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए?
अब सवाल यह है कि मार्च महीने में कोरोना के जब मामले आने शुरू हुए थे तब आईसीएसई ने परिक्षाओं को आगे बढ़ा दिया था और अब जब सबसे ज़्यादा मामले हैं तो ऐसे में छात्रों को परीक्षा देने कैसे कहा जा सकता है ? इस मामले में बॉम्बे हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अरविंद तिवारी के अनुसार जब आंकड़े ज़्यादा बढ़ रहे हों तब परीक्षा करने का मतलब ही छात्रों की सेहत को खतरे में डालना और इसलिए वो इसका विरोध कर रहे हैं.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के आंकड़े 97 हज़ार पार हैं. बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने स्टेट बोर्ड के पहले और दूसरे ईयर के छात्रों की परीक्षा पहले ही रद्द कर दी है. सत्ताधारी पार्टी शिवसेना से जुड़ी युवा सेना भी परीक्षा रद्द करने की मांग कर चुकी है और ऐसे में आईसीएसई बोर्ड के छात्र इसी को तर्क बताकर परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं. इस पूरे मामले में अब अदालत में सोमवार को सुनवाई होगी जिसके बाद ही ICSE बोर्ड के हज़ारों छात्रों के भविष्य को लेकर फैसला किया जा सकेगा.