भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों के बच्चों को नागरिकता दी जाए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी और जमात-ए-उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि मामले में उन्हें भी पक्ष बनाया जाए

भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी लोगों के बच्चों को नागरिकता दी जाए या नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो).

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीठ के समक्ष अर्जी दाखिल कर पक्ष बनाने की मांग करें
  • अवैध आव्रजकों के भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की नागरिकता का सवाल
  • संविधान पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर विचार करेगी
नई दिल्ली:

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी और जमात-ए-उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि असम में डेरा जमाए अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेश के नागरिकों के बच्चों की नागरिकता के मामले में उन्हें भी पक्ष बनाया जाए. गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित इस मामले में उनको भी पक्ष बनाया जाए.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है आप उस पीठ के समक्ष अर्जी दाखिल कर पक्ष बनाने की मांग करें.

दरअसल अवैध आव्रजकों के भारत में जन्म लेने वाले बच्चों की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के समक्ष लंबित है. सुनवाई के दौरान संविधान पीठ देखेगी कि मौजूदा भारतीय कानून के तहत इन बच्चों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है या नहीं.

संविधान पीठ असम में डेरा जमाए बांग्लादेश के अवैध आव्रजकों के बच्चों की स्थितियों पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा संविधान पीठ की बड़ी पीठ नागरिकता कानून की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर भी विचार करेगी.

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सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में जनवरी 2016 तक असम में नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटीजन बनाने के लिए एक समय सीमा तय करने को भी कह चुका है. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत की एकता और संप्रभुता इसलिए भी खतरे में पड़ गई है क्योंकि पड़ोसी देश से बड़ी तादाद में अवैध आव्रजक आ रहे हैं, जो हमारे प्रमुख संवैधानिक मूल्यों को प्रभावित कर रहे हैं.


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