
कमला मिल आग हादसे में मुंबई के एक पूर्व पुलिस आयुक्त जुलियो रिबेरो की याचिका पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने हादसे को आंख खोलने वाला बताया. अदालत ने कहा कि इससे सबक लेते हुए जरूरी ठोस कदम उठाने चाहिए. यहां तक कि सड़क किनारे बने भोजनालयों में नियमों का कड़ाई से पालन होना चाहिये. अदालत ने बीएमसी आयुक्त की जांच रिपोर्ट जिसे सरकार के पास देनी है, उसकी एक लिफाफाबंद कॉपी कोर्ट में भी देने को कहा. हाई कोर्ट ने बीएमसी को सभी वार्डों में होटलों की सेफ्टी ऑडिट करने को भी कहा है. इस अवसर पर बीएमसी ने अदालत के सभी सुझावों पर विचार करने का भरोसा दिया. याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत ने आबकारी विभाग को भी हिदायत दी कि जहां भी शराब परोसने की इजाजत दी गई है, वहां की जांच कर देखे कि नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, अगर नहीं तो जरूरी करवाई करे. हालांकि हादसे की न्यायायिक जांच की मांग सरकार पर छोड़ दी. अदालत ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर फैसला करने के लिये स्वतंत्र है.
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इसके पहले याचिकाकर्ता की तरफ से वकील सुजय कांटावाला ने आरोप लगाया कि कमला मिल में सभी नियमों का खुला उल्लंघन किया गया था. रेस्ट्रो में हुक्का के लिए कोई अनुमति नहीं थी. आग लगने के बाद बाहर निकलने के लिये बने आपातकालीन दरवाजे को भी अवरुद्ध कर दिया गया था. सुरक्षा कर्मचारियों तक को आपातकालीन निकासी की जानकारी नहीं थी.
अदालत में सुनवाई के दौरान बीएमसी ने कमला मिल आग हादसे के बाद से अवैध होटलों और निर्माणों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी दी. बीएमसी ने बताया कि हादसे के बाद शहर के 1606 होटलों का सर्वेक्षण किया गया. 307 होटलों में बने अवैध निर्माणों को तोड़ा गया, 366 अवैध गैस सिलिंडर जब्त किये जा चुके हैं.
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कमला मिल में 28 दिसम्बर की रात लगी आग में वन अबव रेस्ट्रो और मोजोस पब पूरी तरह से जलकर खाक हो गए थे. हादसे में 15 की मौत हो गई. एनएम जोशी मार्ग पुलिस थाने ने मामले में गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज कर अब तक वन अबव के तीन मालिकों सहित 5 आरोपियों को और मोजो के एक मालिक को गिरफ्तार कर चुकी है. जबकि एक पार्टनर युग तुली अब भी फरार है.