Asian Games: टेनिस में स्‍वर्ण जीतने वाले रोहन बोपन्‍ना के साथ पाकिस्‍तानी खिलाड़ि‍यों ने खिंचवाए फोटो

Asian Games: टेनिस में स्‍वर्ण जीतने वाले रोहन बोपन्‍ना के साथ पाकिस्‍तानी खिलाड़ि‍यों ने खिंचवाए फोटो

रोहन बोपन्‍ना और दिविज शरण की जोड़ी का पाकिस्‍तानी खिलाड़ि‍यों ने जमकर समर्थन किया (फाइल फोटो)

खास बातें

  • एशियाड में दिखा भारत-पाक के खिलाड़ियों का आपसी सौहार्द्र
  • रोहन-दिविज की जोड़ी का समर्थन कर रहे थे पाकिस्‍तानी प्‍लेयर
  • पाकिस्‍तान के ऐसाम के साथ ग्रैंडस्‍लैम फाइनल में पहुंचे थे बोपन्‍ना
पालेमबांग:

भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंधों में तल्‍खी को देखते हुए शांति भले ही एक सपना लगती हो लेकिन बड़े खेल आयोजनों में दोनों देशों के खिलाड़ी आपस में खुलकर मिलते जुलते हैं. यही नहीं, मुकाबले के दौरान कई बार के एक-दूसरे की जमकर हौसला अफजाई भी करते हैं. इंडोनेशिया में एशियन गेम्‍स 2018 के दौरान ऐसा ही नजारा देखने को मिला. रोहन बोपन्ना और दिविज शरण जब जकाबरिंग टेनिस सेंटर में पुरुष डबल्‍स वर्ग सेमीफाइनल खेल रहे थे तब पाकिस्तान की टेनिस टीम उनका समर्थन कर रही थी. शीर्ष वरीय रोहन और दिविज की भारतीय जोड़ी ने बाद में कल स्वर्ण पदक जीता तो पाकिस्तान के खिलाड़ी बोपन्ना के साथ तस्वीर खिंचाने के लिए कतार में खड़े थे.

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बोपन्ना 2010 में अपने पाकिस्तानी जोड़ीदार ऐसाम-उल-हक के साथ ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचे थे. बोपन्ना-कुरैशी को ‘पीस एक्सप्रेस’ नाम से बुलाया जाता था क्योंकि दोनों खिलाड़ी दोनों देशों के बीच शांति की जरूरत पर हमेशा जोर देते थे. 2000 से 2010 के बीच कई आईटीएफ फ्यूचर्स टूर्नामेंट जीतने वाले पाकिस्तान के टेनिस खिलाड़़ी अकील खान ने कहा, ‘मैंने भारत में अपना कुछ सर्वश्रेष्ठ टेनिस खेला है, वहां खासकर दिल्ली में कई अच्छे दोस्त बनाए. मैं उनसे हमेशा संपर्क में रहता हूं. मैं जब भी दिल्ली में खेला, मुझे वह अपना दूसरा घर लगा.’इसी तरह निशानेबाजी रेंज में भी दोनों देशों के खिलाड़ियों के बीच सौहार्द्र दिखा.


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रियो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पिस्टल निशानेबाज गुलाम मुस्तफा बशीर ने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों के साथ उनकी दोस्ती होना स्वाभाविक है. उन्होंने कहा, ‘भारतीयों के साथ हमारी तुरंत ही बनने लगती है. हम एक ही भाषा बोलते हैं इसलिए भाषा की कोई समस्या नहीं होती जो कि दूसरे देशों के खिलाड़ियों के साथ होता है. हमारा एक दूसरे के साथ हमेशा दोस्ताना रुख होता है.’ वह भारत के पिस्टल कोच जसपाल राणा के साथ अकसर अपने खेल पर चर्चा करते हैं. राणा एशियाई खेलों में चार बार स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. राणा ने कहा, ‘पाकिस्तान के ज्यादातर निशानेबाज रक्षा बलों से आते हैं. हमारे बीच अच्छी बनने लगती है लेकिन एक दूरी बनाए रखना जरूरी होता है. इसके अलावा कोई और दिक्कत नहीं है. मुझे याद है कि एक बार मैं कराची गया था वहां सबने हमारे साथ काफी अच्छा व्यवहार किया.’ (इनपुट: भाषा)



(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)