माकपा महासचिव सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
खास बातें
- 'अध्यादेश के लिए मोदी सरकार ने पिछले दरवाजे का सहारा लिया'
- 'नोटबंदी के खिलाफ विपक्षी एकता बनी हुई है'
- 'नोटबंदी से लोगों को हो रही परेशानी का जल्द समाधान हो'
नई दिल्ली: बंद हो चुके नोटों को रखने पर जुर्माना और जेल की सजा का प्रावधान करने के लिए अध्यादेश का सहारा लेने को लेकर मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए माकपा ने बुधवार को कहा कि उसने 'पिछले दरवाजे' का सहारा लिया, क्योंकि वह संसद का सामना करने से डर रही थी.
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों की मांग को खारिज कर दिया कि नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने लोगों की समस्याओं के जल्द समाधान की तरफ प्रयास किए जाने की वकालत की.
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राहुल गांधी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा अन्य विपक्षी नेताओं की मंगलवार की बैठक और संवाददाता सम्मेलन में वामपंथी पार्टियों के शामिल नहीं होने के बाद विपक्ष की एकता में दरार के बारे में पूछने पर येचुरी ने कहा कि 'एकता बनी हुई है.' मार्क्सवादी नेता ने विपक्षी दलों के बीच एकता के लिए उनके बीच उचित विचार-विमर्श पर भी जोर दिया.
येचुरी ने संवाददाताओं से कहा, 'सरकार के लिए यह जरूरी था कि वह अध्यादेश लाती अन्यथा नोटबंदी की पहल अवैध हो जाती, संसद सत्र के दौरान उन्हें संबंधित कानून में संशोधन करना चाहिए था.' उन्होंने कहा, 'अध्यादेश का रास्ता अपनाने की जरूरत नहीं है, लेकिन शीत सत्र के दौरान संसद में इस तरह के कानून का सामना करने के डर से मोदी सरकार ने पिछले दरवाजे का सहारा लिया है.'
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