ओकराम इबोबी सिंह: इस बार मिलेगी कड़ी चुनौती

ओकराम इबोबी सिंह: इस बार मिलेगी कड़ी चुनौती

ओकराम इबोबी सिंह

मणिपुर के मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह के लिए इस बार अपनी सीट जितना आसान नहीं होगा. कांग्रेस के टिकट पर थउबल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे इबोबी सिंह के खिलाफ इस बार सामाजिक कार्यकर्ता इरोम शर्मिला खड़ी हो रही हैं. सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए- अफस्पा) के खिलाफ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल पर रहीं शर्मिला को इबोबी सिंह का प्रमुख प्रतिद्वंद्वी समझा जा रहा है. भाजपा ने इस सीट से एल बशंता सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. 

7 मार्च, वर्ष 2002 में इबोबी सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और वे पिछले 15 सालों से लगातार शासन करने वाले नेता बन गए. वर्ष 2012 के चुनावों में उन्होंने अपनी पार्टी को मणिपुर से तीसरी बात जीत दिलाई. 

कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद का चेहरा फिर से ओकराम इबोबी सिंह ही हैं.

19 जून, 1948 को थउबल जिले के अथोक्पम इलाके में जन्मे इबोबी सिंह ने अपनी ग्रेजुएशन इंफाल के डीएम कॉलेज से की. उनकी पत्नी एल. लंधोनी देवी थउबल जिले की खंगाबोक सीट से विधायक हैं. वह दो बार यहां से विधायक रह चुकी हैं. वह थउबल जिले से पहली महिला विधायक भी हैं. 

इबोबी ने 1984 में एक निर्दलीय विधायक के रूप में अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. खंगाबोक विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने के कुछ समय बाद इबोबी कांग्रेस में शामिल हो गए. इस बीच उन्हें खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया.  

मुख्यमंत्री इबोबी सिंह बहुसंख्यक मैती समुदाय से है

इबोबी की पार्टी कांग्रेस ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में वापस आयी तो राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपलब्ध कराने का केन्द्र से आग्रह करेगी और राज्य के शेष हिस्सों से आफ्सपा को हटाने का प्रयास करती रहेगी. उन्होंने 19 सूत्री एजेंडा वाला घोषणापत्र जारी किया है जिसमें कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार पर जोर दिया गया है. 

मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए चार और आठ मार्च को दो चरणों में चुनाव होना है. चुनाव के परिणाम 11 मार्च को घोषित किए जाएंगे. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी और ओ इबोबी सिंह एक बार फिर से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे.


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