(फाइल फोटो)
वंदे मातरम् को लेकर शिवसेना ने ताजा बयान जारी किया है. शिवसेना ने मांग की कि वंदे मातरम् गाने का विरोध करने वाले मुस्लिमों के साथ 'राष्ट्र विरोधी' की तरह व्यवहार होना चाहिए और उन्हें 'मताधिकार से वंचित किया जाना चाहिए. औरंगाबाद नगर निगम (एएमसी) में शनिवार को वंदे मातरम् गाने पर हुए हंगामे के खिलाफ पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा में शामिल गो-रक्षकों के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना व दोपहर का सामना के संपादकीय में कहा गया है कि शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे को भी हिंदुत्व के नाम पर प्रचार करने के लिए दंडित किया गया था.
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शिवसेना ने कहा, 'हम मानते हैं कि वंदे मातरम् का विरोध या अपमान भी समान रूप से गंभीर अपराध है और जो भी इसमें शामिल हैं उन्हें 'मताधिकार से वंचित किया' जाना चाहिए. क्या आपके पास ऐसा करने की हिम्मत है.'
औरंगाबाद की घटना में असदुद्दीन ओवैसी के अगुवाई वाली एआईएमआईएम के तीन पार्षदों-शेख समीना, सैयद मतीन व शेख जफर के वंदे मातरम् गाए जाने के दौरान बैठे रहने की शिवसेना ने आलोचना की. शिवसेना ने संपादकीय में कहा, 'शिवसेना पार्षद इस अपमान पर गुस्से से फट पड़े और वंदे मातरम के विरोधियों पर हमला किया. सौभाग्य से भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने इस राष्ट्रवादी कर्तव्य में हमारा समर्थन किया.'
शिवसेना ने कहा, 'यह वे नेता है जो अपने समुदाय को झूठी मान्यताओं में डाल रहे हैं और इस्लाम की हत्या कर रहे है. इनके विकृत दिमाग की वजह से इस्लाम खतरे में है.'
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संपादकीय में कहा गया है, 'यह सरकार की जिम्मेदारी है कि इन्हें कुचल दे. शिवसेना ने इसकी एएमसी में शुरुआत की है.'
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संपादकीय में कहा गया है कि जब सरकार गौरक्षकों पर कड़ी कार्रवाई कर सकती है तो वंदे मातरम का विरोध करने वालों के साथ भी ऐसी ही सख्ती से पेश आना चाहिए.(इनपुट आईएएनएस से)
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